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मौसम में आया बदलाव, बढ़ गए सर्दी खांसी जुखाम के रोगी, जानिए क्या है कारण और क्या बरतनी है सावधानी - चित्तौड़गढ़ में मौसमी बीमारी

मौसम में आए बदलाव के बाद मौसमी बीमारियों का प्रकोप बढ़ गया है. खासकर सर्दी खांसी और बुखार के साथ-साथ सांस संबंधी रोगी बढ़ गए हैं. अकेले जिला चिकित्सालय में आउटडोर रोगियों की संख्या में 15 से 20 प्रतिशत तक इजाफा हुआ है.

cold cough disease, change in weather in chittorgarh
मौसम में आया बदलाव
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Published : Mar 16, 2021, 1:53 PM IST

चित्तौड़गढ़. मौसम में आए बदलाव के बाद मौसमी बीमारियों का प्रकोप बढ़ गया है. खासकर सर्दी खांसी और बुखार के साथ-साथ सांस संबंधी रोगी बढ़ गए हैं. अकेले जिला चिकित्सालय में आउटडोर रोगियों की संख्या में 15 से 20 प्रतिशत तक इजाफा हुआ है.

मौसम में आया बदलाव

चिकित्सकों का मानना है कि इस अवधि में एलर्जीकल डिजीज बढ़ने का खतरा रहता है, परंतु कोरोना के बाद जैसे-जैसे अनलॉक का दायरा बढ़ा है, वैसे वैसे लोग एक दूसरे के संपर्क में आ रहे हैं. उसी का नतीजा है कि सर्दी खांसी बुखार आदि के मरीजों की संख्या में लगातार उछाल आ रहा है. जिला चिकित्सालय में प्रतिदिन का आउटडोर 1200 से लेकर 1300 के बीच रहता है, जोकि इन दिनों 14 सौ 15 सो के बीच पहुंच गया है. इनमें से अधिकांश लोग मौसमी बीमारियों के शिकार हैं.

पढ़ें- दिल्ली में सिविल डिफेंस जवान को गोलियों से भूनने वाले जयपुर से गिरफ्तार, 4 हत्याओं में थे वांटेड

वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ. अनीश जैन भी मानते हैं कि पिछले पंद्रह 20 दिन से मौसमी बीमारियों का प्रकोप अचानक बढ़ा है. सर्दी खांसी बुखार और अस्थमा से पीड़ित लोग ज्यादा आ रहे हैं. इसका कारण बताते हुए डॉ. जैन ने कहा कि बसंत पंचमी से लेकर पदों की कटाई तक पतझड़ का मौसम रहता है, जिसमें एलर्जीकल डिजीज अपेक्षाकृत बढ़ जाती है.

इससे बचने के लिए जिन लोगों को स्वास और एलर्जी की शिकायत रहती है. उन्हें खेत पर जाने से बचना चाहिए. इसके अलावा मस्त का इस्तेमाल भी बचाव का एक विकल्प है, जिससे एलर्जीकल डिजीज के साथ-साथ कोरोना जैसी महामारी से भी बचा जा सकता है. ज्यादा शिकायत पर तत्काल नजदीकी हॉस्पिटल से संपर्क किया जाना चाहिए.

चित्तौड़गढ़. मौसम में आए बदलाव के बाद मौसमी बीमारियों का प्रकोप बढ़ गया है. खासकर सर्दी खांसी और बुखार के साथ-साथ सांस संबंधी रोगी बढ़ गए हैं. अकेले जिला चिकित्सालय में आउटडोर रोगियों की संख्या में 15 से 20 प्रतिशत तक इजाफा हुआ है.

मौसम में आया बदलाव

चिकित्सकों का मानना है कि इस अवधि में एलर्जीकल डिजीज बढ़ने का खतरा रहता है, परंतु कोरोना के बाद जैसे-जैसे अनलॉक का दायरा बढ़ा है, वैसे वैसे लोग एक दूसरे के संपर्क में आ रहे हैं. उसी का नतीजा है कि सर्दी खांसी बुखार आदि के मरीजों की संख्या में लगातार उछाल आ रहा है. जिला चिकित्सालय में प्रतिदिन का आउटडोर 1200 से लेकर 1300 के बीच रहता है, जोकि इन दिनों 14 सौ 15 सो के बीच पहुंच गया है. इनमें से अधिकांश लोग मौसमी बीमारियों के शिकार हैं.

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वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ. अनीश जैन भी मानते हैं कि पिछले पंद्रह 20 दिन से मौसमी बीमारियों का प्रकोप अचानक बढ़ा है. सर्दी खांसी बुखार और अस्थमा से पीड़ित लोग ज्यादा आ रहे हैं. इसका कारण बताते हुए डॉ. जैन ने कहा कि बसंत पंचमी से लेकर पदों की कटाई तक पतझड़ का मौसम रहता है, जिसमें एलर्जीकल डिजीज अपेक्षाकृत बढ़ जाती है.

इससे बचने के लिए जिन लोगों को स्वास और एलर्जी की शिकायत रहती है. उन्हें खेत पर जाने से बचना चाहिए. इसके अलावा मस्त का इस्तेमाल भी बचाव का एक विकल्प है, जिससे एलर्जीकल डिजीज के साथ-साथ कोरोना जैसी महामारी से भी बचा जा सकता है. ज्यादा शिकायत पर तत्काल नजदीकी हॉस्पिटल से संपर्क किया जाना चाहिए.

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