चित्तौड़गढ़. पेट्रोलियम पदार्थों की बढ़ती कीमतों को लेकर प्रदेश के सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना ने केंद्र सरकार की जमकर आलोचना की. उन्होंने कहा कि यह आमजन से जुड़ा हुआ मामला है. जब भी कीमतों में वृद्धि होती है उसका असर गरीब से लेकर अमीर हर तबके पर पड़ता है. नतीजतन महंगाई बढ़ रही है. सहकारिता मंत्री ईटीवी भारत से बातचीत कर रहे थे.
उन्होंने इस मुद्दे पर मोदी सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि साल 2014 के आम चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित भारतीय जनता पार्टी पेट्रोल और डीजल के दाम को लेकर तत्कालीन सरकार को पानी पी पीकर कोसा करती थी. यहां तक की पेट्रोल डीजल की कीमत ₹40 तक करने का वायदा किया गया था, लेकिन आज हर दिन कि बढ़ रही पेट्रोल डीजल की कीमत ₹100 के पार हो चुकी है.
उन्होंने कहा कि कहना और करना इसमें बहुत फर्क होता है. पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में वृद्धि का खामियाजा हर वर्ग भुगत रहा है. निश्चित तौर पर जनता समय आने पर इसका जवाब देगी. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि आज पेट्रोलियम पदार्थों से केंद्र सरकार सबसे ज्यादा टैक्स वसूल रही है. वे लोग हम पर टैक्स वसूली का आरोप लगाते हैं जबकि ये हमारी मजबूरी हो चुकी है.
केंद्र सरकार कोरोना के बावजूद सबसे ज्यादा 500 लाख करोड़ रुपए की वसूली पेट्रोलियम पदार्थों से कर चुकी है, लेकिन उसके बदले राज्य सरकारों को उनका हिस्सा नहीं दिया जा रहा है. राज्य सरकार के पास कोई अन्य विकल्प नहीं है. एक तो जीएसटी का हिस्सा नहीं दिया जा रहा है तो दूसरी ओर पेट्रोलियम पदार्थों पर एसजीएसटी को लेकर भी हमको बदनाम किया जा रहा है. सरकार को कोरोना की इस महामारी के दौरान आमजन की पीड़ा समझते हुए पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों को कम करने पर विचार करना चाहिए.
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सहकारिता विभाग (cooperative Department) के कामकाज पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि हमने डिफाल्टर किसानों को भी लोन दिया है. पहले डिफाल्टर किसानों को फसली ऋण नहीं दिया जाता था लेकिन हमने 1200000 नए किसानों को जोड़ते हुए उन्हें भी फसली ऋण का पात्र मानते हुए नई व्यवस्था शुरू की जिसका किसानों को फायदा मिल रहा है.
राजस्थान सरकार में खींचतान संबंधी एक सवाल पर उन्होंने कहा कि यह तो केवल एक मनोरंजन है ताकि लोगों की जिज्ञासा बनी रहे. हकीकत में अशोक गहलोत सरकार बहुत मजबूत है और अपने 5 साल पूरे करेगी. कुछ वरिष्ठ लोग अपनी बात उठा रहे हैं जो कि सरकार से बाहर है उन्हें अपनी बात रखने का अधिकार है, लेकिन यह पूरा मामला मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के क्षेत्राधिकार में है. हमारी सरकार को किसी भी प्रकार का खतरा नहीं है और पूरे समय तक सरकार चलेगी.