चित्तौड़गढ़. राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग ने बुधवार को सर्किट हाउस में (Human Rights Commission held public hearing) जनसुनवाई की. जनसुनवाई महज 1 घंटे में ही निपट गई, क्योंकि जनसुनवाई के दौरान न तो कोई परिवादी पहुंचा, और न ही आयोग के पास पहले से कोई लंबी फाइलों की लिस्ट थी. जिसके चलते कुछ समय बाद ही जनसुनवाई समाप्त कर दी गई. इसके पीछे जागरूकता का अभाव होने के साथ-साथ प्रचार प्रसार की कमी को भी मुख्य कारण माना जा रहा है.
आयोग अध्यक्ष रिटायर्ड जस्टिस गोपाल कृष्ण व्यास और सदस्य रिटायर्ड आईपीएस महेश गोयल ने सर्किट हाउस में नियत समय पर जन सुनवाई शुरू कर दी. इसमें जिला प्रशासन की ओर से एडीएम रतन कुमार, ज्ञान मल खटीक तथा पुलिस विभाग की ओर से जिला पुलिस अधीक्षक प्रीति जैन सहित अधिकांश विभागों के अधिकारी और प्रतिनिधि मौजूद थे. सुनवाई के दौरान ज्यादातर मामले पुलिस से सम्बंधित (mostly police cases came during hearing)आए. जहां जिला पुलिस अधीक्षक ने हर मामले पर की गई कारवाई के जवाब पेश किए.
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इसी प्रकार कपासन क्षेत्र में एक व्यक्ति के सामाजिक बहिष्कार के मामले पर जिला पुलिस अधीक्षक ने तथ्यात्मक रिपोर्ट पेश की. साथ ही बताया कि संबंधित व्यक्ति ने गांव में अधिकांश लोगों से करीब 3 लाख की उधारी ली है. वहीं आयोग की ओर से कुल 13 मामलों (13 cases were heard during the public hearing) पर सुनवाई की गई, जिनमें से अधिकांश मौके पर ही निस्तारित कर दिए गए.