जयपुर. राज्य उपभोक्ता आयोग की बेंच संख्या दो ने प्रसूता की डिलीवरी के दौरान लापरवाही बरतने पर हुई नवजात की मौत के मामले में अहम फैसला सुनाया है . जिसमें आयोग ने सिरसी रोड स्थित मेट्रो हॉस्पिटल और डॉ ज्योत्स्ना सिंह पर 20 लाख रुपए का हर्जाना लगाया है.
बता दें कि आयोग ने हर्जाना राशि ब्याज सहित दो महीने में अदा करने के लिए कहा है. आयोग ने यह आदेश राजीव श्रीवास्तव की ओर से दायर परिवाद पर सुनवाई करते हुए दिए हैं. परिवाद में कहा गया कि उसने अपनी पत्नी रेणु को 7 जून 2011 को हॉस्पिटल में डिलीवरी के लिए भर्ती कराया था.
जहां डॉ ज्योत्स्ना ने सोनोग्राफी करवाने पर बताया कि बच्चे की नाल हटने से ब्लीडिंग हो रही है, लेकिन बच्चा और मां दोनों सामान्य हैं. डॉक्टर ने परिवादी की पत्नी का सिजेरियन करवाने के बजाय दवाई देकर आर्टिफिशियल दर्द देकर सामान्य डिलीवरी करवा दी.
चिकित्सक ने परिवादी को बताया कि बच्चे की धड़कन कम होने के कारण उसके जीवित रहने की संभावना कम है. इस पर परिवादी ने बच्चे को आईसीयू में ले जाने के लिए कहा, लेकिन हॉस्पिटल में यह सुविधा ही नहीं थी. इससे मां और बच्चे के जीवन को भी खतरा हो गया और 10 मिनट बाद ही बच्चे की मौत हो गई. वहीं परिवादी ने अपनी पत्नी का दूसरे अस्पताल में ले जाकर इलाज कराया.परिवादी को बाद में पता चला कि डिलीवरी प्रीमेच्योर थी और सामान्य की जगह सिजेरियन करना चाहिए था. बच्चे के गले में नाल फंसने के बाद उसका दम घुट गया और उसकी मौत हो गई थी.