चित्तौड़गढ़. कोरोना संक्रमण का असर उद्योगों के साथ ही सभी महकमों पर पड़ा है. लोग घरों में लॉक होकर रह गए, तो उद्योग इससे बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. चिकित्सा महकमा भी इससे अछूता नहीं रहा है. विशेष तौर पर आयुर्वेद में पंचकर्म सहित अन्य विधाओं पर भी इसका असर देखने को मिला है.
कोरोना संक्रमण के कारण ही करीब साढ़े 3 माह से अधिक समय तक आयुर्वेद में ना तो कहीं पंचकर्म से उपचार हुए और ना ही अन्य पद्धतियों से रोगियों का इलाज किया गया. इन सब के बीच अब जब थोड़ी सी लोगों को राहत महसूस होने लगी है. तो फिर से आयुर्वेद महकमा भी गति पकड़ने लगा है. नहीं तो साढ़े तीन महीने से आयुर्वेद में एक ही काम रह गया था, काढ़ा पिला कर लोगों की इम्युनिटी पॉवर बढ़ाना और कोरोना बचाव का संदेश देना.
भारतीय चिकित्सा पद्धति में आयुर्वेद का बहुत महत्व है. कई असाध्य रोग जो एलोपैथी में सही नहीं हो सकते हैं, उन्हें आयुर्वेद ने ठीक कर दिखाया है. ऐसे में परंपरागत उपचार पद्धति की आज भी लोगों के बीच साख है. पंच कर्म पद्धति इसका मुख्य ध्येय है. अन्य कई विधाएं आयुर्वेद में हैं, जिनसे लोगों का उपचार होता है. लेकिन कोरोना संक्रमण ने सभी जगह रोक लगा दी. ऐसे में आयुर्वेद विभाग भी थम सा गया.
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पंचकर्म में कोई काम नहीं हुआ है. आयुर्वेद में भी कई उपचार केवल दवाएं लिखने तक ही सीमित होकर रह गए. ऐसे में लोगों को आयुर्वेदिक उपचार पद्धति का लाभ नहीं मिल पाया. चिकित्सक केवल मौखिक देख कर ही उपचार कर रहे थे.
वहीं दूसरी तरफ विभिन्न असाध्य रोगों से पीड़ित रोगी भी दर्द से कराह रहे थे. इन लोगों को समय पर उपचार नहीं मिल रहा था. अब जब कोरोना के रोगी रिकॉर्ड संख्या में बढ़ रहे ,हैं तो वहीं लोगों की आवाजाही भी सरकार के आदेश पर रियायत मिलने के बाद पूरी तरह से शुरू हो गई है. ऐसे में आयुर्वेद महकमे में भी अब पंचकर्म सहित अन्य विधाओं से उपचार करना शुरू कर दिया है. ऐसे में लोगों को राहत मिलना शुरू हो गई है.
चितौड़गढ़ जिला मुख्यालय पर दो राजकीय आयुर्वेद चिकित्सालय है. एक तो जिला चिकित्सालय परिसर में है. यहां एक ही छत के नीचे आयुर्वेद, यूनानी व होम्योपैथी चिकित्सक हैं. यहां भी आयुर्वेद की सभी विधाओं से उपचार होता आया है. वहीं पुराने शहर में भी राजकीय आयुर्वेद चिकित्सालय है, जहां भारी भीड़ रहती है.
निकट संपर्क के कारण रहता है कोरोना का खतरा
जानकारी में सामने आया कि आयुर्वेद में अधिकांश रोगों के उपचार में चिकित्सक व नर्सिंग स्टाफ का रोगी के साथ निकट संपर्क बहुत ज्यादा रहता है. इसी कारण कोरोना संक्रमण फैलने की संभावना अन्य चिकित्सा पद्धतियों के मुकाबले आयुर्वेद में अधिक रहती है. यही कारण है कि ना तो मरीज रुचि दिखा रहे हैं, नहीं आगे बढ़कर चिकित्सक. फिलहाल आयुर्वेद चिकित्सक केवल उपचार की सलाह देकर दवा लिख रहे थे, लेकिन अब विभिन्न विधाओं से उपचार की शुरुआत कर दी गई है और आयुर्वेद में भी उपचार किए जा रहे हैं.
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आयुर्वेद में है यह प्रमुख विधाएं
- पंचकर्म में पूर्व कर्म जिसमें मालिश, स्नेहन, स्वेदन आते हैं.
- प्रधान कर्म में वमन, विरेचन, भस्ति, शिरोधारा, शिरो भस्ति, नस्य कर्म आते हैं.
- वहीं पश्चात कर्म में भोजन सम्बंधित सलाह दी जाती है.
- युर्वेद में शल्य कर्म भी आते हैं.
- अग्निकर्म से उपचार, जलोका अवचरण पद्धति है.
प्रिंटर पर दे रहे दवाओं की पर्ची
आयुर्वेद महकमे के चिकित्सक भी कोरोना संक्रमण नहीं फैले, इसको लेकर एहतियात बरत रहे हैं. स्थिति यह हो गई है कि जिला चिकित्सालय परिसर स्थित आयुर्वेद चिकित्सालय के चिकित्सक डॉक्टर सौरभ हाड़ा तो मरीज के निकट कांटेक्ट में नहीं आने का प्रयास कर रहे हैं. मरीज से बातचीत कर उसे सलाह दे रहे हैं और पर्ची पर दवा लिखकर उसका मोबाइल से फोटो खींच प्रिंटर से प्रिंट दे रहे हैं.