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चित्तौड़गढ़ः बाढ़ में फंसे स्कूली बच्चों समेत 254 को किया गया रेस्क्यू...3 दिन बाद देखी बाहरी दुनिया

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के अचानक कोटा आगमन के बाद आखिरकार प्रशासन हरकत में आया और मंगलवार दोपहर में स्कूल में फंसे बच्चों समेत 254 लोगों को बाहर निकाला गया. वहीं जब तीन दिन बाद बच्चों ने बाहर की दुनिया देखी तो परिजनों की जान में जान आई.

चित्तौड़गढ़ में रेस्क्यू अभियान,Rescue campaign in Chittorgarh
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Published : Sep 16, 2019, 6:06 PM IST

चित्तौड़गढ़. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के अचानक कोटा आगमन के बाद आखिरकार प्रशासन हरकत में आया और स्कूल में फंसे बच्चों समेत 254 लोगों को बाहर निकाला गया. वहीं जब तीन दिन बाद बच्चों ने बाहर की दुनिया देखी तो परिजनों की जान में जान आई.

अभियान चला कर रेस्क्यू किए गए 254 लोग

बता दें कि प्रताप सागर बांध के 14 गेट खोले जाने के बाद चित्तौड़गढ़ रावतभाटा राजमार्ग अवरुद्ध चल रहा है. वहीं नवनिर्मित पावला पुलिया पर भी पानी चल रहा है. ऐसे में आदर्श विद्या मंदिर के बच्चे स्कूल में ही कैद होकर रह गए. जिनके लिए ग्रामीणों ने खाने-पीने और रहने की व्यवस्था की. सूचना के घंटों बाद भी प्रशासन ने इन बच्चों को निकालने के लिए कोई प्रयास नहीं किया. यहां तक की प्रशासन ने स्कूल में फंसे बच्चों के लिए खाने-पीने और रहने की कोई व्यवस्था नहीं की.

पढ़ें : Etv Bharat ने जानी बढ़ती महंगाई पर महिलाओं के मन की बात

वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कोटा दौरे पर होने की सूचना के बाद प्रशासन ने स्कूल में फंसे बच्चों को निकालने के लिए आदेश जारी किया. जिसके बाद आपदा सचिव के निर्देशों के बाद जिला कलेक्टर स्वर्णकार अधिकारियों के साथ मौके पर पहुंची और एनडीआरएफ और एसडीआरएफ टीम भी रावतभाटा पहुंच गई. लेकिन स्कूल के चारों ओर मार्ग बंद होने के कारण दोनों ही टीमों ने संयुक्त तौर पर रेस्क्यू अभियान चलाया. जिसके लिए एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम मध्य प्रदेश के सिंगरौली होते हुए वैष्णो गढ़ पहुंची और वहां से बड़वा का खाल और मोतीपुरा नाला को अपने अभियान का हिस्सा बनाया.

दोनों ही टीमों ने पहले प्रयास के तौर पर कुछ ट्रैक्टर और निजी बस मंगवाई. जिसमें प्रयोग के तौर पर ट्रैक्टरों के पीछे बसों को रखा गया और धीरे-धीरे बसों को पानी के बाहर निकाला गया. वहीं जब यह प्रयोग सफल रहा तो बाद में बच्चों को स्कूल बस में बिठाया गया.

पढ़ेंः घबराने की जरूरत नहीं, यह असम-बिहार जैसी बाढ़ नहीं : गहलोत

वहीं इस रेस्क्यू अभियान में दोनों टीमों के साथ में ग्रामीणों ने बच्चों को बाहर निकालने में मदद की और बच्चों को सुरक्षा के साथ दूसरे छोर पर पहुंचाया. जानकारी के अनुसार 254 लोगों को रेस्क्यू कर बाहर निकाला गया है. जहां रेस्क्यू अभियान में करीब 4 घंटे तक दोनों टीमों ने कड़ी मेहनत की. जिसके बाद अब रेस्क्यू किए गए बच्चों को सिंगरौली होते हुए ताल और वहां से रावतभाटा पहुंचाया जा रहा है. जहां बच्चों के माता पिता उनका बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं.

चित्तौड़गढ़. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के अचानक कोटा आगमन के बाद आखिरकार प्रशासन हरकत में आया और स्कूल में फंसे बच्चों समेत 254 लोगों को बाहर निकाला गया. वहीं जब तीन दिन बाद बच्चों ने बाहर की दुनिया देखी तो परिजनों की जान में जान आई.

अभियान चला कर रेस्क्यू किए गए 254 लोग

बता दें कि प्रताप सागर बांध के 14 गेट खोले जाने के बाद चित्तौड़गढ़ रावतभाटा राजमार्ग अवरुद्ध चल रहा है. वहीं नवनिर्मित पावला पुलिया पर भी पानी चल रहा है. ऐसे में आदर्श विद्या मंदिर के बच्चे स्कूल में ही कैद होकर रह गए. जिनके लिए ग्रामीणों ने खाने-पीने और रहने की व्यवस्था की. सूचना के घंटों बाद भी प्रशासन ने इन बच्चों को निकालने के लिए कोई प्रयास नहीं किया. यहां तक की प्रशासन ने स्कूल में फंसे बच्चों के लिए खाने-पीने और रहने की कोई व्यवस्था नहीं की.

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वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कोटा दौरे पर होने की सूचना के बाद प्रशासन ने स्कूल में फंसे बच्चों को निकालने के लिए आदेश जारी किया. जिसके बाद आपदा सचिव के निर्देशों के बाद जिला कलेक्टर स्वर्णकार अधिकारियों के साथ मौके पर पहुंची और एनडीआरएफ और एसडीआरएफ टीम भी रावतभाटा पहुंच गई. लेकिन स्कूल के चारों ओर मार्ग बंद होने के कारण दोनों ही टीमों ने संयुक्त तौर पर रेस्क्यू अभियान चलाया. जिसके लिए एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम मध्य प्रदेश के सिंगरौली होते हुए वैष्णो गढ़ पहुंची और वहां से बड़वा का खाल और मोतीपुरा नाला को अपने अभियान का हिस्सा बनाया.

दोनों ही टीमों ने पहले प्रयास के तौर पर कुछ ट्रैक्टर और निजी बस मंगवाई. जिसमें प्रयोग के तौर पर ट्रैक्टरों के पीछे बसों को रखा गया और धीरे-धीरे बसों को पानी के बाहर निकाला गया. वहीं जब यह प्रयोग सफल रहा तो बाद में बच्चों को स्कूल बस में बिठाया गया.

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वहीं इस रेस्क्यू अभियान में दोनों टीमों के साथ में ग्रामीणों ने बच्चों को बाहर निकालने में मदद की और बच्चों को सुरक्षा के साथ दूसरे छोर पर पहुंचाया. जानकारी के अनुसार 254 लोगों को रेस्क्यू कर बाहर निकाला गया है. जहां रेस्क्यू अभियान में करीब 4 घंटे तक दोनों टीमों ने कड़ी मेहनत की. जिसके बाद अब रेस्क्यू किए गए बच्चों को सिंगरौली होते हुए ताल और वहां से रावतभाटा पहुंचाया जा रहा है. जहां बच्चों के माता पिता उनका बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं.

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चित्तौड़गढ़। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के अचानक कोटा आगमन के बाद आखिरकार प्रशासन हरकत में आया और मंगलवार दोपहर में स्कूल में फसे बच्चों समेत 254 लोगों को बाहर निकाल लिया गया। 3 दिन बाद बच्चों ने बाहर की दुनिया देखी तो परिजनों की जान में जान आई। Body:चित्तौड़गढ़ जिला कलेक्टर शिवांगी स्वर्णकार एडीएम मुकेश कलाल और एडिशनल एसपी तृप्ति सहित पुलिस और प्रशासन के तमाम अधिकारी मौके पर थे। प्रताप सागर बांध के 14 गेट खोलने के बाद चित्तौड़गढ़ रावतभाटा राजमार्ग अवरुद्ध चल रहा है। वही नवनिर्मित पावला पुलिया पर भी पानी चल रहा है ऐसे में आदर्श विद्या मंदिर के बच्चे स्कूल में ही कैद होकर रह गए। ग्रामीणों द्वारा इनके खाने-पीने और रेंस एंड की व्यवस्था की गई। सूचना के घंटों बाद भी प्रशासन द्वारा इन बच्चों को निकालने के कोई प्रयास नहीं किए गए यहां तक की खाने-पीने तक का इंतजाम भी नहीं था। पता चला है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कोटा दौरे के दौरान इन बच्चों को निकालने के आदेश जारी किए गए। आपदा सचिव के निर्देशों के बाद जिला कलेक्टर स्वर्णकार अधिकारियों के साथ मौके पर पहुंची। इसके लिए एनडीआर और एसडीआरएफ टीम रावतभाटा पहुंच गई लेकिन स्कूल के चारों और के मार्ग बंद होने के कारण दोनों ही टीमों ने संयुक्त तौर पर रेस्क्यू चलाया। इसके लिए एनडीआर और एसडीआरएफ किटी में मध्य प्रदेश के सिंगरौली होते हुए वैष्णो गढ़ पहुंची और वहां से बड़वा का खाल तथा मोतीपुरा नाला को अपने अभियान का हिस्सा बनाया। यहां दोनों ही टीमों ने पहले प्रयास के तौर पर कुछ ट्रैक्टर और निजी बस से मंगवाई। प्रयोग के तौर पर ट्रैक्टरों के पीछे बसों को रखा गया और धीरे धीरे कर बसों को पानी के बाहर निकाला। Conclusion:जब यह प्रयोग सफल रहा तो बाद में बसों में बच्चों को बिठाया गया और ग्रामीणों तथा दोनों ही टीमों के सदस्यों की देखरेख में बच्चों को दूसरे छोर पर ले जाने में सफलता पाई। इस अभियान में ग्रामीणों ने जवानों की खूब मदद की। जैसे ही बच्चे पानी से निकलकर दूसरे छोर पर पहुंचे उनकी आंखों से आंसू छलक पड़े। बताया जाता है कि बच्चों सहित 254 लोगों को रेस्क्यू के जरिए बाहर निकाला गया। करीब 4 घंटे तक यह रेस्क्यू चला। अब इन बच्चों को सिंगरौली होते हुए ताल और वहां से रावतभाटा पहुंचाया जा रहा है जहां बच्चों के माता पिता उनका बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
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