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चित्तौड़गढ़: कामधेनु दीपावली महोत्सव का समापन, बीजारोपण का माध्यम बना

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Published : Dec 3, 2020, 12:41 PM IST

चितौड़गढ़ के चित्तौड़ दुर्ग पर कामधेनु दीपावली के रूप में अखिल भारतीय स्तर के भव्य कार्यक्रम का समापन बुधवार रात को हजारों हजार वृक्षों के श्री नीलिया महादेव वन क्षेत्र में बीजारोपण का माध्यम बना. समापन पर संतों और अतिथियों ने गुलेल के माध्यम से बीजारोपण की शुरुआत की गई.

Kamadhenu Deepavali Festival
कामधेनु दीपावली महोत्सव का समापन

चित्तौड़गढ़. चित्तौड़ दुर्ग पर कामधेनु दीपावली के रूप में अखिल भारतीय स्तर के भव्य कार्यक्रम का समापन बुधवार रात को हजारों हजार वृक्षों के श्री नीलिया महादेव वन क्षेत्र में बीजारोपण का माध्यम बना. समापन पर संतों और अतिथियों ने गुलेल के माध्यम से बीजारोपण की शुरुआत की. श्री नीलिया महादेव गौशाला समिति के सचिव कमलेश पुरोहित ने बताया कि कार्यक्रम का शुभारंभ चित्तौड़ दुर्ग पर एक लाख गोबर निर्मित दीपक प्रज्वलन से हुआ था, उन्हीं दीपक में गोबर, हल्दी और गोघृत के साथ विभिन्न प्रकार के भारतीय वृक्षों के बीज लगा कर भगवान गोवर्धन बनाये गये. देव दीपावली तक उनकी पूजा अर्चना की गई. इसके उपरांत विधिवत उनका विसर्जन किया गया. इस दौरान ध्यान योगी उत्तम स्वामी के सानिध्य में मुख्य अतिथि गजेंद्र सिंह, अखिल भारतीय सह संगठन मंत्री भारतीय किसान संघ, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय अधिकारी वर्धन, संत सीताराम त्यागी और विशिष्ट अतिथि पंडित विष्णु दत्त शर्मा, सचिव कृषि उपज मंडी नोहर, स्थानीय विधायक चंद्रभान सिंह आक्या सहित सभी गौ भक्त मौजूद रहे.

Kamadhenu Deepavali, चित्तौड़गढ़ में दीपावली महोत्सव का समापन
चित्तौड़गढ़ में कामधेनु दीपावली महोत्सव का समापन

यह भी पढ़े: भीलवाड़ा में ACB की कार्रवाई, 1 लाख रुपए की रिश्वत लेते तीन अधिशासी अभियंता रंगे हाथों गिरफ्तार

इस अवसर पर सुंदर दीपोत्सव गोमय के दीपकों से किया गया. राग केदार में ‘‘गोमय दीप जलाओ- भारत राष्ट्र जगाओ’’ की धुन के साथ हजारों दीपक जलाए गए. वहीं बुधवार रात हजारों की संख्या में बनी हुई सीड बोल जो निरंतर गोबर, हल्दी, घी और गोमय दीप से बीजारोपण के लिए उन्नत बन चुके थे उन्हें वन क्षेत्र में स्थापित करने के लिए परंपरागत साधन ‘‘गोपन और गुलेल’’ का उपयोग किया. प्रथम सीड बोल को वन क्षेत्र में मुख्य अतिथि ने छोड़ा. तब पूरा वातावरण भगवान गोपनधारी और गुलेलधारी श्री कृष्ण के जयकारे से गूंज उठा. इससे पूर्व भगवान गोवर्धन की विधिवत पूजा की गई और गोपन और गुलेल की भी वैदिक मंत्रों के साथ एकादश फीट के गणपति के समक्ष भगवान श्री कृष्ण के कर कमलों में धारण कराकर विधिवत पूजा की गई. इस दौरान मुख्य अतिथि गजेंद्र सिंह ने कहा गया कि देश की ख्याति और आत्मा का प्रतीक केवल और केवल गाय हैं.

चित्तौड़गढ़. चित्तौड़ दुर्ग पर कामधेनु दीपावली के रूप में अखिल भारतीय स्तर के भव्य कार्यक्रम का समापन बुधवार रात को हजारों हजार वृक्षों के श्री नीलिया महादेव वन क्षेत्र में बीजारोपण का माध्यम बना. समापन पर संतों और अतिथियों ने गुलेल के माध्यम से बीजारोपण की शुरुआत की. श्री नीलिया महादेव गौशाला समिति के सचिव कमलेश पुरोहित ने बताया कि कार्यक्रम का शुभारंभ चित्तौड़ दुर्ग पर एक लाख गोबर निर्मित दीपक प्रज्वलन से हुआ था, उन्हीं दीपक में गोबर, हल्दी और गोघृत के साथ विभिन्न प्रकार के भारतीय वृक्षों के बीज लगा कर भगवान गोवर्धन बनाये गये. देव दीपावली तक उनकी पूजा अर्चना की गई. इसके उपरांत विधिवत उनका विसर्जन किया गया. इस दौरान ध्यान योगी उत्तम स्वामी के सानिध्य में मुख्य अतिथि गजेंद्र सिंह, अखिल भारतीय सह संगठन मंत्री भारतीय किसान संघ, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय अधिकारी वर्धन, संत सीताराम त्यागी और विशिष्ट अतिथि पंडित विष्णु दत्त शर्मा, सचिव कृषि उपज मंडी नोहर, स्थानीय विधायक चंद्रभान सिंह आक्या सहित सभी गौ भक्त मौजूद रहे.

Kamadhenu Deepavali, चित्तौड़गढ़ में दीपावली महोत्सव का समापन
चित्तौड़गढ़ में कामधेनु दीपावली महोत्सव का समापन

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इस अवसर पर सुंदर दीपोत्सव गोमय के दीपकों से किया गया. राग केदार में ‘‘गोमय दीप जलाओ- भारत राष्ट्र जगाओ’’ की धुन के साथ हजारों दीपक जलाए गए. वहीं बुधवार रात हजारों की संख्या में बनी हुई सीड बोल जो निरंतर गोबर, हल्दी, घी और गोमय दीप से बीजारोपण के लिए उन्नत बन चुके थे उन्हें वन क्षेत्र में स्थापित करने के लिए परंपरागत साधन ‘‘गोपन और गुलेल’’ का उपयोग किया. प्रथम सीड बोल को वन क्षेत्र में मुख्य अतिथि ने छोड़ा. तब पूरा वातावरण भगवान गोपनधारी और गुलेलधारी श्री कृष्ण के जयकारे से गूंज उठा. इससे पूर्व भगवान गोवर्धन की विधिवत पूजा की गई और गोपन और गुलेल की भी वैदिक मंत्रों के साथ एकादश फीट के गणपति के समक्ष भगवान श्री कृष्ण के कर कमलों में धारण कराकर विधिवत पूजा की गई. इस दौरान मुख्य अतिथि गजेंद्र सिंह ने कहा गया कि देश की ख्याति और आत्मा का प्रतीक केवल और केवल गाय हैं.

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