चित्तौड़गढ़. पढ़ाई की ललक और नाबालिग उम्र में शादी के डर से एक 17 साल की लड़की ने अपना घर छोड़ भीलवाड़ा से चित्तौड़गढ़ पहुंच गई. कम उम्र में परिवार शादी का दबाव डाल रहा था. इस नाबालिग को चाइल्ड लाइन ने ओपन शेल्टर होम में अस्थाई रूप से आश्रय दिलवाया.
चाइल्ड लाइन चित्तौड़गढ़ के निदेशक भोजराज सिंह ने बताया कि एक 17 साल बालिका चित्तौड़गढ़ जिला मुख्यालय पर बिरला हॉस्पीटल के सामने स्थित राजीव पार्क में निराश्रित अवस्था में बैठी थी और रो रही थी. बालिका को रोते हुए देख आस-पास कई लोग और महिलाएं एकत्रित हो गई और बालिका से बात करने का प्रयास किया. लेकिन बालिका ने कोई भी जवाब नहीं दिया. इस पर लोगों ने चित्तौड़गढ़ चाइल्ड लाइन को इसकी सूचना दी.
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सूचना पर जिला समन्वयक भूपेन्द्र सिंह, टीम सदस्य करण जीनवाल, ज्योति चुड़ावत मौके पर पहुंचे. टीम ने बिरला हॉस्पिटल पहुंच कर बालिका से बात करनी चाही तो बालिका उस समय कुछ नहीं बोली. इसके बाद टीम बालिका को लेकर चाइल्ड लाइन ऑफिस पहुंची और बालिका सें प्रारंभिक कांउन्सलिंग की. इस दौरान बालिका ने बताया कि वो भीलवाड़ा की रहने वाली है और उसके घर वाले उसकी जबरन शादी करवाना चाहते थे लेकिन उसके की ओर से मना करने पर उसके परिजन उससे ठीक व्यवहार नहीं करते हैं. इसलिए वो 4-5 दिन पहले ही किसी को बिना बताए घर सें निकल गई. कुछ दिन इधर-उधर घूम कर गुरुवार सुबह चित्तौड़गढ़ पहुंची हैं.
छात्रा आगे पढ़ना चाहती है
बालिका ने आगे बताया कि वो कक्षा 11वीं की छात्रा है और आगे पढ़ना चाहती है. इसके बाद चाइल्ड लाइन की टीम ने बालिका को बाल कल्याण समिति चित्तौड़गढ़ के अध्यक्ष रमेश दशोरा, सदस्य मंजू जैन, फारूक खान पठान के समक्ष प्रस्तुत किया, जहां समिति ने विचार-विर्मश के बाद बालिका को बालिका ओपन शेल्टर होम, चित्तौड़गढ़ में अस्थाई आश्रय दिलवाया. मामले में समिति आगे कांउन्सलिंग के आधार पर नियमानुसार कार्यवाही करेगी.