चित्तौड़गढ़. कांग्रेस प्रवक्ता और वरिष्ठ नेता मोहन प्रकाश सोमवार को मीडिया से रूबरू हुए. कांग्रेस के ग्राफ में लगातार गिरावट पर मोहन प्रकाश ने कहा कि केवल छह साल से हमारी सरकार नहीं है. अब देश की जनता फिर से कांग्रेस की ओर देख रही है और आने वाले समय में पार्टी और भी मजबूती के साथ उभर कर आएगी.
उन्होंने कहा कि साल 2014 में मोदी झूठ और गलत आश्वासनों के जरिए सरकार बनाने में कामयाब हुए थे. लेकिन धीरे-धीरे जनता के सामने उनकी असलियत सामने आती जा रही है. जनता को फिर से कांग्रेस राज की याद आ रही है और आज जो देश में हालात बन रहे हैं. उससे अगले चुनाव में हम फिर से वापसी करेंगे. छोटे-छोटे दलों से गठबंधन के सवाल पर प्रकाश ने कहा कि उत्तर प्रदेश, बिहार और महाराष्ट्र में कई क्षेत्रीय दलों से गठबंधन चल रहे हैं. यह कोई नई बात नहीं है. जहां भी जिस दल से हमारी विचारधारा मेल खाएगी, उसके साथ गठबंधन होगा.
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कृषि कानूनों को कॉरपोरेट कानून करार देते हुए उन्होंने कहा कि यह केवल नाम के कृषि कानून हैं. हकीकत में चंद कॉरपोरेट घरानों को फायदा देने के लिए लाए गए कानून हैं. किसानों का तो सिर्फ नाम है. इन कानूनों से देश की करीब 80 प्रतिशत आबादी प्रभावित होगी. इन कानूनों के जरिए सरकार ने भंडारण की सीमा खत्म कर देश और दुनिया की बड़ी आर्थिक शक्तियों को सौंप दिया. यह लोग जब फसल आएगी तो फसल आएगी तो सस्ते में खरीदेंगे और बाद में बाजार में उपभोक्ताओं का शोषण करेंगे. इस सरकार ने सबसे बड़ा अपराध यह किया है कि खाद्यान्न, तिलहन और आलू सहित कई वस्तुओं को आवश्यक वस्तु अधिनियम के दायरे से बाहर कर दिया.
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इसके जरिए एक प्रकार से सरकार ने मुनाफाखोरी को कानूनी अमलीजामा पहना दिया है. बीजेपी के जरिए किसान आंदोलन को दो राज्यों का आंदोलन बताने के सवाल पर मोहन प्रकाश ने कहा कि सरकार लोगों को भ्रमित कर रही है. किसान आंदोलन के नेता आंध्रप्रदेश के वीएस राव हैं, जो खुद धरना स्थल पर पहुंचे और 2 लाख रुपए की सहयोग राशि दी. तमिलनाडु से 300 किसान रेल के जरिए धरना स्थल पर पहुंच रहे थे, लेकिन सरकार ने ट्रेन ही निरस्त कर दी. खुद महाराष्ट्र के एक मंत्री मोटरसाइकिल पर 500 लोगों के साथ धरना स्थल पर आए हैं. फिर इसे कैसे दो राज्यों का आंदोलन कहा जा सकता है.
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मोहन प्रकाश ने कहा कि यदि यह आंदोलन दो राज्यों का भी है तो क्या, उन किसानों की आवाज नहीं सुनी जानी चाहिए. यह केवल भारतीय जनता पार्टी का झूठा तर्क है. जब से अध्यादेश लाए गए, तब से ही इनका विरोध कर रहे हैं और 2 करोड़ लोगों का हस्ताक्षर कर खुद ज्ञापन राष्ट्रपति को देकर आए हैं. वहीं संसद में अभी हमने इसका विरोध किया. उसी का नतीजा रहा कि हमारे कई सांसदों को बाहर तक किया गया.
आंदोलन के भविष्य पर उन्होंने कहा कि बड़ी से बड़ी ताकतों को भी जनता के सामने झुकना पड़ा है. यह असंवेदनशील बर्बर सरकार है, जो कि अपने मालिकों को खुश करने के लिए किसानों के साथ वार्ता का नाटक कर रही है. वार्ता के लिए पंद्रह-पंद्रह दिन का समय दिया जा रहा है. जो कि सरकार के ढोंग की पोल खोलता है. पार्टी के शीर्ष नेताओं ने पार्टी अध्यक्ष को पत्र भेजे जाने संबंधी सवाल पर उन्होंने कहा कि सब इश्यू खत्म हो चुके हैं और पार्टी फिर से मजबूत हो रही है. इस मौके पर सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना, पूर्व विधायक सुरेंद्र सिंह जाड़ावत, प्रकाश चौधरी, कपासन प्रधान भैरू लाल चौधरी और नगर परिषद के पूर्व सभापति रमेश नाथ योगी सहित कई अन्य लोग मौजूद रहे.