चित्तौड़गढ़. शहर में जल आपूर्ति को लेकर विवाद की स्थिति बनती दिख रही है. घोसुंडा बांध जलापूर्ति का प्रमुख स्रोत है, जो कि लगातार खाली होता जा रहा है. जलदाय विभाग ने पेयजल की संकट की आशंका को देखते हुए जिला प्रशासन ने 15 जनवरी से 48 घंटे के अंतराल में आपूर्ति का निर्णय किया था लेकिन कांग्रेस नेताओं के विरोध को देखते हुए आखिरकार प्रशासन ने इस निर्णय को स्थगित कर दिया है.
चित्तौड़गढ़ में पेयजल संकट को देखते हुए जलदाय विभाग ने हर तीसरे दिन पेयजल सप्लाई का निर्णय लिया था. इसको लेकर पूर्व विधायक सुरेंद्र सिंह जाड़ावत और नगर परिषद सभापति संदीप शर्मा ने इस संबंध में जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के अधिकारियों से चर्चा करते हुए पानी की वर्तमान स्थिति की जानकारी ली. शहर के लिए किस-किस जल स्त्रोत से कितना कितना पानी लिया जा रहा है और अगले दिनों में कितने पानी की जरूरत होगी, इन सब बिंदुओं पर चर्चा की गई. चर्चा के बाद दोनों ही नेताओं ने 48 घंटे के अंतराल में जलापूर्ति के निर्णय पर असहमति जताते हुए कहा कि फिलहाल, सर्दी के चलते पानी की खपत बहुत कम है और 48 घंटे में जलापूर्ति का निर्णय जल्दबाजी में लिया गया है.
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पूर्व विधायक जाड़ावत और सभापति शर्मा ने इस संबंध में जिला कलेक्टर केके शर्मा से भी बातचीत की और उन्हें विभागीय अधिकारियों की ओर से उपलब्ध कराई गई जानकारी से अवगत कराया. कलेक्टर शर्मा ने भी दोनों ही नेताओं की भावनाओं के प्रति सहमति जताते हुए इस संबंध में व्यापक स्तर पर चर्चा के बाद निर्णय किए जाने पर अपनी सहमति जताई.
इसके साथ ही 15 जनवरी से हर तीसरे दिन पानी दिए जाने के निर्णय को स्थगित कर दिया गया. कांग्रेस नेताओं ने आगामी दिनों में ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल संकट के हालातों को देखते हुए शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में टैंकर से पानी उपलब्ध कराए जाने का भी आग्रह किया है.