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चित्तौड़गढ़ : तिलक लिया ना दस्तूर, सवा लाख लौटाकर एक रुपए के शगुन में हो गई शादी - चित्तौड़गढ़ में बिना दहेज शादी

चित्तौड़गढ़ में एक अनोखी शादी हुई. जहां दूल्हे ने मिसाल कायम करते हुए बिना दहेज लिए शादी की. दूल्हे ने ससुराल पक्ष की ओर से दिए 1 लाख 11 हजार रुपए भी लौटा दिए.

चित्तौड़गढ़ में बिना दहेज शादी, Marriage without dowry in Chittorgarh
चित्तौड़गढ़ में बिना दहेज शादी
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Published : Dec 11, 2020, 6:50 PM IST

चित्तौड़गढ़. युवा अक्सर ये सोचते हैं कि उनकी शादी शाही तौर-तरीके और ठाठ-बाट से हो. शादियों का खर्च दिखावे के नाम पर लाखों में पहुंच जाता है. किसी को डेस्टिनेशन वेडिंग की चाह होती है, जिसमें करोड़ों तक का खर्चा भी होता है. कई लोग शादी में दहेज की मांग करते हैं. कुछ शादियों में तो दुल्हन के पिता की ओर से दहेज की रकम का इंतजाम नहीं होने पर बारात बैरंग भी लौट जाती है. ऐसे में चित्तौड़गढ़ में एक दूल्हे ने इन सब से हटकर एक नई मिसाल पेश की है.

चित्तौड़गढ़ में बिना दहेज शादी

यहां दूल्हे ने सामाजिक संदेश देते हुए अपना तिलक दस्तूर सादगीपूर्ण मनाकर सबका दिल जीत लिया और एक आदर्श कायम किया. दूल्हे ने शादी में दहेज नहीं लिया. साथ ही ससुराल पक्ष की ओर से दिए 1 लाख 11 हजार रुपए भी लौटा कर सभी के सामने अनुकरणीय मिसाल पेश की है.

जानकारी के अनुसार जिले में भाटियों का खेड़ा निवासी बसंत सिंह भाटी के पुत्र कुलदीप सिंह भाटी की शादी शुक्रवार को तय है. बारात सुबह चौबेजी का कंथारिया के नारायणसिंह राणावत के यहां गई. जहां कुलदीप का तिलक दस्तूर किया गया. इस दौरान दुल्हन के पिता ने एक लाख ग्यारह हजार रुपए दिए, लेकिन दूल्हे ने दुल्हन के पिता को रुपए लौटा दिए.

शगुन के तौर पर एक रुपया और श्रीफल से तिलक और दस्तूर की रस्म पूरी की. इसके बाद शादी का मंडप तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा. लोगों ने जमकर इसकी तारीफ की. लोगों का कहना है कि इससे प्रेरित होकर आने वाले दिनों में और भी बिना दहेज की शादियां देखने को मिलेंगी. जानकारी में सामने आया कि बसंत सिंह पेशे से किसान है.

पढे़ं- जेके लोन अस्पताल में बच्चों की मौत पर ओम बिरला ने कहा- मुझे व्यक्तिगत रूप से दुख पहुंचा

वहीं इनका पुत्र फाइनेंस कंपनी रिकवरी का काम है. वहीं भाटियों का खेड़ा निवासी बसंत सिंह के बड़े भाई मोहब्बत सिंह भाटी ने बताया कि समाज में तिलक और दस्तूर में काफी खर्चा होता है. कई गरीब परिवार होते हैं, जो इस तरह का खर्चा नहीं कर पाते. कई बार घर टूट जाते हैं.

चित्तौड़गढ़. युवा अक्सर ये सोचते हैं कि उनकी शादी शाही तौर-तरीके और ठाठ-बाट से हो. शादियों का खर्च दिखावे के नाम पर लाखों में पहुंच जाता है. किसी को डेस्टिनेशन वेडिंग की चाह होती है, जिसमें करोड़ों तक का खर्चा भी होता है. कई लोग शादी में दहेज की मांग करते हैं. कुछ शादियों में तो दुल्हन के पिता की ओर से दहेज की रकम का इंतजाम नहीं होने पर बारात बैरंग भी लौट जाती है. ऐसे में चित्तौड़गढ़ में एक दूल्हे ने इन सब से हटकर एक नई मिसाल पेश की है.

चित्तौड़गढ़ में बिना दहेज शादी

यहां दूल्हे ने सामाजिक संदेश देते हुए अपना तिलक दस्तूर सादगीपूर्ण मनाकर सबका दिल जीत लिया और एक आदर्श कायम किया. दूल्हे ने शादी में दहेज नहीं लिया. साथ ही ससुराल पक्ष की ओर से दिए 1 लाख 11 हजार रुपए भी लौटा कर सभी के सामने अनुकरणीय मिसाल पेश की है.

जानकारी के अनुसार जिले में भाटियों का खेड़ा निवासी बसंत सिंह भाटी के पुत्र कुलदीप सिंह भाटी की शादी शुक्रवार को तय है. बारात सुबह चौबेजी का कंथारिया के नारायणसिंह राणावत के यहां गई. जहां कुलदीप का तिलक दस्तूर किया गया. इस दौरान दुल्हन के पिता ने एक लाख ग्यारह हजार रुपए दिए, लेकिन दूल्हे ने दुल्हन के पिता को रुपए लौटा दिए.

शगुन के तौर पर एक रुपया और श्रीफल से तिलक और दस्तूर की रस्म पूरी की. इसके बाद शादी का मंडप तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा. लोगों ने जमकर इसकी तारीफ की. लोगों का कहना है कि इससे प्रेरित होकर आने वाले दिनों में और भी बिना दहेज की शादियां देखने को मिलेंगी. जानकारी में सामने आया कि बसंत सिंह पेशे से किसान है.

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वहीं इनका पुत्र फाइनेंस कंपनी रिकवरी का काम है. वहीं भाटियों का खेड़ा निवासी बसंत सिंह के बड़े भाई मोहब्बत सिंह भाटी ने बताया कि समाज में तिलक और दस्तूर में काफी खर्चा होता है. कई गरीब परिवार होते हैं, जो इस तरह का खर्चा नहीं कर पाते. कई बार घर टूट जाते हैं.

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