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निरीक्षण के दौरान चित्तौड़गढ़ जिला जेल की डिस्पेंसरी में मिली एक्सपायरी दवाइयां

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Published : Apr 22, 2021, 5:00 PM IST

राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देश पर चित्तौड़गढ़ जिला जेल का निरीक्षण किया गया. इस दौरान डिस्पेंसरी में एक्सपायरी दवाइयां और अव्यवस्था मिलने पर अधिकारियों को फटकार लगाते हुए व्यवस्था सुधारने के निर्देश दिए गए.

Chittorgarh news, Chittorgarh District Jail
निरीक्षण के दौरान चित्तौड़गढ़ जिला जेल की डिस्पेंसरी में मिली एक्सपायरी दवाइयां

चित्तौड़गढ़. राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण और प्राधिकरण अध्यक्ष (जिला एवं सेशन न्यायाधीश) केशव कौशिक के निर्देश पर सचिव भानु कुमार ने गुरुवार को जिला कारागृह का औचक निरीक्षण किया. इस दौरान जिला जेल की डिस्पेंसरी में अवधि पार दवाइयां मिली. इस पर न्यायाधीश ने नाराजगी जताई है. जानकारी के अनुसार कोरोना को लेकर जेल में व्यवस्थाओं की जांच के लिए राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण एवं प्राधिकरण चित्तौड़गढ़ के सचिव भानु कुमार जिला जेल पहुंचे और निरीक्षण किया. इस दौरान जेलर डूले सिंह से जिला कारागृह में कोरोना महामारी से बचाव के लिए बरती जा रही सावधानियों की जानकारी ली.

यह भी पढ़ें- ऑक्सीजन सिलेंडर और जीवनदायिनी दवाओं की कालाबाजारी रोकने के लिए चार सदस्यीय टीम का गठन

जेलर ने बताया कि आज 526 पुरुष, 14 महिला और 1 बच्चा जिला कारागृह में है. बंदी को जेल में दाखिल करने से पूर्व जेल वारंट के साथ बंदी की कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट प्राप्त के पश्चात ही बंदी को जेल में दाखिल किया जाता है. नए आने वाले बंदी को पृथक से दो बैरक जिन्हें अस्थायी रूप से आइसोलेशन बैरक बनाया गया है, जहां 21 दिन एवं उसके बाद 7 दिन पृथक से रखा जाता है. रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद ही बंदी को अन्य बैरक में रखा जाता है. वर्तमान में 7 बंदी कोरोना पॉजिटिव होकर पृथक से बैरक में आइसोलेटेड किए गए हैं. उक्त बंदियों को हल्दी वाला गर्म दूध, गर्म भोजन एवं नियमित धूप का सेवन कराया जा रहा है.

जेलर ने बताया कि नगर परिषद के माध्यम से जेल को सैनिटाइज किया जाता है. वर्तमान में कोरोना महामारी के चलते बंदियों से परिजनों की मुलाकात नहीं कराई जा रही है. इस कारण लगभग 300 बंदियों को प्रतिदिन टेलीफोन के जरिए एवं लगभग 10-12 बंदियों को वीसी से अपने परिजनों से बात कराई जा रही है. न्यायालयों से की जाने वाले वीसी रूम का भी निरीक्षण किया गया. सचिव द्वारा जेलर को निर्देशित किया गया कि बंदियों की पेशी वीसी से ही करवाई जाए. कारागृह में स्थित महिला बैरक का भी निरीक्षण किया गया, जहां 14 महिला बंदी एवं साथ में एक बच्चा मौजूद थे. महिलाओं से उनको दी जाने वाली सुविधाओं के बारे में जानकारी प्राप्त की गई. कारागार में महिला बंदियों से पूछताछ एवं जानकारी प्राप्त करने पर महिला बंदियों ने उन्हें उपलब्ध कराई जा रही सुविधाओं पर संतोष व्यक्त करते हुए कोई समस्या नहीं होना जाहिर किया.

यह भी पढ़ें- झालावाड़: कोरोना के चलते मां-बेटे सहित 5 ने तोड़ा दम, 263 नए संक्रमित मरीज मिले

कारागार में साफ-सफाई, पानी के निकास, रसोईघर की व्यवस्थाएं अच्छी पाई गई. गर्मी के मौसम को देखते हुए बैरकों में लगे पंखे चालु अवस्था में होने को लेकर जेलर डुलेसिंह ने बताया कि सभी बैरकों में पंखे चालु अवस्था में है. जिला कारागृह स्थित डिस्पेंसरी का अवलोकन करने पर अनियमितता पाई गई. उपस्थित जेलर ने बताया कि मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय से चिकित्सक विष्णु पारीक को नियुक्त किया गया है, लेकिन उक्त चिकित्सक नियमित रूप से नहीं आते हैं. फोन करने पर ही उपस्थित होते हैं. सचिव की ओर से डिस्पेंसरी में उपलब्ध दवाइयों का अवलोकन करने पर पाया गया कि कुछ दवाइयां अवधिपार हो चुकी थी. इस संबंध में अवधिपार दवाइयों को जब्त कर जब्ती रिपोर्ट मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को प्रेषित करने एवं आवश्यक कार्रवाई करने के लिए निर्देशित किया गया. जेलर ने बताया कि चिकित्सा विभाग को बार-बार अवगत कराने के उपरांत भी 45 वर्ष से अधिक आयु के बंदियों का टीकाकरण नहीं किया गया है. इस संबंध मे भी संबंधित विभागाध्यक्ष को लिखे जाने के लिए निर्देशित किया गया है.

चित्तौड़गढ़. राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण और प्राधिकरण अध्यक्ष (जिला एवं सेशन न्यायाधीश) केशव कौशिक के निर्देश पर सचिव भानु कुमार ने गुरुवार को जिला कारागृह का औचक निरीक्षण किया. इस दौरान जिला जेल की डिस्पेंसरी में अवधि पार दवाइयां मिली. इस पर न्यायाधीश ने नाराजगी जताई है. जानकारी के अनुसार कोरोना को लेकर जेल में व्यवस्थाओं की जांच के लिए राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण एवं प्राधिकरण चित्तौड़गढ़ के सचिव भानु कुमार जिला जेल पहुंचे और निरीक्षण किया. इस दौरान जेलर डूले सिंह से जिला कारागृह में कोरोना महामारी से बचाव के लिए बरती जा रही सावधानियों की जानकारी ली.

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जेलर ने बताया कि आज 526 पुरुष, 14 महिला और 1 बच्चा जिला कारागृह में है. बंदी को जेल में दाखिल करने से पूर्व जेल वारंट के साथ बंदी की कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट प्राप्त के पश्चात ही बंदी को जेल में दाखिल किया जाता है. नए आने वाले बंदी को पृथक से दो बैरक जिन्हें अस्थायी रूप से आइसोलेशन बैरक बनाया गया है, जहां 21 दिन एवं उसके बाद 7 दिन पृथक से रखा जाता है. रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद ही बंदी को अन्य बैरक में रखा जाता है. वर्तमान में 7 बंदी कोरोना पॉजिटिव होकर पृथक से बैरक में आइसोलेटेड किए गए हैं. उक्त बंदियों को हल्दी वाला गर्म दूध, गर्म भोजन एवं नियमित धूप का सेवन कराया जा रहा है.

जेलर ने बताया कि नगर परिषद के माध्यम से जेल को सैनिटाइज किया जाता है. वर्तमान में कोरोना महामारी के चलते बंदियों से परिजनों की मुलाकात नहीं कराई जा रही है. इस कारण लगभग 300 बंदियों को प्रतिदिन टेलीफोन के जरिए एवं लगभग 10-12 बंदियों को वीसी से अपने परिजनों से बात कराई जा रही है. न्यायालयों से की जाने वाले वीसी रूम का भी निरीक्षण किया गया. सचिव द्वारा जेलर को निर्देशित किया गया कि बंदियों की पेशी वीसी से ही करवाई जाए. कारागृह में स्थित महिला बैरक का भी निरीक्षण किया गया, जहां 14 महिला बंदी एवं साथ में एक बच्चा मौजूद थे. महिलाओं से उनको दी जाने वाली सुविधाओं के बारे में जानकारी प्राप्त की गई. कारागार में महिला बंदियों से पूछताछ एवं जानकारी प्राप्त करने पर महिला बंदियों ने उन्हें उपलब्ध कराई जा रही सुविधाओं पर संतोष व्यक्त करते हुए कोई समस्या नहीं होना जाहिर किया.

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कारागार में साफ-सफाई, पानी के निकास, रसोईघर की व्यवस्थाएं अच्छी पाई गई. गर्मी के मौसम को देखते हुए बैरकों में लगे पंखे चालु अवस्था में होने को लेकर जेलर डुलेसिंह ने बताया कि सभी बैरकों में पंखे चालु अवस्था में है. जिला कारागृह स्थित डिस्पेंसरी का अवलोकन करने पर अनियमितता पाई गई. उपस्थित जेलर ने बताया कि मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय से चिकित्सक विष्णु पारीक को नियुक्त किया गया है, लेकिन उक्त चिकित्सक नियमित रूप से नहीं आते हैं. फोन करने पर ही उपस्थित होते हैं. सचिव की ओर से डिस्पेंसरी में उपलब्ध दवाइयों का अवलोकन करने पर पाया गया कि कुछ दवाइयां अवधिपार हो चुकी थी. इस संबंध में अवधिपार दवाइयों को जब्त कर जब्ती रिपोर्ट मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को प्रेषित करने एवं आवश्यक कार्रवाई करने के लिए निर्देशित किया गया. जेलर ने बताया कि चिकित्सा विभाग को बार-बार अवगत कराने के उपरांत भी 45 वर्ष से अधिक आयु के बंदियों का टीकाकरण नहीं किया गया है. इस संबंध मे भी संबंधित विभागाध्यक्ष को लिखे जाने के लिए निर्देशित किया गया है.

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