चित्तौड़गढ़. विश्व प्रसिद्ध चित्तौड़ दुर्ग स्थित गौमुख कुंड (Gaumukh Kund) में विगत एक सप्ताह से लगातार मछलियों (Fish) के मरने का दौर चल रहा है, जो बुधवार को भी जारी रहा. पुरातत्व विभाग (Archeology department) और मत्स्य विभाग (Fisheries department) की लापरवाही के चलते मरी हुई मछलियों को गौमुख कुंड से बाहर निकालने के बाद खुले में छोड़ दिया गया. जिसके कारण दुर्ग पर आने वाले पर्यटकों का बदबू से बुरा हाल होने के साथ ही बीमारियों को भी निमंत्रण दिया जा रहा है. वहीं गोमुख कुंड का पानी नहीं बदलने के कारण मछलियों की मौत की बात कही जा रही है.
जानकारी में सामने आया कि चित्तौड़ दुर्ग स्थित गौमुख कुंड में गत एक सप्ताह से मछलियों के मरने का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है. एक सप्ताह में यहां करीब 9 क्विंटल से अधिक मछलियों के मरने की संभावना व्यक्त की जा रही है. वहीं पुरातत्व विभाग और मत्स्य विभाग की लापरवाही के चलते गौमुख कुंड से निकाली गई मृत मछलियों को बाहर खुले में रखा गया है, जिसके कारण दुर्ग भ्रमण करने आने वाले पर्यटकों का बदबू से बुरा हाल हो रहा है.
वहीं कोरोना जैसी महामारी के बीच पर्यटकों के लिए नई बीमारी के संकेत भी दिखाई दे रहे हैं. कुछ दिन पूर्व मत्स्य विभाग के डायरेक्टर सैयद लायक अली ने भी गौमुख कुंड का दौरा किया था और वहां से मछलियों के मरने का कारण जानने के लिए पानी के सैंपल भी लिए थे, लेकिन एक सप्ताह बीत जाने के बाद अभी तक उस पानी की जांच रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है.
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गार्डन में ले जा रहे पानी, बंद कर दिया झरना : जानकारी में सामने आया है कि मछलियों के मरने का प्रमुख कारण पुरातत्व विभाग की ओर से गौमुख कुंड से विभिन्न स्रोतों के माध्यम से गंदे पानी की निकासी को रोक देना है. पहले यहां कुंड के ओवर फ्लो से लगातार पानी निकलता रहता था. इससे पानी भी झरने पर निकल जाता और फ्रेश पानी भरा रहता था, लेकिन कुछ वर्षों से पुरातत्व विभाग यहां से पानी गार्डन में ले जाने लगा है, तब से ही यहां के झरने को बन्द कर दिया गया है.
वहीं जब इस बारे में पुरातत्व विभाग के अधिकारी आरएल जीतरवाल से बात करने का प्रयास किया गया, तो उन्होंने इस बारे में कैमरे के सामने किसी भी प्रकार का जवाब देने से इंकार कर दिया. वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि झरने का ओवरफ्लो बन्द करने और पानी गार्डन में ले जाने लगे हैं. ऐसे में पानी नहीं बदलता और संक्रमण फैलने के कारण मछलियों की मौत हो रही है.