पिछले 5 सालों पर नजर डाले तो एमपी देवजी पटेल पर स्थानीय लोगों के काम नहीं करवाने, जातिगत राजनीति को बढ़ावा देने के आरोप लगे हैं. इसके अलावा जालोर व सिरोही को कोई बड़ी योजना नहीं दिलवा पाए हैं. जिसके चलते लोगों में देवजी के प्रति नाराजगी साफ देखने को मिल रही है. वहीं जालोर में मीटरगेज से ब्राडगेज बने एक दशक के समय बीत जाने के बावजूद भी जालोर जिले को प्रति दिन यात्री ट्रेन नहीं मिल पाई, जिसके चलते यात्री गाड़ी की मांग करने वाला संगठन सड़क पर भी उतरा. लेकिन यात्री गाड़ी की शुरुआत नहीं हो पाई.
वहीं चुनावों के एनवक्त पर दो ट्रेन की घोषणा की गई है लेकिन अभी तक शुरू नहीं की गई है. भाजपा सरकार की ओर से जालोर के सांचोर के भवातड़ा में सूखा बंदरगाह बनाने की घोषणा की थी. लेकिन उसका कार्य भी सांसद शुरू नहीं करवा पाए हैं.
राष्ट्रीय स्तर और राज्य स्तर पर पहचान
दोनों जगहों पर अच्छी पहचान है. गुजरात में व्यवसाय होने के कारण गुजरात में भी सम्बन्ध अच्छे है. सार्वजनिक तौर पर लोगों में अच्छी छवि है. जालोर सिरोही सीट से 2 बार जीते हैं.
मानवीय चेहरा
जालोर के भीनमाल व सांचौर में 2015 2017 में भयंकर बाढ़ ग्रस्त हुआ था. इस दौरान सांसद देवजी पटेल खुद राहत कार्य में लगे थे. पटेल ने कई रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान टीम के साथ रहे. पटेल द्वारा गोद लिए गए गांव होथीगांव में ज्यादा पानी की बहाव में सांसद खुद फंस गए थे लेकिन पूरी रात वहीं पर डटे रहे और पानी से घिरे लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने में रेस्क्यू टीम की मदद की.
मिलनसार हैं या नहीं
लोगों से सम्पर्क अच्छा है. रोजाना जालोर के सांचोर आफिस होते है तो सुबह 10 बजे से लेकर रात को 8 से 10 बजे तक लोगों से मिलते हैं. दिल्ली से भी लोगों से संवाद करते है. दिल्ली में उनके आवास पर लंगर व चाय पानी की उचित व्यवस्था है. राजस्थानी खाना उनके वहां बनता हैं. जिसके कारण राजस्थान व गुजरात के ज्यादातर सांसद या बड़े मंत्री उनके आवास पर खाना खाने आते हैं. आम लोगों के लिए भी खाने की सुविधा है।
बड़ी योजना जो क्षेत्र में लाए
जिले में एक भी बड़ी योजना नहीं आई.
सांसद निधि से कितने किए खर्च
जालौर जिले में सांसद निधि से करीबन 11 करोड़ रुपए खर्च किए गए. जिसमें ज्यादातर पैसे स्कूल सड़क व पेयजल पर खर्च किए गए हैं. इसके अलावा जालौर जिले में एक भी बड़ा प्रोजेक्ट या बड़ी योजना सांसद शुरू नहीं करवा पाए. भाजपा सरकार ने जालोर के सांचौर के भवातड़ा गांव में सूखा बंदरगाह बनाने की घोषणा की थी इसके लिए प्री विजिबिलिटी सर्वे तक करवा दिया गया, लेकिन अभी तक इस प्रोजेक्ट को शुरू नहीं किया गया. ऐसे में माना जा रहा है कि यह सांसद की सबसे बड़ी नाकामी है जिसके कारण इतना बड़ा पायलट प्रोजेक्ट शुरू नहीं हो पाया.
प्रमुख कार्य जो सांसद नहीं करवा पाए
- जालोर जिला कृषि प्रधान जिला है. जिसमें इसबगोल उत्पादन में पूरे एशिया में जालौर पहले नंबर पर हैं लेकिन जालौर में खरीद फरोख्त के लिए मंडी की व्यवस्था नहीं होने के कारण किसानों में बड़ी मंडी खुलवाने की मांग की थी लेकिन सांसद नहीं करवा पाए.
- इसके अलावा कृषि विश्वविद्यालय या महाविद्यालय की मांग भी लंबे समय से की जा रही है लेकिन अभी तक यह भी अधूरा है.
- पेयजल आपूर्ति के लिए जिलेभर में 3 प्रोजेक्ट बना रखे हैं लेकिन तीनों में क्लस्टर का कार्य अधूरा पड़ा है. जिसके चलते पेयजल आपूर्ति नहीं हो पा रही है.
- क्लस्टर के कार्य के लिए बजट की आवश्यकता थी, लेकिन बजट नहीं दिलवा पाए.
- इसके अलावा रानीवाड़ा, भीनमाल व जालोर में आरओबी की मांग की जा रही है लेकिन वह भी पूरी नहीं हुई है.
- वहीं सिरोही जिले के माउंट आबू में बायलॉज की समस्या बड़ी है. वहां पर रोक लगने के कारण किसी प्रकार का कार्य नहीं करवा पा रहे हैं. जिसके चलते विधानसभा चुनावों से पहले आम लोगों ने माउंट आबू को दो दिन तक पूर्णतया बन्द रख कर बायलॉज समस्या का निराकरण करवाने की मांग की थी, लेकिन वह भी नहीं हुआ.
संसद में उपस्थिति व सवाल
सदन में देवजी पटेल काफी सक्रिय रहे. किसानों के मुद्दो सहित कई अन्य मुद्दों पर भी सवाल उठाए थे. किसानों को लागत मूल्य देने के सम्बधित सवाल, इसके अलावा सड़क व रेलवे की प्रति दिन यात्री गाड़ी की मांग, भारतमाला परियोजना में किसानों की जमीन ज्यादा अवाप्त होने के कारण किसानों की आवाज उठाई.