2014 में मोदी लहर में जहां बीजेपी के सुखबीर सिंह जौनापुरिया 1 लाख 35 हजार 506 वोटों से जीते थे. वहीं 2013 के विधान सभा चुनावों में इस लोकसभा की सभी 8 सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की थी. 2018 के विधानसभा चुनावों में लोकसभा क्षेत्र की 8 में से 7 सीटो पर बीजेपी ने जीत हासिल की है. ऐसे में इस सीट पर रोचक मुकाबला होने की संभावना है.
लगभग 19 लाख 53 हजार मतदाताओं वाले टोंक-सवाई माधोपुर लोकसभा क्षेत्र में 8 विधानसभा सीटे हैं और 2018 के विधानसभा चुनावों में इस क्षेत्र की 8 में से 7 सीटों पर कांग्रेस ने जीत हासिल की है जबकि 2013 में इस क्षेत्र की 8 में से 8 सीटो पर बीजेपी के विधायक जीते थे. वही बात अगर 2008 के विधानसभा चुनावों की जाए तो टोंक और सवाई माधोपुर विधानसभा की 8 में से 6 सीटों पर कोंग्रेस ने जीत हासिल की थी. वहीं एक सीट पर बहुजन समाज वादी पार्टी और एक सीट पर निर्दलीय ने जीत हासिल की थी.
2014 के चुनाव में मोदी लहर का असर साफ था और यही कारण रहा कि सुखबीर सिंह जौनापुरिया ने 17 लाख 10 हजार 775 मतदाताओ वाले लोकसभा क्षेत्र में 10 लाख 43 हजार 925 मतदाताओं ने मतदान किया था और कुल 61.02% मतदान हुआ था, जिसमे बीजेपी के सुखबीर सिंह जौनापुरिया को 5 लाख 48 हजार 537 वोट मिले थे.
जबकि कांग्रेस ने मुस्लिम मतदाताओं को ध्यान में रखते हुए पूर्व क्रिकेटर अजरुद्दीन को चुनाव में उतारा था और वह 4 लाख 13 हजार 31 वोट हासिल कर पाए थे. इस चुनाव में सुखबीर सिंह जौनापुरिया ने 1 लाख 35 हजार 506 वोटो से से जीत हासिल की थी.
2009 के लोकसभा चुनाव में इसी सीट पर कांग्रेस ने नमोनारायण मीणा को चुनाव में उतारा था. जबकि बीजेपी ने गुर्जर नेता कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला को चुनाव में उतारा था. तब इस सीट पर 17 उम्मीदवारों ने भाग्य आजमाया था और इस मुकाबले में कांग्रेस के नमोनारायण मीणा को 3 लाख 75 हजार 572 वोट मिले थे जब कि बीजेपी के कर्नल किरोड़ी बैंसला को 3 लाख 75 हजार 255 वोट हासिल हुए थे और दो दिन चली मतगणना के बाद नमोनारायण मीणा 317 वोटों से जीतकर लोकसभा में पंहुचे थे और बाद में केंद्र सरकार में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री बने थे.जब कि 15 उम्मीदवार अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए थे.यही हाल 2014 के लोकसभा चुनाव में रहा जब कि बीएसपी ओर अन्य दल 1 % मत ही हासिल कर पाए.
2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के साथ ही जातिगत मुद्दों की वजह से इस सीट पर सुखबीर सिंह जौनापुरिया को एक बड़ी जीत हासिल हुई थी. वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने इस सीट पर अजरुद्दीन के रूप में अल्पसंख्यक कार्ड खेला था लेकिन वह असफल रहा और अजरुद्दीन की एक बड़ी हार के बाद अजहरुद्दीन कभी वापस इस लोकसभा क्षेत्र में नजर भी नहीं आये. जब कि सुखबीर सिंह जौनापुरिया जीतने के बाद निरन्तर टोंक सवाई माधोपुर की जनता के बीच रहने के साथ ही जनता से संपर्क बनाए हुए है.
2008 में परिसीमन में नई लोकसभा सीट बनने से पहले सवाई माधोपुर ओर टोंक अलग अलग सीट हुआ करती थी. अब तक इस सीट पर हुए 16 चुनावों में बीजेपी को 7 बार जीत हासिल हुई है वही कांग्रेस को 6 बार जीत हासिल हुई है तो 3 बार 1962,1967 ओर 1971 में इस टोंक सीट पर स्वतंत्र पार्टी ने जीत हासिल की है.