चित्तौड़गढ़. देश में फैले कोरोना संक्रमण के कारण सभी त्योहार भी कोरोना की भेंट चढ़ चुके हैं. रविवार को गणेश चतुर्थी का पर्व है, लेकिन इस साल कोरोना संक्रमण के कारण गणेश चतुर्थी पर भी सड़कों और मोहल्लों में सन्नाटा दिखाई देगा.
इस साल कोरोना संक्रमण के चलते शनिवार से गणेश महोत्सव का आगाज तो होगा, लेकिन सार्वजनिक स्थानों पर कोई कार्यक्रम नहीं होगा. श्रद्धालु केवल घरों में ही प्रतिमा स्थापित कर पूजा-अर्चना करेंगे. वैसे हर साल गणेश महोत्सव के 10 दिवस में गरबा डांडिया की धूम रहती है और आखिरी दिन विसर्जन के अवसर पर चित्तौड़गढ़ में मेले जैसा माहौल रहता है, लेकिन इस बार ऐसा कुछ भी नहीं रहने वाला है. वहीं मन्दिरों में भी पूजा अर्चना होगी, लेकिन श्रद्धालु नहीं होंगे.
जानकारी के अनुसार चित्तौड़गढ़ जिले में गणेश महोत्सव के भव्य आयोजन होते हैं. जिला मुख्यालय पर भी घर घर में गणपति की स्थापना की जाती है. सार्वजनिक स्थानों पर पंडाल में गणपति की स्थापना कर गरबा, डांडिया का आयोजन किया जाता है. वहीं आखिरी दिन अनंत चतुर्दशी के अवसर पर जिला मुख्यालय पर भी माहौल रहता है और सुरक्षा व्यवस्था को लेकर पुलिस बंदोबस्त करने पड़ते हैं.
बता दें कि करीब 10 से 15 हजार गणपति की स्थापना घरों और सार्वजनिक पंडालों में बड़ी-बड़ी गणेश प्रतिमा स्थापित की जाती है. साथ ही सार्वजनिक स्थानों पर भगवान गणपति की झांकियां सजाई जाती है, लेकिन इस साल कोरोना संक्रमण के कारण गणेश प्रतिमा सार्वजनिक स्थान पर स्थापना को लेकर प्रशासन की रोक है.
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कोरोना संकट के चलते पहले से ही मंदिर बंद है तो धारा 144 लागू होने और सप्ताह में 2 दिन शनिवार और रविवार को लॉकडाउन रखने के आदेशों के चलते सार्वजनिक रूप से गणपति पंडाल की स्थापना की अनुमति नहीं दी गई है. ऐसे में भक्ति आराधना के कोई सार्वजनिक कार्यक्रम नहीं हो पाएंगे.
जानकारी में सामने आया कि हर साल शहरी क्षेत्र में ही करीब 100 स्थानों पर गणपति प्रतिमाएं सार्वजनिक स्थानों पर स्थापित की जाती है. घरों में भक्त अलग से प्रतिमाएं स्थापित करते हैं. इस बार सार्वजनिक आयोजन की अनुमति नहीं होने से गणपति प्रतिमा स्थापित कर उनका पूजन करेंगे इसको लेकर शुरू हो गई है.
छोटी प्रतिमाओं की मांग, बड़ी प्रतिमाएं बनाई ही नहीं
जानकारी में सामने आया कि इस साल बड़ी प्रतिमाओं की मांग बिल्कुल नहीं है. इसके पीछे कारण ये है कि सार्वजनिक कार्यक्रम नहीं होंगे. ऐसे में गणपति की प्रतिमाओं के व्यवसाय से जुड़े लोगों ने भी 3 फीट तक के गणपति की प्रतिमाएं ही बनाई और मंगवाई है. मुख्य रूप से प्लास्टर ऑफ पेरिस और मिट्टी के गणपति की बिक्री हो रही है. वहीं हर साल 8 से 10 फीट तक के गणेशजी की प्रतिमाएं काफी संख्या में भी बिक्री होती है. घरों में सामान्य से दो से 3 फीट की प्रतिमा स्थापित की जाती है. ऐसे में छोटी प्रतिमा की ही मांग बनी हुई है.
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हर साल के मुकाबले 10 फीसदी व्यवसाय
गणपति प्रतिमा विसर्जन से जुड़े लोगों की मानें तो इस साल केवल 10 फीसदी व्यवसाय ही है. हर साल बड़ी संख्या में गणेश प्रतिमाओं की बिक्री होती है. चित्तौड़गढ़ शहर में जहां घर-घर गणपति की स्थापना होती है तो वहीं जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में भी गणपति महोत्सव का क्रेज है. ऐसे में जिले में बड़ी संख्या में गणेश प्रतिमाओं की बिक्री को लेकर बाजार हैं, लेकिन सबसे बड़ा बाजार चित्तौड़गढ़ शहरी क्षेत्र में ही है और हर साल के मुकाबले गणेश चतुर्थी के 1 दिन पहले तक प्रतिमाएं बिक जाती है. लेकिन इस साल 90 फीसदी तक स्टॉक पड़ा हुआ है.
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अनंत चतुर्दशी पर नहीं निकलेंगे विसर्जन जुलूस
जानकारी में सामने आया कि गणपति महोत्सव का समापन अनंत चतुर्दशी को विसर्जन शोभायात्रा के रूप में होता है. इस दिन सूर्योदय के साथ ही गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन का दौर शुरू हो जाता है. लोग जुलूस और गाजे बाजे के साथ गणपति विसर्जन के लिए गंभीरी नदी तट पर आते हैं. वहीं, शाम करीब 6 बजे लाइसेंसी झांकियों का जुलूस शुरू होता है जिसका समापन अगले दिन तड़के 4 बजे तक होता है. इस जुलूस में शहर और ग्रामीण क्षेत्र के हजारों लोग शामिल होते हैं, लेकिन इस बार सार्वजनिक पंडाल स्थापित नहीं होने से विसर्जन जुलूस भी नहीं निकाला जाएगा. घरों में स्थापित गणेश प्रतिमाओं को भी श्रद्धालु जुलूस के रूप में नहीं बल्कि अलग-अलग जाकर नदी में विसर्जित करेंगे.