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नगर निगम में राजनीति से गिरी जयपुर की स्वच्छता रैंकिंग...5 पायदान नीचे खिसका

स्वच्छता सर्वेक्षण 2019 में जयपुर की रैंक पिछली बार की तुलना में पांच पायदान और नीचे गिर गई है, लेकिन फिर भी निगम में महापौर से लेकर उप महापौर और कमिश्नर सभी संतुष्ट नजर आ रहें हैं.

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Published : Mar 6, 2019, 11:33 PM IST

स्वच्छता सर्वेक्षण 2019

जयपुर. स्वच्छता सर्वेक्षण 2019 में जयपुर की रैंक पिछली बार की तुलना में पांच पायदान और नीचे गिर गई है, लेकिन फिर भी निगम में महापौर से लेकर उप महापौर और कमिश्नर सभी संतुष्ट नजर आ रहें हैं.

स्वच्छता सर्वेक्षण 2019 के परिणाम बुधवार को राष्ट्रपति ने घोषित कर दिए. स्वच्छ शहरों की श्रेणी में इस बार जयपुर को 44वां स्थान मिला है जबकि पिछली बार जयपुर की रैंकिंग 39वीं थी. बावजूद इसके निगम प्रशासन पूरी तरह संतुष्ट नजर आ रहा है.

जयपुर में मेयर विष्णु लाटा ने तो इस रैंकिंग पर संतुष्टि जताई ही, साथ ही उपमहापौर मनोज भारद्वाज और कमिश्नर विजय पाल सिंह भी संतुष्ट नजर आए इसके पीछे उनका तर्क है कि पिछली बार 3800 शहरों में जयपुर 39वें स्थान पर आया था जबकि इस बार स्वच्छता सर्वेक्षण में देश के 4300 से ज्यादा शहरों ने भाग लिया है जिसमें जयपुर ने पहले से बेहतर प्रदर्शन किया है.

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स्वच्छता सर्वेक्षण 2019

राजस्थान में जयपुर ही एकमात्र शहर है जो स्वच्छता सर्वेक्षण सूची में टॉप 100 में अपनी जगह बना पाया है. जयपुर को 5000 में से 3366 अंक मिले हैं जबकि इसके ठीक बाद उदयपुर का नंबर आया जिसे देश में 137 वी रैंक मिली है. मेयर ने इस उपलब्धि का श्रेय निगम के कर्मचारियों और अधिकारियों को दिया है जबकि उपमहापौर ने शहर के प्रत्येक व्यक्ति और नगर निगम की टीम को दिया.

नगर निगम प्रशासन आचार संहिता का हवाला देकर अपनी जिम्मेदारियों से बच रहा है कारण भी साफ है क्योंकि जिस वक्त प्रदेश में आचार संहिता लगी हुई थी उस दौरान मध्य प्रदेश में भी आचार संहिता लगी हुई थी. बावजूद इसके मध्य प्रदेश के इंदौर ने प्रथम स्थान हासिल किया है और मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल सभी राजधानियों में नंबर वन रही है.

जयपुर. स्वच्छता सर्वेक्षण 2019 में जयपुर की रैंक पिछली बार की तुलना में पांच पायदान और नीचे गिर गई है, लेकिन फिर भी निगम में महापौर से लेकर उप महापौर और कमिश्नर सभी संतुष्ट नजर आ रहें हैं.

स्वच्छता सर्वेक्षण 2019 के परिणाम बुधवार को राष्ट्रपति ने घोषित कर दिए. स्वच्छ शहरों की श्रेणी में इस बार जयपुर को 44वां स्थान मिला है जबकि पिछली बार जयपुर की रैंकिंग 39वीं थी. बावजूद इसके निगम प्रशासन पूरी तरह संतुष्ट नजर आ रहा है.

जयपुर में मेयर विष्णु लाटा ने तो इस रैंकिंग पर संतुष्टि जताई ही, साथ ही उपमहापौर मनोज भारद्वाज और कमिश्नर विजय पाल सिंह भी संतुष्ट नजर आए इसके पीछे उनका तर्क है कि पिछली बार 3800 शहरों में जयपुर 39वें स्थान पर आया था जबकि इस बार स्वच्छता सर्वेक्षण में देश के 4300 से ज्यादा शहरों ने भाग लिया है जिसमें जयपुर ने पहले से बेहतर प्रदर्शन किया है.

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स्वच्छता सर्वेक्षण 2019

राजस्थान में जयपुर ही एकमात्र शहर है जो स्वच्छता सर्वेक्षण सूची में टॉप 100 में अपनी जगह बना पाया है. जयपुर को 5000 में से 3366 अंक मिले हैं जबकि इसके ठीक बाद उदयपुर का नंबर आया जिसे देश में 137 वी रैंक मिली है. मेयर ने इस उपलब्धि का श्रेय निगम के कर्मचारियों और अधिकारियों को दिया है जबकि उपमहापौर ने शहर के प्रत्येक व्यक्ति और नगर निगम की टीम को दिया.

नगर निगम प्रशासन आचार संहिता का हवाला देकर अपनी जिम्मेदारियों से बच रहा है कारण भी साफ है क्योंकि जिस वक्त प्रदेश में आचार संहिता लगी हुई थी उस दौरान मध्य प्रदेश में भी आचार संहिता लगी हुई थी. बावजूद इसके मध्य प्रदेश के इंदौर ने प्रथम स्थान हासिल किया है और मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल सभी राजधानियों में नंबर वन रही है.

Intro:स्वच्छता सर्वेक्षण 2019 में जयपुर की रैंक पिछली बार की तुलना में पांच पायदान गिरी... फिर भी निगम में महापौर से लेकर उप महापौर और कमिश्नर सभी संतुष्ट नजर आए...


Body:स्वच्छता सर्वेक्षण 2019 के परिणाम बुधवार को राष्ट्रपति ने घोषित कर दिए... स्वच्छ शहरों की श्रेणी में इस बार जयपुर को 44वां स्थान मिला... जबकि पिछली बार जयपुर की रैंकिंग 39वीं थी... बावजूद इसके निगम प्रशासन पूरी तरह संतुष्ट नजर आया... जयपुर में मेयर विष्णु लाटा ने तो इस रैंकिंग पर संतुष्टि जताई ही,,, साथ ही उपमहापौर मनोज भारद्वाज और कमिश्नर विजय पाल सिंह भी संतुष्ट नजर आए... उनका तर्क रहा कि पिछली बार 3800 शहरों में जयपुर 39वें स्थान पर आया था,,, जबकि इस बार स्वच्छता सर्वेक्षण में देश के 4300 से ज्यादा शहरों ने भाग लिया था... जिसमें जयपुर में पहले से बेहतर प्रदर्शन किया है... प्रदेश के शहरों में महज जयपुर ही एकमात्र ऐसा शहर रहा जो स्वच्छता सर्वेक्षण सूची में टॉप 100 में अपनी जगह बना पाया... जयपुर को 5000 में से 3366 अंक मिले... जबकि इसके ठीक बाद राजस्थान में उदयपुर का नंबर आया जिसे देश में 137 वी रैंक मिली... मेयर ने इस उपलब्धि का श्रेय निगम के कर्मचारियों और अधिकारियों को दिया... जबकि उपमहापौर ने शहर के हर व्यक्ति को निगम की टीम बताया और उनके बेहतर कार्य की सराहना की...

जयपुर को मिले अंकों की बात करें तो...
पार्ट 1 - 681 अंक
पार्ट 2 - 600 अंक
पार्ट 3 - 1111 अंक

इसके अलावा कुछ अंक शहर की जनता के फीडबैक से भी जुड़े... जिसमें जयपुर काफी पिछड़ गया... उधर, निगम कमिश्नर विजय पाल सिंह ने माना कि इस बार तैयारी देरी से शुरू की गई थी... प्रदेश में लगी आचार संहिता के चलते कई काम पेंडिंग रह गए थे... लेकिन अब भविष्य में 12 महीने शहर की सफाई व्यवस्था को लेकर निगम कटिबद्ध रहेगा...


Conclusion:निगम प्रशासन का आचार संहिता का हवाला देना काफी हद तक बेमाना सा लगता है... कारण भी साफ़ है क्योंकि जिस वक्त प्रदेश में आचार संहिता लगी हुई थी,,, उसी दौरान मध्य प्रदेश में भी आचार संहिता लगी हुई थी... बावजूद इसके मध्य प्रदेश के इंदौर ने प्रथम स्थान हासिल किया है... जबकि मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल सभी राजधानियों में नंबर वन बनी... ऐसे में ये बात तय है कि निगम अपनी कमियों को छुपाने में लगा है... या सीधे शब्दों में कहें तो पहले पूर्व मेयर अशोक लाहोटी का विधानसभा चुनाव लड़ना,,, उसके बाद उनका स्वच्छता सर्वेक्षण के दौरान निगम और शहर पर ध्यान ना देना... बाद में मेयर पद पर हुई खींचतान शहर की रैंकिंग गिरने की वजह मालूम होती है...
जयपुर से अंकुर जाकड़ ईटीवी भारत
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