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Chittorgarh News: भटक कर कर्नाटक पहुंच गई थी किशोरी, कन्नड़ भाषा सीखी...आठ माह बाद परिजनों को सौंपा - etv bharat rajasthan news

भटक कर कर्नाटक पहुंची चित्तौड़गढ़ की एक किशोरी को आज बेंगलुरु की बाल कल्याण समिति (Bangalore Child Welfare Society) वापस उसके जिले लेकर आई. जहां आवश्यक कार्रवाई के बाद उसे परिजनों के हवाले कर दिया गया. आठ माह बाद किशोरी को पाकर माता-पिता की खुशी का ठिकाना नहीं रहा.

Bangalore Child Welfare Society, Chittorgarh Child Welfare Committee
किशोरी को बेंगलुरु की बाल कल्याण समिति लेकर पहुंची चित्तौड़गढ़
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Published : Dec 30, 2021, 9:24 PM IST

चित्तौड़गढ़. जिले के बड़ीसादड़ी क्षेत्र से एक किशोरी आठ माह पूर्व भटक कर कर्नाटक के बेंगलुरु पहुंच गई थी. जिसे आज बेंगलुरु की बाल कल्याण समिति (Bangalore Child Welfare Society) वापस उसके जिले लेकर पहुंची. जिसके बाद चित्तौड़गढ़ बाल समिति (Chittorgarh Child Welfare Committee) ने आवश्यक कार्रवाई के बाद उसे परिजनों को सौंप दिया. किशोरी को पाकर माता-पिता की खुशी का ठिकाना नहीं रहा.

जानकारी में सामने आया कि बाल कल्याण समिति ने चित्तौड़गढ़ की बड़ीसादड़ी क्षेत्र की ग्राम पिंड की किशोरी को उसके माता पिता के पास पहुंचा दिया है. बालिका गांव पिंड से करीब 8 माह पूर्व अचानक गुमशुदा हो गई थी. अज्ञात कारणों के चलते बालिका कर्नाटक के बेंगलुरु पहुंच गई थी. जिसे चाइल्ड लाइन ने दस्तयाब किया. बाद में बालिका को बाल कल्याण समिति बेंगलुरु में प्रस्तुत किया गया. जहां से किशोरी को बालिका गृह में भेज दिया गया. किशोरी से पूछताछ की गई तो उसने बताया कि वह चित्तौड़गढ़ से है. इसपर बेंगलुरु बाल कल्याण समिति ने चित्तौड़गढ़ संपर्क किया और उसके परिजनों का पता लगाया.

पढ़ें.Good News : परसा ईस्ट और कांते बेसन कोल ब्लॉक 2nd Phase को मिली क्लीयरेंस, जल्द शुरू होगा कोयले का उत्पादन

बालिका व उनके परिजनों की सामाजिक जांच रिपोर्ट बाल कल्याण समिति बेंगलुरु भेजवाई गई. करीब 8 माह के प्रयास के बाद बालिका को 2 दिन पूर्व बाल कल्याण समिति चित्तौड़गढ़ भेजा गया. जहां उसके माता-पिता पहले से मौजूद थे. जो बालिका को देखकर अत्यंत खुश हुए. बालिका अपने माता-पिता से मिलकर उनके साथ जाने के लिए तुरंत तैयार हो गई.

बालिका को आसरा विकास संस्था में आवासित किया गया. गुरुवार को फिर बालिका के माता-पिता उसे लेने के लिए बाल कल्याण समिति के समक्ष उपस्थित हुए. बालिका के साथ चर्चा करने के बाद बाल कल्याण समिति के पूर्व अध्यक्ष सदस्य रमेश दशोरा, सदस्य मंजू जैन ने आपसी विचार-विमर्श कर बालिका के माता-पिता और बालिका से चर्चा की. जिसके बाद किशोरी को परिजनों को सौंप दिया गया.

किशोरी ने बेंगलुरु के बालिका गृह में रहते हुई अच्छी पढ़ाई के साथ ही कन्नड़ भाषा भी पूरी तरह सीख ली. अब इसे हिंदी भाषा पर भी कुशलता प्राप्त करनी है. बालिका ने अपने माता-पिता के साथ रहकर अपनी पढ़ाई लगातार जारी रखने एवं अपनी छोटी बहन को भी अपने साथ रहने की इच्छा जाहिर की.

चित्तौड़गढ़. जिले के बड़ीसादड़ी क्षेत्र से एक किशोरी आठ माह पूर्व भटक कर कर्नाटक के बेंगलुरु पहुंच गई थी. जिसे आज बेंगलुरु की बाल कल्याण समिति (Bangalore Child Welfare Society) वापस उसके जिले लेकर पहुंची. जिसके बाद चित्तौड़गढ़ बाल समिति (Chittorgarh Child Welfare Committee) ने आवश्यक कार्रवाई के बाद उसे परिजनों को सौंप दिया. किशोरी को पाकर माता-पिता की खुशी का ठिकाना नहीं रहा.

जानकारी में सामने आया कि बाल कल्याण समिति ने चित्तौड़गढ़ की बड़ीसादड़ी क्षेत्र की ग्राम पिंड की किशोरी को उसके माता पिता के पास पहुंचा दिया है. बालिका गांव पिंड से करीब 8 माह पूर्व अचानक गुमशुदा हो गई थी. अज्ञात कारणों के चलते बालिका कर्नाटक के बेंगलुरु पहुंच गई थी. जिसे चाइल्ड लाइन ने दस्तयाब किया. बाद में बालिका को बाल कल्याण समिति बेंगलुरु में प्रस्तुत किया गया. जहां से किशोरी को बालिका गृह में भेज दिया गया. किशोरी से पूछताछ की गई तो उसने बताया कि वह चित्तौड़गढ़ से है. इसपर बेंगलुरु बाल कल्याण समिति ने चित्तौड़गढ़ संपर्क किया और उसके परिजनों का पता लगाया.

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बालिका व उनके परिजनों की सामाजिक जांच रिपोर्ट बाल कल्याण समिति बेंगलुरु भेजवाई गई. करीब 8 माह के प्रयास के बाद बालिका को 2 दिन पूर्व बाल कल्याण समिति चित्तौड़गढ़ भेजा गया. जहां उसके माता-पिता पहले से मौजूद थे. जो बालिका को देखकर अत्यंत खुश हुए. बालिका अपने माता-पिता से मिलकर उनके साथ जाने के लिए तुरंत तैयार हो गई.

बालिका को आसरा विकास संस्था में आवासित किया गया. गुरुवार को फिर बालिका के माता-पिता उसे लेने के लिए बाल कल्याण समिति के समक्ष उपस्थित हुए. बालिका के साथ चर्चा करने के बाद बाल कल्याण समिति के पूर्व अध्यक्ष सदस्य रमेश दशोरा, सदस्य मंजू जैन ने आपसी विचार-विमर्श कर बालिका के माता-पिता और बालिका से चर्चा की. जिसके बाद किशोरी को परिजनों को सौंप दिया गया.

किशोरी ने बेंगलुरु के बालिका गृह में रहते हुई अच्छी पढ़ाई के साथ ही कन्नड़ भाषा भी पूरी तरह सीख ली. अब इसे हिंदी भाषा पर भी कुशलता प्राप्त करनी है. बालिका ने अपने माता-पिता के साथ रहकर अपनी पढ़ाई लगातार जारी रखने एवं अपनी छोटी बहन को भी अपने साथ रहने की इच्छा जाहिर की.

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