कौन-कौन से विकास कार्य कराए
अन्य सांसदों के अनुसार यदि डूंगरपुर-बांसवाड़ा लोकसभा सदस्य की उपलब्धियों पर नजर डालें तो सांसद निनामा के खाते में कोई खास उपलब्धि नजर नहीं आती. एकमात्र वे क्षेत्र में पासपोर्ट केंद्र लाने में सफल रहे. 2016 में बांसवाड़ा पोस्ट ऑफिस कार्यालय में पासपोर्ट केंद्र स्थापित करवा पाए. इसका क्षेत्र के लोगों को जरूर फायदा मिल रहा है क्योंकि डूंगरपुर और बांसवाड़ा जिले के बड़ी संख्या में लोग गल्फ कंट्रीज में काम करते हैं और विदेश जाने का क्रेज बना हुआ है.
रतलाम डूंगरपुर रेलवे के मामले में तत्कालीन राज्य सरकार ने भी उनकी एक नहीं सुनी. वर्ष 2013 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा डूंगरपुर रतलाम वाया बांसवाड़ा रेल परियोजना की आधारशिला रखी थी और कार्य शुरू हो गया लेकिन सरकार बदलने के साथ ही परियोजना के काम से मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने हाथ झटक लिए.
सबसे बड़ा रोड़ा जमीन अवाप्ति का था, वसुंधरा सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया और करीब 2200 करोड़ की परियोजना थम गई. सांसद निनामा ने इस संबंध में संसद में भी आवाज उठाई और रेल मंत्री से तीन तथा मुख्यमंत्री से 5 बार मुलाकात की लेकिन वह परियोजना को एक कदम भी आगे नहीं बढ़ा पाए. जयपुर-डूंगरपुर वाया बांसवाड़ा राजमार्ग स्थित घाटोल उपखंड मुख्यालय से बाईपास देने के मामले में सांसद द्वारा किया गया प्रयास रंग नहीं ला पाए.
जन आंदोलन में हिस्सा लिया या नहीं
अपने 5 साल के कार्यकाल के दौरान सांसद पार्टी के कार्यक्रमों के अलावा किसी खास आंदोलन को खड़ा नहीं कर पाए. जिले में अवैध शराब की प्रोग्राम को लेकर महिलाओं द्वारा आंदोलन चलाया जा रहा है. सांसद में इस आंदोलन को अपना न केवल समर्थन दिया है बल्कि महिलाओं को इसके लिए हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया.
ऐसा काम जिसमें दिखा मानवीय चेहरा
मानवीय पहलू की बात करें तो 2 साल पहले सवनिया गांव के मुस्लिम परिवार के कुछ सदस्य वाहन सहित माही नहर में गिर पड़े थे. सांसद ने तत्काल प्रभाव से जिला कलेक्टर से बातचीत की और नहर में पानी रुकवा कर उन लोगों को बाहर निकलवाया. इसके लिए सांसद ने रात भर नींद नहीं निकाली. उनके इस कार्य को लेकर मुस्लिम परिवारों ने भी उन्हें खूब धन्यवाद दिया.
हर समय लगा रहता है जनता दरबार
सांसद निनामा को सरल स्वभाव का माना जाता है. इस कारण कोई भी व्यक्ति उनके कान जी का घड़ा स्थित निवास पर पहुंच सकता है. इसके लिए कोई टाइम टेबल भी निर्धारित नहीं है. घर पर होने के दौरान दिन हो या रात कोई भी व्यक्ति जाकर अपनी व्यथा उनके समक्ष रख सकता है. ऐसे लोगों के लिए चाय पानी की व्यवस्था भी रहती है. दिल्ली में हालांकि उनका टेरा बहुत कम रहता है लेकिन जब भी क्षेत्र के लोग वहां पहुंचते हैं तो उनकी समस्याओं के समाधान के साथ उनके ठहराव का पूरा प्रबंध किया जाता है.
नेताजी रो रिपोर्ट कार्ड...MP मान शंकर निनामा, डूंगरपुर-बांसवाड़ा सीट - Special Report
बांसवाड़ा. आगामी लोकसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है. देश की सबसे बड़ी पंचायत संसद में मान शंकर निनामा बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा क्षेत्र से प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. करीब 3 महीने बाद निनामा अपने कार्यकाल के 5 साल पूरे करने जा रहे हैं तो उनका कार्यकाल कैसा रहा आइए जानते हैं उनके ही क्षेत्र की जनता से.
कौन-कौन से विकास कार्य कराए
अन्य सांसदों के अनुसार यदि डूंगरपुर-बांसवाड़ा लोकसभा सदस्य की उपलब्धियों पर नजर डालें तो सांसद निनामा के खाते में कोई खास उपलब्धि नजर नहीं आती. एकमात्र वे क्षेत्र में पासपोर्ट केंद्र लाने में सफल रहे. 2016 में बांसवाड़ा पोस्ट ऑफिस कार्यालय में पासपोर्ट केंद्र स्थापित करवा पाए. इसका क्षेत्र के लोगों को जरूर फायदा मिल रहा है क्योंकि डूंगरपुर और बांसवाड़ा जिले के बड़ी संख्या में लोग गल्फ कंट्रीज में काम करते हैं और विदेश जाने का क्रेज बना हुआ है.
रतलाम डूंगरपुर रेलवे के मामले में तत्कालीन राज्य सरकार ने भी उनकी एक नहीं सुनी. वर्ष 2013 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा डूंगरपुर रतलाम वाया बांसवाड़ा रेल परियोजना की आधारशिला रखी थी और कार्य शुरू हो गया लेकिन सरकार बदलने के साथ ही परियोजना के काम से मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने हाथ झटक लिए.
सबसे बड़ा रोड़ा जमीन अवाप्ति का था, वसुंधरा सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया और करीब 2200 करोड़ की परियोजना थम गई. सांसद निनामा ने इस संबंध में संसद में भी आवाज उठाई और रेल मंत्री से तीन तथा मुख्यमंत्री से 5 बार मुलाकात की लेकिन वह परियोजना को एक कदम भी आगे नहीं बढ़ा पाए. जयपुर-डूंगरपुर वाया बांसवाड़ा राजमार्ग स्थित घाटोल उपखंड मुख्यालय से बाईपास देने के मामले में सांसद द्वारा किया गया प्रयास रंग नहीं ला पाए.
जन आंदोलन में हिस्सा लिया या नहीं
अपने 5 साल के कार्यकाल के दौरान सांसद पार्टी के कार्यक्रमों के अलावा किसी खास आंदोलन को खड़ा नहीं कर पाए. जिले में अवैध शराब की प्रोग्राम को लेकर महिलाओं द्वारा आंदोलन चलाया जा रहा है. सांसद में इस आंदोलन को अपना न केवल समर्थन दिया है बल्कि महिलाओं को इसके लिए हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया.
ऐसा काम जिसमें दिखा मानवीय चेहरा
मानवीय पहलू की बात करें तो 2 साल पहले सवनिया गांव के मुस्लिम परिवार के कुछ सदस्य वाहन सहित माही नहर में गिर पड़े थे. सांसद ने तत्काल प्रभाव से जिला कलेक्टर से बातचीत की और नहर में पानी रुकवा कर उन लोगों को बाहर निकलवाया. इसके लिए सांसद ने रात भर नींद नहीं निकाली. उनके इस कार्य को लेकर मुस्लिम परिवारों ने भी उन्हें खूब धन्यवाद दिया.
हर समय लगा रहता है जनता दरबार
सांसद निनामा को सरल स्वभाव का माना जाता है. इस कारण कोई भी व्यक्ति उनके कान जी का घड़ा स्थित निवास पर पहुंच सकता है. इसके लिए कोई टाइम टेबल भी निर्धारित नहीं है. घर पर होने के दौरान दिन हो या रात कोई भी व्यक्ति जाकर अपनी व्यथा उनके समक्ष रख सकता है. ऐसे लोगों के लिए चाय पानी की व्यवस्था भी रहती है. दिल्ली में हालांकि उनका टेरा बहुत कम रहता है लेकिन जब भी क्षेत्र के लोग वहां पहुंचते हैं तो उनकी समस्याओं के समाधान के साथ उनके ठहराव का पूरा प्रबंध किया जाता है.
उपलब्धियों मैं जीरो
अन्य सांसदों के अनुसार यदि डूंगरपुर बांसवाड़ा लोकसभा सदस्य की उपलब्धियों पर नजर डालें तो सांसद निनामा के खाते में कोई खास उपलब्धि नजर नहीं आती। एकमात्र वे क्षेत्र में पासपोर्ट केंद्र लाने में सफल रहे। 2016 में बांसवाड़ा पोस्ट ऑफिस कार्यालय में पासपोर्ट केंद्र स्थापित करवा पाए। इसका क्षेत्र के लोगों को जरूर फायदा मिल रहा है क्योंकि डूंगरपुर और बांसवाड़ा जिले के बड़ी संख्या में लोग गल्फ कंट्रीज में काम करते हैं और विदेश जाने का क्रेज बना हुआ है।
रतलाम डूंगरपुर रेलवे के मामले में तत्कालीन राज्य सरकार ने भी उनकी एक नहीं सुनी। वर्ष 2013 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा डूंगरपुर रतलाम वाया बांसवाड़ा रेल परियोजना की आधारशिला रखी थी और काम कार्य शुरू हो गया लेकिन सरकार बदलने के साथ ही परियोजना के काम से मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने हाथ झटक लिए। सबसे बड़ा रोड़ा जमीन अवाप्ति का था, वसुंधरा सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया और करीब 2200 करोड़ की परियोजना थम गईl सांसद निनामा ने इस संबंध में संसद में भी आवाज उठाई और रेल मंत्री से तीन तथा मुख्यमंत्री से 5 बार मुलाकात की लेकिन वह परियोजना को एक कदम भी आगे नहीं बढ़ा पाएl जयपुर डूंगरपुर वाया बांसवाड़ा राजमार्ग स्थित घाटोल उपखंड मुख्यालय से बाईपास देने के मामले में सांसद द्वारा किया गया प्रयास रंग नहीं ला पाए।
Body:शराबबंदी का समर्थन
अपने 5 साल के कार्यकाल के दौरान सांसद पार्टी के कार्यक्रमों के अलावा किसी खास आंदोलन को खड़ा नहीं कर पाए। जिले में अवैध शराब की प्रोग्राम को लेकर महिलाओं द्वारा आंदोलन चलाया जा रहा है। सांसद में इस आंदोलन को अपना न केवल समर्थन दिया है बल्कि महिलाओं को इसके लिए हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया।
मानवीय पहलू की बात करें तो 2 साल पहले सवनिया गांव के मुस्लिम परिवार के कुछ सदस्य वाहन सहित माही नहर में गिर पड़े थे। सांसद ने तत्काल प्रभाव से जिला कलेक्टर से बातचीत की और नहर में पानी रुकवा कर उन लोगों को बाहर निकलवाया। इसके लिए सांसद ने रात भर नींद नहीं निकाली। उनके इस कार्य को लेकर मुस्लिम परिवारों ने भी उन्हें खूब धन्यवाद दिया।
हर समय लगा रहता है जनता दरबार
सांसद निनामा को सरल स्वभाव का माना जाता है। इस कारण कोई भी व्यक्ति उनके कान जी का घड़ा स्थित निवास पर पहुंच सकता है। इसके लिए कोई टाइम टेबल भी निर्धारित नहीं है। घर पर होने के दौरान दिन हो या रात कोई भी व्यक्ति जाकर अपनी व्यथा उनके समक्ष रख सकता है। ऐसे लोगों के लिए चाय पानी की व्यवस्था भी रहती है। दिल्ली में हालांकि उनका टेरा बहुत कम रहता है लेकिन जब भी क्षेत्र के लोग वहां पहुंचते हैं तो उनकी समस्याओं के समाधान के साथ उनके ठहराव का पूरा प्रबंध किया जाता है।
नहीं बढ़ा पाए कद
घाटोल प्रधान पद पर रहते हुए सीधे लोकसभा का चुनाव लड़कत संसद पहुंचने वाले निनामा अपने इस कार्यकाल के दौरान प्रदेश या राष्ट्रीय स्तर पर कोई खास पहचान कायम नहीं कर पाए। संसद की दो कमेटियों में उनका बतौर सदस्य मनोनयन हुआ है इसके अलावा पार्टी में उन्हें कोई खास जिम्मेदारी नहीं मिली है।
90% ठंड की सिफारिश हैं
सांसद निधि की बात करें तो निनामा अब तक 90% से अधिक राशि विकास कार्यों के लिए अपनी सिफारिश भेज चुके हैं। 25 करोड़ में से करीब 22 करोड रुपए विभिन्न कार्यों के लिए अपनी सिफारिशों के साथ दोनों ही जिला परिषदों को भेज चुके हैं हालांकि इनमें से 50% काम भी नहीं हो पाया है। अपनी सिफारिशों में तेजल और स्कूलों पर ज्यादा ध्यान दिया गया है।
Conclusion:प्रश्न तो खूब लगाए
सांसद निनामा हालांकि कम पढ़े लिखे हैं लेकिन संसद में उम्मीद से ज्यादा प्रश्न लगवाने वाले संस्थाओं में शुमार है। उन्होंने अपने इस कार्यकाल के दौरान अंतिम सत्र तक कुल मिलाकर तारांकित और तारांकित प्रश्नों के साथ 305 क्वेश्चन लगाए हैं। इनमें अधिकांश प्रश्न क्षत्रिय जरूरतों को लेकर किए गए थे। खासकर डूंगरपुर रतलाम वाया बांसवाड़ा रेलवे परियोजना, किसानों को खाद बीज में आधार लिंक तथा शहरी क्षेत्रों में आंगनवाड़ी भवनों के निर्माण के लिए लागत राशि बढ़ाए जाना शामिल है।
संतुष्ट नहीं है मतदाता
संसद के अपने कार्यकाल के दौरान किए गए कामकाज को लेकर मतदाता तो संतुष्ट नजर नहीं आ रहे हैं। सुंदनी गांव के कचरू लाल सांसद के कामकाज को लेकर खुश नजर नहीं आते। उनका कहना है कि गांव में थंपिंग वोट मिलने के बावजूद सांसद गांव में नहीं आए। परफॉर्मेंस को लेकर कचरू लाल उन्हें जीरो अंक देते हैं। परौली राठौड़ के जयेंद्र मेहता बी सांसद के कामकाज से इत्तेफाक नहीं रखते। उनका कहना है कि उनका व्यवहार चेंज हो गया है। कामकाज के हिसाब से 2 अंक पाने के भी हकदार नहीं है। युवक कला कुमारी जरूर सांसद कि व्यवहार कुशलता पर उन्हें 10 में से 10 अंक देती है। अपनी रिश्तेदारी बताते हुए कला कुमारी ने कहा कि जहां भी जरूरत होती है आते हैं। अंतिम जैन हालांकि सांसद से प्रसन्ना नहीं है लेकिन पार्टी को देखते हुए उनके प्रति समर्थन जताते हैं और 10 में से 10 अंक देने से भी गुरेज नहीं करते। मिठाई की दुकान लगाने वाले एक व्यापारी ने कहा कि वह व्यवहार कुशल है और जहां जहां भी बुलाया जाता है पहुंच जाते हैं। पार्टी जिसे भी टिकट देगी हम उनके साथ रहेंगे।