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चित्तौड़गढ़: सैंपल दिया नहीं, फिर भी विधायक के रिश्तेदार को बता दिया कोरोना पॉजिटिव - विधायक चंद्रभान सिंह

चित्तौड़गढ़ विधायक चंद्रभान सिंह आक्या के परिवारजनों को बिना कोरोना सैंपल दिए कोरोना पॉजिटिव बता दिया गया. इसके बाद माना जा रहा है कि कोरोना की जांच रिपोर्ट में अदला-बदली का खेल बड़े पैमाने पर खेला जा रहा है. वहीं, विधायक चंद्रभानसिंह आक्या ने इन रिपोर्टों के आधार पर सरकार की मंशा पर ही सवाल उठाए हैं.

Report without sample, कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट, Chittorgarh News
चित्तौड़गढ़ में बिना सैंपल दिए विधायक के रिश्तेदार को बता दिया कोरोना पॉजिटिव
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Published : Sep 12, 2020, 8:12 PM IST

चित्तौड़गढ़. जिले में कुछ महीनों से कोरोना संक्रमित का आंकड़ा जिस तरह से बढ़ा है. उससे आमजन में भय का माहौल व्याप्त हो गया है. लेकिन, किस तरह से चित्तौड़गढ़ मुख्यालय पर चिकित्सालय प्रशासन द्वारा कोरोना सैंपल की जांच की जाती है और किस तरह से रिपोर्ट में हेरा-फेरी की जाती है. इसका उदाहरण चित्तौड़गढ़ में देखने को मिला. इसमें चित्तौड़गढ़ विधायक चंद्रभान सिंह आक्या के परिवारजनों को बिना कोरोना सैंपल दिए शाम को जारी हुई लिस्ट में पॉजिटिव बता दिया गया. ये मामला सामने आया तो देर रात चिकित्सालय प्रशासन ने आनन-फानन में एक और सूची जारी की, जिसमें विधायक के अन्य परिवारजनों को भी नेगेटिव भी बता दिया.

पढ़ें: पुलिसकर्मियों की पीसीसी पर मंडराया कोरोना का खतरा, अग्रिम आदेशों तक पीसीसी स्थगित

बता दें कि कोरोना की जांच रिपोर्ट में चित्तौड़गढ़ विधायक चंद्रभानसिंह आक्या के परिवारजनों में उनकी पत्नी, पुत्री और उनके साले को पॉजिटिव बताया गया गया था. लेकिन पता चला कि विधायक के साले रामप्रतापसिंह ने सैंपल देना तो दूर 5 दिन से वो चिकित्सालय ही नहीं गए. जब यह मामला सामने आया तब चिकित्सालय प्रशासन में हड़कंप मच गया. आनन-फानन में देर रात एक और सूची जारी की गई, जिसमें विधायक के परिजनों को नेगेटिव भी करार दे दिया गया. वहीं, उन्हें पहली सूची में पॉजिटिव बताया था. इसके बाद प्रश्न ये उठता है कि पहली सूची और दूसरी सूची में 2 घंटे का अंतराल रहा. ऐसे में 2 घंटे में विधायक के परिजन पॉजिटिव से नेगेटिव कैसे हो गए.

चित्तौड़गढ़ में बिना सैंपल दिए विधायक के रिश्तेदार को बता दिया कोरोना पॉजिटिव

इसके बाद माना जा रहा है कि कोरोना की जांच रिपोर्ट में अदला-बदली का खेल बड़े पैमाने पर खेला जा रहा है. खास तौर पर जब से चित्तौड़गढ़ में कोरोना जांच के लिए प्रयोगशाला की शुरुआत हुई है, तब से लेकर अभी तक ये खेल तेजी जारी है. इसके साथ ही पॉजिटिव मरीजों के मद से उठने वाले फंड पर चिकित्सालय प्रशासन की नजर रहती है.

पढ़ें: वैशाली पेट्रोल पंप लोगों ने जमकर काटा हंगामा, पेट्रोल-डीजल में पानी मिलाकर बेचने का आरोप

वहीं, विधायक चंद्रभानसिंह आक्या ने इन रिपोर्टों के आधार पर सरकार की मंशा पर ही सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा है कि जब से प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी है, तब से इस तरह की कई गड़बड़ियां की जा रही है. उन्होंने कहा कि नीचे के स्तर पर कोरोना को लेकर इस प्रकार की शिकायतें मिल रही थी. अब यह बात पुख्ता भी हो गई है. कोरोना के नाम से जनता परेशान है। चिकित्सालय में अव्यवस्थाओं का आलम है। आने वाले दिनों में व्यवस्थाओं में सुधार नहीं हुवा तो भाजपा के कार्यकर्ता जिला मुख्यालय पर व चिकित्सालय में जाकर प्रदर्शन करेंगे। वहीं चिकित्सा प्रशासन ने कम्प्यूटर ऑपरेटर की गलती से गलत रिपोर्ट आने की बात कही है। लेकिन कोई खुल कर इस पर बात करने को तैयार नहीं है.

चित्तौड़गढ़. जिले में कुछ महीनों से कोरोना संक्रमित का आंकड़ा जिस तरह से बढ़ा है. उससे आमजन में भय का माहौल व्याप्त हो गया है. लेकिन, किस तरह से चित्तौड़गढ़ मुख्यालय पर चिकित्सालय प्रशासन द्वारा कोरोना सैंपल की जांच की जाती है और किस तरह से रिपोर्ट में हेरा-फेरी की जाती है. इसका उदाहरण चित्तौड़गढ़ में देखने को मिला. इसमें चित्तौड़गढ़ विधायक चंद्रभान सिंह आक्या के परिवारजनों को बिना कोरोना सैंपल दिए शाम को जारी हुई लिस्ट में पॉजिटिव बता दिया गया. ये मामला सामने आया तो देर रात चिकित्सालय प्रशासन ने आनन-फानन में एक और सूची जारी की, जिसमें विधायक के अन्य परिवारजनों को भी नेगेटिव भी बता दिया.

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बता दें कि कोरोना की जांच रिपोर्ट में चित्तौड़गढ़ विधायक चंद्रभानसिंह आक्या के परिवारजनों में उनकी पत्नी, पुत्री और उनके साले को पॉजिटिव बताया गया गया था. लेकिन पता चला कि विधायक के साले रामप्रतापसिंह ने सैंपल देना तो दूर 5 दिन से वो चिकित्सालय ही नहीं गए. जब यह मामला सामने आया तब चिकित्सालय प्रशासन में हड़कंप मच गया. आनन-फानन में देर रात एक और सूची जारी की गई, जिसमें विधायक के परिजनों को नेगेटिव भी करार दे दिया गया. वहीं, उन्हें पहली सूची में पॉजिटिव बताया था. इसके बाद प्रश्न ये उठता है कि पहली सूची और दूसरी सूची में 2 घंटे का अंतराल रहा. ऐसे में 2 घंटे में विधायक के परिजन पॉजिटिव से नेगेटिव कैसे हो गए.

चित्तौड़गढ़ में बिना सैंपल दिए विधायक के रिश्तेदार को बता दिया कोरोना पॉजिटिव

इसके बाद माना जा रहा है कि कोरोना की जांच रिपोर्ट में अदला-बदली का खेल बड़े पैमाने पर खेला जा रहा है. खास तौर पर जब से चित्तौड़गढ़ में कोरोना जांच के लिए प्रयोगशाला की शुरुआत हुई है, तब से लेकर अभी तक ये खेल तेजी जारी है. इसके साथ ही पॉजिटिव मरीजों के मद से उठने वाले फंड पर चिकित्सालय प्रशासन की नजर रहती है.

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वहीं, विधायक चंद्रभानसिंह आक्या ने इन रिपोर्टों के आधार पर सरकार की मंशा पर ही सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा है कि जब से प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी है, तब से इस तरह की कई गड़बड़ियां की जा रही है. उन्होंने कहा कि नीचे के स्तर पर कोरोना को लेकर इस प्रकार की शिकायतें मिल रही थी. अब यह बात पुख्ता भी हो गई है. कोरोना के नाम से जनता परेशान है। चिकित्सालय में अव्यवस्थाओं का आलम है। आने वाले दिनों में व्यवस्थाओं में सुधार नहीं हुवा तो भाजपा के कार्यकर्ता जिला मुख्यालय पर व चिकित्सालय में जाकर प्रदर्शन करेंगे। वहीं चिकित्सा प्रशासन ने कम्प्यूटर ऑपरेटर की गलती से गलत रिपोर्ट आने की बात कही है। लेकिन कोई खुल कर इस पर बात करने को तैयार नहीं है.

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