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ना बजी शहनाई, ना ही बना प्रसाद, बढ़ा घी का स्टॉक तो घट गए दाम

लॉकडाउन की मार से डेयरी उद्योग भी नहीं बच पाया. डेयरी प्रोडक्ट की खपत में भारी कमी देखने को मिली है. राजस्थान डेयरी कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन ने प्रति किलो घी पर 20 रुपए कम किए हैं. 1 और 1.5 लीटर घी के डिब्बों की खपत तो मार्केट में बनी हुई है. लेकिन 15 लीटर घी के बड़े डिब्बों की खपत शादी, मंदिरों में होने वाले आयोजनों के कैंसिल होने से बंद है.

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डेयरी प्रॉडक्ट की खपत में भारी कमी देखने को मिली है
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Published : Jun 6, 2020, 10:44 PM IST

चितौड़गढ़. कोरोना वायरस के बाद देश भर में लगे लॉकडाउन ने डेयरी व्यापार को बुरी तरह से प्रभावित किया है. लॉकडाउन में डेयरी प्रोडक्ट की खपत में भारी कमी देखने को मिली है. दूध, घी, व इनसे बनने वाले प्रॉडक्ट की मांग भी बाजार में कम हुई है.

लॉकडाउन में शादी-ब्याह, मृत्युभोज के आयोजन पर पूरी तरह से रोक थी. धार्मिक स्थल भी पूरी तरह से बंद थे. जिससे मंदिरों में भोग का प्रसाद भी नहीं बना. शादी-ब्याह में मिठाइयां भी नहीं बनी. जिसके चलते डेयरी प्रोडक्ट की मांग में गिरावट देखने को मिली.

डेयरी प्रोडक्ट की खपत में भारी कमी देखने को मिली है

घी का उत्पादन करने वाले डेयरी संघ में घी का स्टॉक बढ़ गया. ऐसे में राजस्थान कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन ने प्रति किलो 20 रुपए तक घी का मूल्य कम कर दिया है. यह मूल्य पूरे राजस्थान में कोऑपरेटिव के घी पर लागू हुआ हैं. चितौड़गढ़ डेयरी घी का सबसे बड़ा खरीदार है, लेकिन यहां भी प्रसाद का निर्माण बंद होने से घी की डिमांड बंद हो गई है.

पढ़ें: राजस्थान में 30 जून तक नहीं खुलेंगे धार्मिक स्थल, CM गहलोत की धर्मगुरुओं के साथ हुई बैठक

कोरोना संक्रमण के मामले भारत में आने लगे तो कुछ दिनों बाद ही चितौड़गढ़ जिले में डेयरी ने पशुपालकों से दूध क्रय करना बंद कर दिया था. इसके पीछे कारण था कि लॉकडाउन से सब घरों में बंद हो गए. दूध से बने उत्पाद की बिक्री पूरी तरह प्रभावित हो गई.

डेयरी में दूध की आपूर्ति से घी का उत्पादन बढ़ी तो वहीं बिक्री कम हो गई. इसके विपरीत बल्क में देशी घी की डिमांड लगभग खत्म हो गई है. यही कारण है कि कंपनियों के पास घी का स्टॉक जमा होता जा रहा है. कंपनियां भाव घटा कर घी की बिक्री शुरू करने पर मजबूर हैं.

पढ़ें: जेल में खेल: अलवर कारागार में सजा नहीं मौज काट रहे कैदी!, देखिए भ्रष्टाचार पर बड़ा खुलासा

बाजार में घी के एक और दो लीटर घी की बिक्री तो हो रही है. लेकिन 15 लीटर घी के टीन की बिक्री नहीं हो रही है. इसके पीछे कारण यह है कि बड़े टीन की मांग विवाह समारोह, रात्रि जागरण, मृत्युभोज आदि कार्यक्रमों में रहती है. लेकिन लॉकडाउन में यह सारे कार्यक्रम बंद है.

जिले के मंडफिया स्थित श्री सांवलियाजी मंदिर में शुद्ध देशी घी से बना लड्डू और मठड़ी का प्रसाद भी बनता है. इसके लिए हर माह श्री सांवलियाजी मंदिर मंडल 15 किलो वजनी 1000 टीन घी के चितौड़गढ़ डेयरी से क्रय करता है. इसके लिए करीब 70 लाख का भुगतान डेयरी को किया जाता है.

पढ़ें: कोटा में नौवीं के छात्र ने लगाई फांसी, सामने आ रहे चौंकाने वाले खुलासे

लॉकडाउन में मंदिरों के बन्द होने से भी घी की सप्लाई में काफी फर्क पड़ा है. पिछले तीन माह से श्री सांवरियाजी मंदिर मंडल के बंद होने से 45 टन घी की बिक्री प्रभावित हुई है. वर्तमान में घी की छोटी पैकिंग यानी एक एवं आधा लीटर में घी की मांग बनी हुई है. वहीं घी के दाम में लगभग प्रति किलो 20 रुपए की कमी आई है. जो पहले 470 रुपये प्रति किलो था. अब घी का दाम घटकर 450 रुपये हो गया है. 15 किलो घी के टीन पर 300 रुपये का फर्क पड़ा है.

चितौड़गढ़. कोरोना वायरस के बाद देश भर में लगे लॉकडाउन ने डेयरी व्यापार को बुरी तरह से प्रभावित किया है. लॉकडाउन में डेयरी प्रोडक्ट की खपत में भारी कमी देखने को मिली है. दूध, घी, व इनसे बनने वाले प्रॉडक्ट की मांग भी बाजार में कम हुई है.

लॉकडाउन में शादी-ब्याह, मृत्युभोज के आयोजन पर पूरी तरह से रोक थी. धार्मिक स्थल भी पूरी तरह से बंद थे. जिससे मंदिरों में भोग का प्रसाद भी नहीं बना. शादी-ब्याह में मिठाइयां भी नहीं बनी. जिसके चलते डेयरी प्रोडक्ट की मांग में गिरावट देखने को मिली.

डेयरी प्रोडक्ट की खपत में भारी कमी देखने को मिली है

घी का उत्पादन करने वाले डेयरी संघ में घी का स्टॉक बढ़ गया. ऐसे में राजस्थान कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन ने प्रति किलो 20 रुपए तक घी का मूल्य कम कर दिया है. यह मूल्य पूरे राजस्थान में कोऑपरेटिव के घी पर लागू हुआ हैं. चितौड़गढ़ डेयरी घी का सबसे बड़ा खरीदार है, लेकिन यहां भी प्रसाद का निर्माण बंद होने से घी की डिमांड बंद हो गई है.

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कोरोना संक्रमण के मामले भारत में आने लगे तो कुछ दिनों बाद ही चितौड़गढ़ जिले में डेयरी ने पशुपालकों से दूध क्रय करना बंद कर दिया था. इसके पीछे कारण था कि लॉकडाउन से सब घरों में बंद हो गए. दूध से बने उत्पाद की बिक्री पूरी तरह प्रभावित हो गई.

डेयरी में दूध की आपूर्ति से घी का उत्पादन बढ़ी तो वहीं बिक्री कम हो गई. इसके विपरीत बल्क में देशी घी की डिमांड लगभग खत्म हो गई है. यही कारण है कि कंपनियों के पास घी का स्टॉक जमा होता जा रहा है. कंपनियां भाव घटा कर घी की बिक्री शुरू करने पर मजबूर हैं.

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बाजार में घी के एक और दो लीटर घी की बिक्री तो हो रही है. लेकिन 15 लीटर घी के टीन की बिक्री नहीं हो रही है. इसके पीछे कारण यह है कि बड़े टीन की मांग विवाह समारोह, रात्रि जागरण, मृत्युभोज आदि कार्यक्रमों में रहती है. लेकिन लॉकडाउन में यह सारे कार्यक्रम बंद है.

जिले के मंडफिया स्थित श्री सांवलियाजी मंदिर में शुद्ध देशी घी से बना लड्डू और मठड़ी का प्रसाद भी बनता है. इसके लिए हर माह श्री सांवलियाजी मंदिर मंडल 15 किलो वजनी 1000 टीन घी के चितौड़गढ़ डेयरी से क्रय करता है. इसके लिए करीब 70 लाख का भुगतान डेयरी को किया जाता है.

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लॉकडाउन में मंदिरों के बन्द होने से भी घी की सप्लाई में काफी फर्क पड़ा है. पिछले तीन माह से श्री सांवरियाजी मंदिर मंडल के बंद होने से 45 टन घी की बिक्री प्रभावित हुई है. वर्तमान में घी की छोटी पैकिंग यानी एक एवं आधा लीटर में घी की मांग बनी हुई है. वहीं घी के दाम में लगभग प्रति किलो 20 रुपए की कमी आई है. जो पहले 470 रुपये प्रति किलो था. अब घी का दाम घटकर 450 रुपये हो गया है. 15 किलो घी के टीन पर 300 रुपये का फर्क पड़ा है.

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