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नेताजी रो रिपोर्ट कार्ड...MP देवजी पटेल, जालोर-सिरोही सीट

जालोर. देश में लोकसभा चुनावों की तैयारियां जोरों पर शुरू हो चुकी हैं. जालोर व सिरोही दोनों जिलों को मिला कर बनाई गई एक लोकसभा सीट से भाजपा की टिकट से दो बार सांसद बने देवजी पटेल तीसरी बार हैट्रिक बनाने की कोशिश में हैं. क्या ऐसा क्षेत्र की जनता को संभव होने देगी. आइए उन्हीं के क्षेत्र की जनता की जुबानी सुनते हैं.

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Published : Mar 6, 2019, 3:22 PM IST

MP देवजी पटेल, जालोर-सिरोही सीट

पिछले 5 सालों पर नजर डाले तो एमपी देवजी पटेल पर स्थानीय लोगों के काम नहीं करवाने, जातिगत राजनीति को बढ़ावा देने के आरोप लगे हैं. इसके अलावा जालोर व सिरोही को कोई बड़ी योजना नहीं दिलवा पाए हैं. जिसके चलते लोगों में देवजी के प्रति नाराजगी साफ देखने को मिल रही है. वहीं जालोर में मीटरगेज से ब्राडगेज बने एक दशक के समय बीत जाने के बावजूद भी जालोर जिले को प्रति दिन यात्री ट्रेन नहीं मिल पाई, जिसके चलते यात्री गाड़ी की मांग करने वाला संगठन सड़क पर भी उतरा. लेकिन यात्री गाड़ी की शुरुआत नहीं हो पाई.
वहीं चुनावों के एनवक्त पर दो ट्रेन की घोषणा की गई है लेकिन अभी तक शुरू नहीं की गई है. भाजपा सरकार की ओर से जालोर के सांचोर के भवातड़ा में सूखा बंदरगाह बनाने की घोषणा की थी. लेकिन उसका कार्य भी सांसद शुरू नहीं करवा पाए हैं.
राष्ट्रीय स्तर और राज्य स्तर पर पहचान
दोनों जगहों पर अच्छी पहचान है. गुजरात में व्यवसाय होने के कारण गुजरात में भी सम्बन्ध अच्छे है. सार्वजनिक तौर पर लोगों में अच्छी छवि है. जालोर सिरोही सीट से 2 बार जीते हैं.
मानवीय चेहरा
जालोर के भीनमाल व सांचौर में 2015 2017 में भयंकर बाढ़ ग्रस्त हुआ था. इस दौरान सांसद देवजी पटेल खुद राहत कार्य में लगे थे. पटेल ने कई रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान टीम के साथ रहे. पटेल द्वारा गोद लिए गए गांव होथीगांव में ज्यादा पानी की बहाव में सांसद खुद फंस गए थे लेकिन पूरी रात वहीं पर डटे रहे और पानी से घिरे लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने में रेस्क्यू टीम की मदद की.
मिलनसार हैं या नहीं
लोगों से सम्पर्क अच्छा है. रोजाना जालोर के सांचोर आफिस होते है तो सुबह 10 बजे से लेकर रात को 8 से 10 बजे तक लोगों से मिलते हैं. दिल्ली से भी लोगों से संवाद करते है. दिल्ली में उनके आवास पर लंगर व चाय पानी की उचित व्यवस्था है. राजस्थानी खाना उनके वहां बनता हैं. जिसके कारण राजस्थान व गुजरात के ज्यादातर सांसद या बड़े मंत्री उनके आवास पर खाना खाने आते हैं. आम लोगों के लिए भी खाने की सुविधा है।
बड़ी योजना जो क्षेत्र में लाए
जिले में एक भी बड़ी योजना नहीं आई.
सांसद निधि से कितने किए खर्च
जालौर जिले में सांसद निधि से करीबन 11 करोड़ रुपए खर्च किए गए. जिसमें ज्यादातर पैसे स्कूल सड़क व पेयजल पर खर्च किए गए हैं. इसके अलावा जालौर जिले में एक भी बड़ा प्रोजेक्ट या बड़ी योजना सांसद शुरू नहीं करवा पाए. भाजपा सरकार ने जालोर के सांचौर के भवातड़ा गांव में सूखा बंदरगाह बनाने की घोषणा की थी इसके लिए प्री विजिबिलिटी सर्वे तक करवा दिया गया, लेकिन अभी तक इस प्रोजेक्ट को शुरू नहीं किया गया. ऐसे में माना जा रहा है कि यह सांसद की सबसे बड़ी नाकामी है जिसके कारण इतना बड़ा पायलट प्रोजेक्ट शुरू नहीं हो पाया.
प्रमुख कार्य जो सांसद नहीं करवा पाए

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  • जालोर जिला कृषि प्रधान जिला है. जिसमें इसबगोल उत्पादन में पूरे एशिया में जालौर पहले नंबर पर हैं लेकिन जालौर में खरीद फरोख्त के लिए मंडी की व्यवस्था नहीं होने के कारण किसानों में बड़ी मंडी खुलवाने की मांग की थी लेकिन सांसद नहीं करवा पाए.
  • इसके अलावा कृषि विश्वविद्यालय या महाविद्यालय की मांग भी लंबे समय से की जा रही है लेकिन अभी तक यह भी अधूरा है.
  • पेयजल आपूर्ति के लिए जिलेभर में 3 प्रोजेक्ट बना रखे हैं लेकिन तीनों में क्लस्टर का कार्य अधूरा पड़ा है. जिसके चलते पेयजल आपूर्ति नहीं हो पा रही है.
  • क्लस्टर के कार्य के लिए बजट की आवश्यकता थी, लेकिन बजट नहीं दिलवा पाए.
  • इसके अलावा रानीवाड़ा, भीनमाल व जालोर में आरओबी की मांग की जा रही है लेकिन वह भी पूरी नहीं हुई है.
  • वहीं सिरोही जिले के माउंट आबू में बायलॉज की समस्या बड़ी है. वहां पर रोक लगने के कारण किसी प्रकार का कार्य नहीं करवा पा रहे हैं. जिसके चलते विधानसभा चुनावों से पहले आम लोगों ने माउंट आबू को दो दिन तक पूर्णतया बन्द रख कर बायलॉज समस्या का निराकरण करवाने की मांग की थी, लेकिन वह भी नहीं हुआ.
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संसद में उपस्थिति व सवाल
सदन में देवजी पटेल काफी सक्रिय रहे. किसानों के मुद्दो सहित कई अन्य मुद्दों पर भी सवाल उठाए थे. किसानों को लागत मूल्य देने के सम्बधित सवाल, इसके अलावा सड़क व रेलवे की प्रति दिन यात्री गाड़ी की मांग, भारतमाला परियोजना में किसानों की जमीन ज्यादा अवाप्त होने के कारण किसानों की आवाज उठाई.

देखें रिपोर्ट
फाइनल रिपोर्ट- 6/10

पिछले 5 सालों पर नजर डाले तो एमपी देवजी पटेल पर स्थानीय लोगों के काम नहीं करवाने, जातिगत राजनीति को बढ़ावा देने के आरोप लगे हैं. इसके अलावा जालोर व सिरोही को कोई बड़ी योजना नहीं दिलवा पाए हैं. जिसके चलते लोगों में देवजी के प्रति नाराजगी साफ देखने को मिल रही है. वहीं जालोर में मीटरगेज से ब्राडगेज बने एक दशक के समय बीत जाने के बावजूद भी जालोर जिले को प्रति दिन यात्री ट्रेन नहीं मिल पाई, जिसके चलते यात्री गाड़ी की मांग करने वाला संगठन सड़क पर भी उतरा. लेकिन यात्री गाड़ी की शुरुआत नहीं हो पाई.
वहीं चुनावों के एनवक्त पर दो ट्रेन की घोषणा की गई है लेकिन अभी तक शुरू नहीं की गई है. भाजपा सरकार की ओर से जालोर के सांचोर के भवातड़ा में सूखा बंदरगाह बनाने की घोषणा की थी. लेकिन उसका कार्य भी सांसद शुरू नहीं करवा पाए हैं.
राष्ट्रीय स्तर और राज्य स्तर पर पहचान
दोनों जगहों पर अच्छी पहचान है. गुजरात में व्यवसाय होने के कारण गुजरात में भी सम्बन्ध अच्छे है. सार्वजनिक तौर पर लोगों में अच्छी छवि है. जालोर सिरोही सीट से 2 बार जीते हैं.
मानवीय चेहरा
जालोर के भीनमाल व सांचौर में 2015 2017 में भयंकर बाढ़ ग्रस्त हुआ था. इस दौरान सांसद देवजी पटेल खुद राहत कार्य में लगे थे. पटेल ने कई रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान टीम के साथ रहे. पटेल द्वारा गोद लिए गए गांव होथीगांव में ज्यादा पानी की बहाव में सांसद खुद फंस गए थे लेकिन पूरी रात वहीं पर डटे रहे और पानी से घिरे लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने में रेस्क्यू टीम की मदद की.
मिलनसार हैं या नहीं
लोगों से सम्पर्क अच्छा है. रोजाना जालोर के सांचोर आफिस होते है तो सुबह 10 बजे से लेकर रात को 8 से 10 बजे तक लोगों से मिलते हैं. दिल्ली से भी लोगों से संवाद करते है. दिल्ली में उनके आवास पर लंगर व चाय पानी की उचित व्यवस्था है. राजस्थानी खाना उनके वहां बनता हैं. जिसके कारण राजस्थान व गुजरात के ज्यादातर सांसद या बड़े मंत्री उनके आवास पर खाना खाने आते हैं. आम लोगों के लिए भी खाने की सुविधा है।
बड़ी योजना जो क्षेत्र में लाए
जिले में एक भी बड़ी योजना नहीं आई.
सांसद निधि से कितने किए खर्च
जालौर जिले में सांसद निधि से करीबन 11 करोड़ रुपए खर्च किए गए. जिसमें ज्यादातर पैसे स्कूल सड़क व पेयजल पर खर्च किए गए हैं. इसके अलावा जालौर जिले में एक भी बड़ा प्रोजेक्ट या बड़ी योजना सांसद शुरू नहीं करवा पाए. भाजपा सरकार ने जालोर के सांचौर के भवातड़ा गांव में सूखा बंदरगाह बनाने की घोषणा की थी इसके लिए प्री विजिबिलिटी सर्वे तक करवा दिया गया, लेकिन अभी तक इस प्रोजेक्ट को शुरू नहीं किया गया. ऐसे में माना जा रहा है कि यह सांसद की सबसे बड़ी नाकामी है जिसके कारण इतना बड़ा पायलट प्रोजेक्ट शुरू नहीं हो पाया.
प्रमुख कार्य जो सांसद नहीं करवा पाए

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  • जालोर जिला कृषि प्रधान जिला है. जिसमें इसबगोल उत्पादन में पूरे एशिया में जालौर पहले नंबर पर हैं लेकिन जालौर में खरीद फरोख्त के लिए मंडी की व्यवस्था नहीं होने के कारण किसानों में बड़ी मंडी खुलवाने की मांग की थी लेकिन सांसद नहीं करवा पाए.
  • इसके अलावा कृषि विश्वविद्यालय या महाविद्यालय की मांग भी लंबे समय से की जा रही है लेकिन अभी तक यह भी अधूरा है.
  • पेयजल आपूर्ति के लिए जिलेभर में 3 प्रोजेक्ट बना रखे हैं लेकिन तीनों में क्लस्टर का कार्य अधूरा पड़ा है. जिसके चलते पेयजल आपूर्ति नहीं हो पा रही है.
  • क्लस्टर के कार्य के लिए बजट की आवश्यकता थी, लेकिन बजट नहीं दिलवा पाए.
  • इसके अलावा रानीवाड़ा, भीनमाल व जालोर में आरओबी की मांग की जा रही है लेकिन वह भी पूरी नहीं हुई है.
  • वहीं सिरोही जिले के माउंट आबू में बायलॉज की समस्या बड़ी है. वहां पर रोक लगने के कारण किसी प्रकार का कार्य नहीं करवा पा रहे हैं. जिसके चलते विधानसभा चुनावों से पहले आम लोगों ने माउंट आबू को दो दिन तक पूर्णतया बन्द रख कर बायलॉज समस्या का निराकरण करवाने की मांग की थी, लेकिन वह भी नहीं हुआ.
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संसद में उपस्थिति व सवाल
सदन में देवजी पटेल काफी सक्रिय रहे. किसानों के मुद्दो सहित कई अन्य मुद्दों पर भी सवाल उठाए थे. किसानों को लागत मूल्य देने के सम्बधित सवाल, इसके अलावा सड़क व रेलवे की प्रति दिन यात्री गाड़ी की मांग, भारतमाला परियोजना में किसानों की जमीन ज्यादा अवाप्त होने के कारण किसानों की आवाज उठाई.

देखें रिपोर्ट
फाइनल रिपोर्ट- 6/10
Intro:जातिगत समीकरणों से दो बार जीते सांसद देवजी पटेल हैट्रिक बनाने की तैयारी में, लेकिन राह इतनी आसान नहीं
जालोर
देश में लोकसभा चुनावों की तैयारियां जोरों पर शुरू हो चुकी है। जालोर व सिरोही दोनों जिलों को मिला कर बनाई गई एक लोकसभा सीट से भाजपा की टिकट से दो बार सांसद बने देवजी पटेल तीसरी बार हैट्रिक बनाने की कोशिश में है, लेकिन धरातल स्तर पर इस बार जितना इतना आसान नहीं होगा। पिछले 5 सालों पर नजर डाले तो एमपी देवजी पटेल पर स्थानीय लोगों के काम नहीं करवाने, जातिगत राजनीति को बढ़ावा देने के आरोप लगे है। इसके अलावा जालोर व सिरोही को भी कोई बड़ी योजना नहीं दिलवा पाए है। जिसके चलते लोगों में देवजी के प्रति नाराजगी साफ देखने को मिल रही है। वहीं जालोर में मीटरगेज से ब्राडगेज बने एक दशक के समय बीत जाने के बावजूद भी जालोर जिले को प्रति दिन यात्री ट्रेन नहीं मिल पाई थी जिसके चलते यात्री गाड़ी की मांग करने वाला संगठन सड़क पर भी उतरा था, लेकिन यात्री गाड़ी की शुरुआत नहीं हो पाई थी। वहीं चुनावो के एनवक्त पर दो ट्रेन की घोषणा की गई है लेकिन अभी तक शुरू नहीं की गई है। इसके अलावा जालोर के लिए बड़ी कोई योजना की शुरुआत नहीं करवा पाए। भाजपा सरकार की और जालोर के सांचोर के भवातड़ा में सुखा बंदरगाह बनाने की घोषणा की थी, लेकिन उसका कार्य भी सांसद शुरू नहीं करवा पाए है।
दो बार जीत का कारण
सांसद देवजी पटेल जालोर सिरोही से दो बार सांसद बने है। दोनों बार जितने का कारण बाहरी उम्मीदवार का विरोध व जातिगत समीकरण रहा। जालोर सिरोही में पिछले लंबे समय से भाजपा व कांग्रेस दोनों राजनैतिक दलों ने बाहरी लोगों को उम्मीवार बनाया। उसके कारण लोग सांसद से मिलना तो दूर चुनावों के बाद देख तक नहीं पाते थे। जालोर सिरोही सीट से दिल्ली के बूटासिंह 4 बार व कोलकत्ता की लक्ष्मण बंगारू व सुशीला बंगारू भी जीते थे जो चुनाव के बाद वापस चुनाव के समय ही आते थे ऐसे में 2009 में अहमदाबाद में व्यवसाय करने वाले देवजी पहली बार राजनीति में उतरे और स्थानीय होने के कारण भाजपा ने मौका दिया तो यहां के मतदाताओं ने स्थानीय होने के कारण सहयोग किया। जिसके बदौलत जीत गए। उसके बाद 2014 के चुनावों में कांग्रेस ने बाहरी उम्मीदवार को उदयलाल आँजणा को जातिगत समीकरण को भुनाने के लिए मौका दिया लेकिन स्थानीय होने के नाते पटेल पर लोगों ने भरोसा जताया।
जिले में कितने विधानसभा सीट ओर किसका कब्जा
जिले में जालोर, आहोर, रानीवाड़ा, भीनमाल व सांचोर विधानसभा सीटे है। जिसमें 4 पर भाजपा का कब्जा है वहीं सांचोर सीट देवजी पटेल के गृह विधानसभा सीट पर भाजपा की जगह कांग्रेस के सुखराम बिश्नोई जीते है जो अभी कांग्रेस की सरकार में वन व पर्यावरण मंत्री है। वहीं सिरोही जिले में 3 सीटे है। जिसमें 2 भाजपा व 2 निर्दलीय जीते हुए है।
मानवीय चेहरा
जालोर के भीनमाल व सांचौर में 2015 2017 में भयंकर बाढ़ ग्रस्त हुआ था इस दौरान सांसद देवजी पटेल खुद राहत कार्य में लगे थे पटेल ने कई रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान टीम के साथ रहे। पटेल द्वारा गोद लिए गए गांव होथीगांव में ज्यादा पानी की बाहाव में सांसद खुद फंस गए थे लेकिन पूरी रात वहीं पर डटे रहे और पानी घीरे लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने में रेस्क्यू टीम की मदद की।
जिले में एक भी बड़ी योजना नहीं आई जालौर जिले में सांसद से करीबन 11 करोड रुपए खर्च किए गए। जिसमें ज्यादातर पैसे स्कूल सड़क व पेयजल पर खर्च किए गए हैं। इसके अलावा जालौर जिले में एक भी बड़ा प्रोजेक्ट या बड़ी योजना सांसद शुरू नहीं करवा पाए। भाजपा सरकार ने जालोर के सांचौर के भवातड़ा गांव में सूखा बंदरगाह बनाने की घोषणा की थी इसके लिए प्री विजिबिलिटी सर्वे तक करवा दिया गया, लेकिन अभी तक इस प्रोजेक्ट को शुरू नहीं किया गया। ऐसे में माना जा रहा है कि यह सांसद की सबसे बड़ी नाकामी है जिसके कारण इतना बड़ा पायलट प्रोजेक्ट शुरू नहीं हो पाया।
प्रमुख कार्य जो सांसद नहीं करवा पाए
जालोर जिला कृषि प्रधान जिला है। जिसमें इसबगोल उत्पादन में पूरे एशिया में जालौर पहले नंबर पर हैं लेकिन जालौर में खरीद फरोख्त के लिए मंडी की व्यवस्था नहीं होने के कारण किसानों में बड़ी मंडी खुलवाने की मांग की थी लेकिन सांसद नहीं करवा पाए। इसके अलावा कृषि विश्वविद्यालय या महाविद्यालय की मांग भी लंबे समय से की जा रही है लेकिन अभी तक यह भी अधूरी है। पेयजल आपूर्ति के लिए जिलेभर में 3 प्रोजेक्ट बना रखे हैं लेकिन तीनों में क्लस्टर का कार्य अधूरा पड़ा है। जिसके चलते पेयजल आपूर्ति नहीं हो पा रही है। क्लस्टर के कार्य के लिए बजट की आवश्यकता थी, लेकिन बजट नहीं दिलवा पाए। इसके अलावा रानीवाड़ा, भीनमाल व जालोर में आरओबी की मांग की जा रही है लेकिन वह भी पूरी नहीं हुई है। वहीं सिरोही जिले के माउंट आबू में बायलॉज की समस्या बड़ी है। वहा पर रोक लगने के कारण किसी प्रकार का कार्य नहीं करवा पा रहे है जिसके चलते विधानसभा चुनावों से पहले आम लोगों ने माउंट आबू को दो दिन तक पूर्णतया बन्द रख कर बायलॉज समस्या का निराकरण करवाने की मांग की थी, लेकिन वह भी नहीं हुआ। जिसके चलते सिरोही की जनता भी नाराज है।
सांसद का कमजोर पक्ष
सांसद देवजी पटेल ने लोगों से दूरी बनाकर रखी व आम बोलचाल में लोगों से रूखा व्यवहार रखने के कारण लोगों ने दूरी बनानी शुरू कर दी। इसके अलावा सांचोर विधानसभा सीट पर भाजपा के कद्दावर व चौधरी समाज नेता जीवाराम चौधरी की जगह दानाराम पटेल को टिकट दिलवाने में साथ दिया। जिसके चलते चौधरी समाज में असंतोष पनपा हुआ है जिसके कारण अपने ही समाज के लोग नाराज हैं। वहीं जीवाराम चौधरी ने देवजी पर खुला आरोप लगा कर कहा था कि एमपी ने मेरा टिकट कटवाया है। वहीं चौधरी समाज में जीवाराम काफी पकड़ भी रखते है। जिसके चलते वोटों में धुर्वीकरण होगा।
सांसद का मजबूत पक्ष
सांसद जालोर स्थानीय नेता व जातिगत समीकरण में चौधरी समाज के 3.5 लाख वोट है। उसी के कारण पिछले दो चुनाव जीते है। वही किसानों की जमीन अवाप्ति मामले में किसानों का साथ दिया था। ऐसे में किसानों का साथ मिल सकता हैं।
फाइनल रिपोर्ट में लोगों ने 10 में से 6 नम्बर दिए है।




Body:जालोर


Conclusion:जालोर
सांसद रिपोर्ट कार्ड
1. जालोर में सांसद बड़ी योजनाओं में 2 ट्रैन शुरू करवा पाए है। जिसकी लंबे समय से मांग की जा रही थी। जालोर से मुम्बई व बेंगलुरू जाने के लिए ट्रेन नहीं थी जिसके कारण लोगों की मांग थी। इसमें 2 ट्रैन जालोर को मिली है। यह बड़ी उपलब्धि है।
2. किसी जनांदोलन में भाग लिया
- पिछले 5 साल में ऐसे कोई जन आंदोलन में देवजी ने भाग नहीं लिया है।
3. ऐसा कोई उदाहरण जिनसे उनका मानवीय पहलू उजागर हो
- जालोर के सांचोर में 2015 व 2017 में भयंकर बाढ़ आई थी जिसमें राहत कार्य व बचाव कार्य में सांसद खुद खड़े रहे। नावों से बाढ़ ग्रस्त गांवों तक पहुंचे।पानी से घीरे लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने में मदद की।
4. लोगो से सम्पर्क
- लोगों से सम्पर्क अच्छा है। रोजाना जालोर के सांचोर आफिस होते है तो सुबह 10 बजे से लेकर रात को 8 से 10 बजे तक लोगों से मिलते है। दिल्ली में अभी लोगों से संवाद करते है। दिल्ली में उनके आवास पर लंगर व चाय पानी की उचित व्यवस्था है। राजस्थानी खाना उनके वहां बनता है। जिसके कारण राजस्थान व गुजरात के ज्यादातर सांसद या बड़े मंत्री उनके आवास पर खाना खाने आते है। आम लोगों के लिए भी खाने की सुविधा है।
5. राष्ट्रीय स्तर पर राज्य स्तर पर पहचान
- दोनों जगहों पर अच्छी पहचान है। गुजरात में व्यवसाय होने के कारण गुजरात में भी सम्बन्ध अच्छे है। सार्वजनिक तौर पर लोगों में अच्छी छवि है। जालोर सिरोही सीट से 2 बार जीते है।
6. mplad fund use
- एमपी कोटे का पूरा फंड उपयोग में लिया है। ज्यादातर यह पैसा सार्वजनिक कार्यों में खर्च किया गया है।
8. mp fund में प्रमुख योजनाएं
- एमपी कोटे से स्कूलों में भवन, सड़क, जिलेभर में बस स्टैंड पर बेंचे व शमशान भूमि की चार दीवारी में पैसा खर्च किया गया है।
9. संसद में उपस्थिति व सवाल
- सदन में देवजी पटेल काफी सक्रिय रहे। किसानों के मुद्दो सहित कई अन्य मुद्दों पर भी सवाल उठाए थे।
10. सांसद में प्रमुख सवाल
- किसानों को लागत मूल्य देने के सम्बधित सवाल, इसके अलावा सड़क व रेलवे की प्रति दिन यात्री गाड़ी की मांग, भारतमाला परियोजना में किसानों की जमीन ज्यादा अवाप्त होने के कारण किसानों की आवाज उठाई।
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