चित्तौड़गढ़. एसीबी ने 60 हजार रुपए की रिश्वत के साथ गिरफ्तार किए बस्सी रेंजर और उसके नौकर को बुधवार को कोर्ट में पेश किया. यहां से दोनों को जेल भेज दिया गया है. इस पूरे मामले में एक और कर्मचारी की भूमिका भी संदिग्ध नजर आ रही है, जो कार्रवाई के बाद से ही फरार है. उसकी तलाश की जा रही है.
एसीबी स्पेशल यूनिट उदयपुर के इंस्पेक्टर आदर्श कुमार परिहार के अनुसार आरोपी कोटा हाल निवासी रेंजर बस्सी अब्दुल सलीम कुरैशी और उसका नौकर पार्सोली निवासी मदन लाल गुर्जर को कोर्ट के आदेश पर जेल भेज दिया गया. प्रकरण में वन कर्मी भरत मीणा की भूमिका संदेहास्पद पाई गई. कार्रवाई से पहले भरत मीणा ने फरियादी आवल खेड़ा निवासी भगवान लाल कुमावत से बात करवाई थी, जिसमें उसने ऑफिस आकर मंथली का हिसाब साफ करने को कहा था. कार्रवाई के बाद से भरत मीणा फरार है. उसकी तलाश की जा रही है.
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1 लाख का जुर्माना लगाया : उन्होंने बताया कि रेंजर अब्दुल सलीम के कोटा स्थित आवास की तलाशी लेने टीम गई थी, लेकिन उसके घर पर ताला लगा था. इस बारे में चित्तौड़गढ़ और उदयपुर एसपी के उच्चाधिकारियों को अवगत करा दिया गया है. बता दें कि फरियादी भगवान लाल घरेलू लकड़ी की खरीद बिक्री का काम करता है. रेंजर ने उसकी गाड़ी को पकड़ते हुए 1 लाख का जुर्माना लगा दिया, लेकिन फरियादी को केवल 25 हजार रुपए की रसीद दी गई.
मामला 60 हजार पर फिक्स हुआ : बाद में रेंजर ने उसे बस्सी इलाके में इस कारोबार को निर्बाध तरीके से करने के लिए मंथली बांधने को कहा. उसने अपने लिए 50 हजार और अपने स्टाफ के लिए 30 हजार की मांग करते हुए 25 हजार मंथली देने को कहा. अंत में यह मामला 60 हजार पर फिक्स हुआ. यही राशि देने के लिए फरियादी सोमवार सुबह रेंजर अब्दुल सलीम के सरकारी आवास पर गया था. यहां आरोपी ने राशि लेने के लिए अपने नौकर मदनलाल को भेज दिया, जो एसीबी के हत्थे चढ़ गया. एसीबी ने मदनलाल के साथ रेंजर को भी गिरफ्तार कर लिया.