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केरल विधानसभा में 'तारांकित' प्रश्नों को लेकर विपक्ष का हंगामा - Kerala Assembly ruckus

केरल विधानसभा में सोमवार को विपक्षी दल के सदस्यों ने उनके द्वारा पेश 'तारांकित' प्रश्नों को अतारांकित प्रश्नों में बदलने के मुद्दे पर हंगामा किया.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : 2 hours ago

Kerala Assembly
केरल विधानसभा (ANI)

तिरुवनंतपुरम: केरल विधानसभा में अप्रत्याशित विरोध प्रदर्शन और मुख्यमंत्री तथा विपक्ष के नेता के बीच वाकयुद्ध देखने को मिला. इससे पहले विपक्षी सदस्यों ने विवादास्पद जनसंपर्क मुद्दे पर कार्यस्थगन प्रस्ताव का नोटिस पेश किया. सनी जोसेफ, मॉन्स जोसेफ, अनूप जैकब, मणि सी कप्पन और केके रामा ने स्थगन प्रस्ताव पेश किया.

इसमें कहा गया कि राष्ट्रीय मीडिया को दिए गए साक्षात्कार में मुख्यमंत्री की यह टिप्पणी कि मलप्पुरम में सोने की तस्करी और हवाला गिरोह मजबूत हो रहे हैं, जिले के लिए अपमानजनक है. मुख्यमंत्री ने कहा कि वह प्रस्ताव पर चर्चा के लिए तैयार हैं.

हालांकि सदन में मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता के बीच तीखी नोकझोंक हुई. जब विपक्ष के नेता ने मुख्यमंत्री से कहा कि वह हर रोज भगवान से प्रार्थना करते हैं कि आप उनकी तरह भ्रष्ट न बनें, तो सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्य अपनी सीटों से उठकर शोर मचाने लगे.

इससे नाराज मुख्यमंत्री ने विपक्ष के नेता वीडी सतीसन की तीखी भाषा में आलोचना की. केरल के लोग अच्छी तरह जानते हैं कि पिनाराई विजयन कौन हैं? और वीडी सतीसन कौन हैं. आप यह बताने की कोशिश कर रहे थे कि पिनाराई विजयन भ्रष्ट हैं. यह स्पष्ट है कि समाज इसे स्वीकार नहीं करेगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि सतीसन पाखंड की प्रतिमूर्ति हैं.

केरल विधानसभा का सत्र सोमवार को हंगामेदार रहा क्योंकि कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ विपक्ष ने उनके द्वारा पेश किए गए 'तारांकित' प्रश्नों की श्रृंखला को 'अतारांकित' प्रश्नों में पुनर्वर्गीकृत करने पर कड़ी आपत्ति जताई. हंगामे के कारण विपक्ष ने सदन से वॉकआउट कर दिया और सरकार पर उनकी चिंताओं को दरकिनार करने का आरोप लगाया.

15वीं केरल विधानसभा का 12वां सत्र 4 अक्टूबर को शुरू हुआ. हाल ही में वायनाड में हुए भूस्खलन के पीड़ितों के सम्मान को लेकर पहले दिन सत्र स्थगित कर दिया गया था. हालांकि, आज विधानसभा सत्र फिर से शुरू होने के साथ ही तनाव बढ़ गया क्योंकि विपक्षी सदस्यों ने अपने 49 तारांकित प्रश्नों को अतारांकित प्रश्नों में बदलने के निर्णय पर नाराजगी व्यक्त की.

स्पीकर ए एन शमसीर ने इस कदम का बचाव करते हुए कहा कि विधानसभा सचिवालय द्वारा लिया गया निर्णय सामान्य था और कोई असामान्य बात नहीं थी. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस प्रक्रिया में विपक्षी सदस्यों के खिलाफ कोई पक्षपात नहीं किया गया. स्पीकर के तर्क से असंतुष्ट यूडीएफ विधायक सदन के वेल में आ गए और सरकार और स्पीकर दोनों के खिलाफ नारे लगाते हुए तख्तियां और बैनर लहराने लगे. जब मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने प्रश्नकाल को आगे बढ़ाने का प्रयास किया तो व्यवस्था बहाल करने के लिए स्पीकर के हस्तक्षेप ने विरोध को और भड़का दिया.

स्थिति को शांत करने के प्रयास में स्पीकर शमसीर ने विपक्ष के नेता वी डी सतीशन को बोलने का मौका दिया, बशर्ते कि प्रदर्शनकारी सदस्य अपनी सीटों पर लौट जाएं. कांग्रेस विधायक मैथ्यू कुझलनादन को छोड़कर अधिकांश विपक्षी सदस्यों ने उनकी बात मान ली. इस पर स्पीकर शमसीर ने स्पष्ट रूप से पूछा, 'यहां विपक्ष का नेता कौन है?

इस टिप्पणी पर वी डी सतीशन ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की. विपक्षी नेता ने स्पीकर की टिप्पणियों को अनुचित बताया और उन पर सत्ताधारी पार्टी के प्रति पक्षपात करने का आरोप लगाया. अपनी असंतुष्टि जाहिर करते हुए सतीशन ने घोषणा की कि विपक्ष प्रश्नकाल के शेष समय का बहिष्कार करेगा. जवाब में मुख्यमंत्री विजयन और संसदीय कार्य मंत्री एमबी राजेश ने सतीशन की टिप्पणियों की निंदा की. सीएम पिनाराई विजयन ने उन्हें विधानसभा के इतिहास में अभूतपूर्व करार दिया. सीएम ने आरोप लगाया कि सतीशन अपरिपक्व हैं और केरल विधानसभा के इतिहास में सबसे घटिया विपक्षी नेता हैं.

स्पीकर शमसीर ने दिन भर के घटनाक्रम को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया और कहा कि सतीशन की विवादास्पद टिप्पणियों को विधानसभा रिकॉर्ड में दर्ज नहीं किया जाएगा. इसके बाद कांग्रेस विधायक ए पी अनिलकुमार ने स्पीकर को एक औपचारिक अनुरोध प्रस्तुत किया. इसमें मुख्यमंत्री और संसदीय कार्य मंत्री द्वारा सतीशन के खिलाफ दिए गए बयानों को भी रिकॉर्ड से हटाने की मांग की गई.

ये भी पढ़ें- केरल: 12वीं विधानसभा का सत्र शुरू, वायनाड पीड़ितों को दी श्रद्धांजलि

तिरुवनंतपुरम: केरल विधानसभा में अप्रत्याशित विरोध प्रदर्शन और मुख्यमंत्री तथा विपक्ष के नेता के बीच वाकयुद्ध देखने को मिला. इससे पहले विपक्षी सदस्यों ने विवादास्पद जनसंपर्क मुद्दे पर कार्यस्थगन प्रस्ताव का नोटिस पेश किया. सनी जोसेफ, मॉन्स जोसेफ, अनूप जैकब, मणि सी कप्पन और केके रामा ने स्थगन प्रस्ताव पेश किया.

इसमें कहा गया कि राष्ट्रीय मीडिया को दिए गए साक्षात्कार में मुख्यमंत्री की यह टिप्पणी कि मलप्पुरम में सोने की तस्करी और हवाला गिरोह मजबूत हो रहे हैं, जिले के लिए अपमानजनक है. मुख्यमंत्री ने कहा कि वह प्रस्ताव पर चर्चा के लिए तैयार हैं.

हालांकि सदन में मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता के बीच तीखी नोकझोंक हुई. जब विपक्ष के नेता ने मुख्यमंत्री से कहा कि वह हर रोज भगवान से प्रार्थना करते हैं कि आप उनकी तरह भ्रष्ट न बनें, तो सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्य अपनी सीटों से उठकर शोर मचाने लगे.

इससे नाराज मुख्यमंत्री ने विपक्ष के नेता वीडी सतीसन की तीखी भाषा में आलोचना की. केरल के लोग अच्छी तरह जानते हैं कि पिनाराई विजयन कौन हैं? और वीडी सतीसन कौन हैं. आप यह बताने की कोशिश कर रहे थे कि पिनाराई विजयन भ्रष्ट हैं. यह स्पष्ट है कि समाज इसे स्वीकार नहीं करेगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि सतीसन पाखंड की प्रतिमूर्ति हैं.

केरल विधानसभा का सत्र सोमवार को हंगामेदार रहा क्योंकि कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ विपक्ष ने उनके द्वारा पेश किए गए 'तारांकित' प्रश्नों की श्रृंखला को 'अतारांकित' प्रश्नों में पुनर्वर्गीकृत करने पर कड़ी आपत्ति जताई. हंगामे के कारण विपक्ष ने सदन से वॉकआउट कर दिया और सरकार पर उनकी चिंताओं को दरकिनार करने का आरोप लगाया.

15वीं केरल विधानसभा का 12वां सत्र 4 अक्टूबर को शुरू हुआ. हाल ही में वायनाड में हुए भूस्खलन के पीड़ितों के सम्मान को लेकर पहले दिन सत्र स्थगित कर दिया गया था. हालांकि, आज विधानसभा सत्र फिर से शुरू होने के साथ ही तनाव बढ़ गया क्योंकि विपक्षी सदस्यों ने अपने 49 तारांकित प्रश्नों को अतारांकित प्रश्नों में बदलने के निर्णय पर नाराजगी व्यक्त की.

स्पीकर ए एन शमसीर ने इस कदम का बचाव करते हुए कहा कि विधानसभा सचिवालय द्वारा लिया गया निर्णय सामान्य था और कोई असामान्य बात नहीं थी. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस प्रक्रिया में विपक्षी सदस्यों के खिलाफ कोई पक्षपात नहीं किया गया. स्पीकर के तर्क से असंतुष्ट यूडीएफ विधायक सदन के वेल में आ गए और सरकार और स्पीकर दोनों के खिलाफ नारे लगाते हुए तख्तियां और बैनर लहराने लगे. जब मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने प्रश्नकाल को आगे बढ़ाने का प्रयास किया तो व्यवस्था बहाल करने के लिए स्पीकर के हस्तक्षेप ने विरोध को और भड़का दिया.

स्थिति को शांत करने के प्रयास में स्पीकर शमसीर ने विपक्ष के नेता वी डी सतीशन को बोलने का मौका दिया, बशर्ते कि प्रदर्शनकारी सदस्य अपनी सीटों पर लौट जाएं. कांग्रेस विधायक मैथ्यू कुझलनादन को छोड़कर अधिकांश विपक्षी सदस्यों ने उनकी बात मान ली. इस पर स्पीकर शमसीर ने स्पष्ट रूप से पूछा, 'यहां विपक्ष का नेता कौन है?

इस टिप्पणी पर वी डी सतीशन ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की. विपक्षी नेता ने स्पीकर की टिप्पणियों को अनुचित बताया और उन पर सत्ताधारी पार्टी के प्रति पक्षपात करने का आरोप लगाया. अपनी असंतुष्टि जाहिर करते हुए सतीशन ने घोषणा की कि विपक्ष प्रश्नकाल के शेष समय का बहिष्कार करेगा. जवाब में मुख्यमंत्री विजयन और संसदीय कार्य मंत्री एमबी राजेश ने सतीशन की टिप्पणियों की निंदा की. सीएम पिनाराई विजयन ने उन्हें विधानसभा के इतिहास में अभूतपूर्व करार दिया. सीएम ने आरोप लगाया कि सतीशन अपरिपक्व हैं और केरल विधानसभा के इतिहास में सबसे घटिया विपक्षी नेता हैं.

स्पीकर शमसीर ने दिन भर के घटनाक्रम को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया और कहा कि सतीशन की विवादास्पद टिप्पणियों को विधानसभा रिकॉर्ड में दर्ज नहीं किया जाएगा. इसके बाद कांग्रेस विधायक ए पी अनिलकुमार ने स्पीकर को एक औपचारिक अनुरोध प्रस्तुत किया. इसमें मुख्यमंत्री और संसदीय कार्य मंत्री द्वारा सतीशन के खिलाफ दिए गए बयानों को भी रिकॉर्ड से हटाने की मांग की गई.

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