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हरा-भरा राजस्थान : भीलवाड़ा में इस गांव के लोगों ने बनाया अनूठा चारागाह...अब दूसरे प्रदेश और जिले भी ले रहे हैं सीख - Environment Protection

पर्यावरण संरक्षण और चरागाह बचाने को लेकर भीलवाड़ा जिले के आसींद पंचायत समिति के रूपपुरा गांव के मारवो का खेड़ा गांव में राज्य का अनूठा रोल मॉडल चारागाह डेवलप हुआ है. जहां वर्ष 2017 में वर्षा ऋतु में 50 हजार विभिन्न प्रजातियों के औषधीय, छायादार और फलदार पौधे लगाए गए हैं. इस चारागाह को राजस्थान के साथ ही अन्य राज्य की टीम भी यहां आकर बारीकी से जानकारी ले रही है और अन्य राज्य में भी इसी तर्ज पर ही वहां के चारागाह को डेवलप किया जाएगा.

भीलवाड़ा में इस गांव के लोगों ने बनाया अनूठा चारागाह
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Published : Jul 1, 2019, 3:47 PM IST

भीलवाड़ा. जिले के रूपपुरा गांव में राज्य का अनूठा चारागाह बना हुआ है. ग्राम वासियों और समाजसेवी कन्यालाल साहू की पहल पर पर्यावरण बचाने और चारागाह की जमीन को अतिक्रमण से मुक्त करवाने के उद्देश्य से गांव के चारागाह भूमि में पौधे लगाकर अनूठा चारागाह बनाया है. अनूठे चारागाह का जायजा लेने ग्रीन भारत मुहिम के तहत ईटीवी भारत की टीम पहुंची. जहां लोगों ने उनके गांव में बने चारागाह की सराहना की.

गांव में चारागाह को डेवलप करने वाले समाजसेवी कन्हैया लाल साहू ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि हमारे गांव के पास ही पहाड़ी पर जमीन पर अतिक्रमण था. वहां अतिक्रमण मुक्त करवाकर हमने 100 हेक्टेयर जमीन पर अधिक से अधिक पौधे लगाने का लक्ष्य रखा. जिसके तहत वर्ष 2017 में वर्षा ऋतु मे हमने वहां 50 हजार पौधे लगवाए. इस अभियान में ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और विभिन्न विभाग भी सम्मिलित हुए.

चारागाह में बरगद, पीपल, नीम, गुलमोहर , फलदार पौधों में आम ,थाई एप्पल ,बेर ,ताइवान पपीता ,नींबू ,संतरा ,अमरुद व चीकू पौधे लगाए. वहीं औषधीय पौधों मे नीम गिलोय, अर्जुन की छाल, एलोवेरा और बायोडीजल के पौधों में रतनजोत, करण व जैतून के पौधे यहां लगाए गए हैं. इन पौधों की हम प्रतिदिन ड्रिप सिस्टम के जरिए इनकी पिलाई करते हैं. जहां बोरिंग व सोलर ऊर्जा का पंप लगा हुआ है. वहां से इन पौधों को ड्रिप सिस्टम के जरिए पानी पिलाया जाता है.

यहां एक लाख लीटर वाटर स्टोरेज की टंकी बनी है, जिससे इन पौधों को पानी पिलाया जाता है. वहीं चारों ओर तारबंदी की गई है. बाहर से इस अनूठे चारागाह को देखने अन्य राज्य की टीम भी यहां पहुंचती हैं. यहां सोलर ऊर्जा की हाई मास्क लाइट की सुव्यवस्थित व्यवस्था गार्डन लगाया गया है, जिसको देखकर हर कोई अच्छभित होता है. इसके पीछे हमारा उद्देश्य है कि आसींद पंचायत समिति क्षेत्र डार्क जोन घोषित है और लगातार इस क्षेत्र में अंधाधुंध वृक्षों की कटाई हो रही है, जिसको देखकर समाजसेवी कन्हैया लाल साहू ने गांव में शुरुआत की. यहां 100 हेक्टेयर जमीन में कई प्रजाति के पौधे लगाए. इन पौधों को पहले तो ग्रामवासी श्रमदान के रूप में लोगों ने पानी पिलाया फिर पंचायत समिति व जल ग्रहण विभाग ने यहां कुआं खुदवाने के बाद यहां ड्रिप सिस्टम से पानी बचाने के उद्देश्य से यहां पौधों को पानी पिलाया जाता है.

समाजसेवी कन्हैया लाल साहू का मानना है कि लोग सिर्फ पौधे लगाकर फोटो खिंचवाने में विश्वास करते हैं. लेकिन उनका उद्देश्य है कि कम पौधे लगाओ लेकिन उसकी सुचारू रूप से व्यवस्था करो. वहीं चारागाह में काम करने वाले बुजुर्ग जमाना राम ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि वो यहां प्रतिदिन पौधों की देखरेख करते हैं. इनकी निराई गुड़ाई करते हैं. सब अच्छे चल रहे हैं. यहां पौधे लगने के बाद इस क्षेत्र में अधिक से अधिक बरसात हो रही है. पहले इस क्षेत्र में हमेशा अकाल का साया रहता था. लेकिन इस बार मानसून पूर्व की भी बरसात हो गई है. जिससे इस क्षेत्र में फसलों की बुवाई हो गई है.

यहां पानी बचाने के लिए बूंद-बूंद सिंचाई पद्धति से पौधों को पिलाया जाता है. पहले इस जमीन पर अतिक्रमण था, उसको मुक्त कराकर ग्राम वासियों ने अच्छा चारागाह बनाया जिसमें विभिन्न प्रजातियों के पौधे लगाए गए. वहीं मनरेगा के तहत काम करने वाली श्रमिक वर्दी देवी हो या सोनी देवी उन्होंने कहा कि हम प्रतिदिन या मनरेगा योजना के तहत इन पौधों की देखभाल करते हैं. निराई गुड़ाई करते हैं. पौधों की कटिंग करते हैं और इन को प्रतिदिन पानी पिलाते हैं.
वहीं आसींद पंचायत समिति के कार्यवाहक विकास अधिकारी गोपाल टेलर ने कहा कि हमारा मुख्य उद्देश्य चारागाह में विकास करना और पौधे लगाना था और इस गांव को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से ही इस चारागाह का डेवलप किया गया है. इससे उपज होगी. गांव के विकास में काम आएंगे. यहां चारागाह में 50 हजार पौधे लगे जो आयुर्वेदिक, औषधीय ,छायादार व बायोफ्यूल के पौधे लगाए गए. इन पौधे को मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन योजना के तहत सोलर पंप ड्रिप सिस्टम लगाकर इन पौधों की सिंचाई की जाती है.

भीलवाड़ा में इस गांव के लोगों ने बनाया अनूठा चारागाह

पंजाब और आंध्र प्रदेश की टीमों ने किया अवलोकन
हाल ही में हुई विडियो कान्फ्रेंसिंग में इस चारागाह का जिक्र और इसी तर्ज पर राजस्थान की प्रत्येक ग्राम पंचायत स्थर पर विकास होगा. यहां पर आंध्र प्रदेश की टीम भी अध्ययन करने आई. उन्होंने भी उनके क्षेत्र में इसी तर्ज पर चारागाह डेवेलप करने की बात कही वहीं पंजाब के नरेगा कमिश्नर भी अपनी टीम के साथ इस चारागाह क्षेत्र में पहुंचे और यहां के चारागाह का निरीक्षण करने के बाद पंजाब राज्य में भी इसी तर्ज पर चारागाह डेवलप करने की बात कही. अन्य राज्य की टीम ने भी अनूठे चारागाह की सराहना - मारवो का खेड़ा गांव के मॉडल चारागाह की पंजाब और आंध्र प्रदेश की टीम भी यहां जमीनी धरातल पर अवलोकन किया. अवलोकन करने के बाद उन्होंने रोल मॉडल चारागाह की सराहना करते हुए कहा कि हमारे राज्य में भी चरागाह भूमि पर अतिक्रमण से बचाने और अधिक से अधिक पौधे लगाने के उद्देश्य से वहां भी चरागाह का डेवलपमेंट किया जाएगा.

राज्य में भी प्रत्येक ग्राम पंचायत मुख्यालय पर बनेगा अनूठा चारागाह
हाल ही में प्रत्येक जिला स्तर पर हुई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में राज्य के रोल मॉडल चारागाह मारवो का खेड़ा गांव का जिक्र हुआ. जिसकी प्रशंसा करते हुए राज्य में प्रत्येक ग्राम पंचायत मुख्यालय पर इस मॉडल से चारागाह को डेवेलप करने की बात कही. जहां भी जल ग्रहण योजना के तहत चरागार पड़ा हुआ है. वहां इसी तर्ज पर चरागाह का डेवलपमेंट किया जाएगा. अब देखना यह होगा कि भीलवाड़ा जिले के आसींद पंचायत समिति के मारवो का खेड़ा गांव में पर्यावरण बचाने और चारागाह को अतिक्रमण से मुक्त करने के लिए अधिक से अधिक पेड़ लगाकर चरागाह को डवलप किया उसी तर्ज पर राजस्थान के अन्य ग्राम पंचायत मुख्यालय पर भी पर्यावरण बचाने को लेकर कब अधिक से अधिक पेड़ लगाए जाते हैं या नहीं.

भीलवाड़ा. जिले के रूपपुरा गांव में राज्य का अनूठा चारागाह बना हुआ है. ग्राम वासियों और समाजसेवी कन्यालाल साहू की पहल पर पर्यावरण बचाने और चारागाह की जमीन को अतिक्रमण से मुक्त करवाने के उद्देश्य से गांव के चारागाह भूमि में पौधे लगाकर अनूठा चारागाह बनाया है. अनूठे चारागाह का जायजा लेने ग्रीन भारत मुहिम के तहत ईटीवी भारत की टीम पहुंची. जहां लोगों ने उनके गांव में बने चारागाह की सराहना की.

गांव में चारागाह को डेवलप करने वाले समाजसेवी कन्हैया लाल साहू ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि हमारे गांव के पास ही पहाड़ी पर जमीन पर अतिक्रमण था. वहां अतिक्रमण मुक्त करवाकर हमने 100 हेक्टेयर जमीन पर अधिक से अधिक पौधे लगाने का लक्ष्य रखा. जिसके तहत वर्ष 2017 में वर्षा ऋतु मे हमने वहां 50 हजार पौधे लगवाए. इस अभियान में ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और विभिन्न विभाग भी सम्मिलित हुए.

चारागाह में बरगद, पीपल, नीम, गुलमोहर , फलदार पौधों में आम ,थाई एप्पल ,बेर ,ताइवान पपीता ,नींबू ,संतरा ,अमरुद व चीकू पौधे लगाए. वहीं औषधीय पौधों मे नीम गिलोय, अर्जुन की छाल, एलोवेरा और बायोडीजल के पौधों में रतनजोत, करण व जैतून के पौधे यहां लगाए गए हैं. इन पौधों की हम प्रतिदिन ड्रिप सिस्टम के जरिए इनकी पिलाई करते हैं. जहां बोरिंग व सोलर ऊर्जा का पंप लगा हुआ है. वहां से इन पौधों को ड्रिप सिस्टम के जरिए पानी पिलाया जाता है.

यहां एक लाख लीटर वाटर स्टोरेज की टंकी बनी है, जिससे इन पौधों को पानी पिलाया जाता है. वहीं चारों ओर तारबंदी की गई है. बाहर से इस अनूठे चारागाह को देखने अन्य राज्य की टीम भी यहां पहुंचती हैं. यहां सोलर ऊर्जा की हाई मास्क लाइट की सुव्यवस्थित व्यवस्था गार्डन लगाया गया है, जिसको देखकर हर कोई अच्छभित होता है. इसके पीछे हमारा उद्देश्य है कि आसींद पंचायत समिति क्षेत्र डार्क जोन घोषित है और लगातार इस क्षेत्र में अंधाधुंध वृक्षों की कटाई हो रही है, जिसको देखकर समाजसेवी कन्हैया लाल साहू ने गांव में शुरुआत की. यहां 100 हेक्टेयर जमीन में कई प्रजाति के पौधे लगाए. इन पौधों को पहले तो ग्रामवासी श्रमदान के रूप में लोगों ने पानी पिलाया फिर पंचायत समिति व जल ग्रहण विभाग ने यहां कुआं खुदवाने के बाद यहां ड्रिप सिस्टम से पानी बचाने के उद्देश्य से यहां पौधों को पानी पिलाया जाता है.

समाजसेवी कन्हैया लाल साहू का मानना है कि लोग सिर्फ पौधे लगाकर फोटो खिंचवाने में विश्वास करते हैं. लेकिन उनका उद्देश्य है कि कम पौधे लगाओ लेकिन उसकी सुचारू रूप से व्यवस्था करो. वहीं चारागाह में काम करने वाले बुजुर्ग जमाना राम ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि वो यहां प्रतिदिन पौधों की देखरेख करते हैं. इनकी निराई गुड़ाई करते हैं. सब अच्छे चल रहे हैं. यहां पौधे लगने के बाद इस क्षेत्र में अधिक से अधिक बरसात हो रही है. पहले इस क्षेत्र में हमेशा अकाल का साया रहता था. लेकिन इस बार मानसून पूर्व की भी बरसात हो गई है. जिससे इस क्षेत्र में फसलों की बुवाई हो गई है.

यहां पानी बचाने के लिए बूंद-बूंद सिंचाई पद्धति से पौधों को पिलाया जाता है. पहले इस जमीन पर अतिक्रमण था, उसको मुक्त कराकर ग्राम वासियों ने अच्छा चारागाह बनाया जिसमें विभिन्न प्रजातियों के पौधे लगाए गए. वहीं मनरेगा के तहत काम करने वाली श्रमिक वर्दी देवी हो या सोनी देवी उन्होंने कहा कि हम प्रतिदिन या मनरेगा योजना के तहत इन पौधों की देखभाल करते हैं. निराई गुड़ाई करते हैं. पौधों की कटिंग करते हैं और इन को प्रतिदिन पानी पिलाते हैं.
वहीं आसींद पंचायत समिति के कार्यवाहक विकास अधिकारी गोपाल टेलर ने कहा कि हमारा मुख्य उद्देश्य चारागाह में विकास करना और पौधे लगाना था और इस गांव को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से ही इस चारागाह का डेवलप किया गया है. इससे उपज होगी. गांव के विकास में काम आएंगे. यहां चारागाह में 50 हजार पौधे लगे जो आयुर्वेदिक, औषधीय ,छायादार व बायोफ्यूल के पौधे लगाए गए. इन पौधे को मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन योजना के तहत सोलर पंप ड्रिप सिस्टम लगाकर इन पौधों की सिंचाई की जाती है.

भीलवाड़ा में इस गांव के लोगों ने बनाया अनूठा चारागाह

पंजाब और आंध्र प्रदेश की टीमों ने किया अवलोकन
हाल ही में हुई विडियो कान्फ्रेंसिंग में इस चारागाह का जिक्र और इसी तर्ज पर राजस्थान की प्रत्येक ग्राम पंचायत स्थर पर विकास होगा. यहां पर आंध्र प्रदेश की टीम भी अध्ययन करने आई. उन्होंने भी उनके क्षेत्र में इसी तर्ज पर चारागाह डेवेलप करने की बात कही वहीं पंजाब के नरेगा कमिश्नर भी अपनी टीम के साथ इस चारागाह क्षेत्र में पहुंचे और यहां के चारागाह का निरीक्षण करने के बाद पंजाब राज्य में भी इसी तर्ज पर चारागाह डेवलप करने की बात कही. अन्य राज्य की टीम ने भी अनूठे चारागाह की सराहना - मारवो का खेड़ा गांव के मॉडल चारागाह की पंजाब और आंध्र प्रदेश की टीम भी यहां जमीनी धरातल पर अवलोकन किया. अवलोकन करने के बाद उन्होंने रोल मॉडल चारागाह की सराहना करते हुए कहा कि हमारे राज्य में भी चरागाह भूमि पर अतिक्रमण से बचाने और अधिक से अधिक पौधे लगाने के उद्देश्य से वहां भी चरागाह का डेवलपमेंट किया जाएगा.

राज्य में भी प्रत्येक ग्राम पंचायत मुख्यालय पर बनेगा अनूठा चारागाह
हाल ही में प्रत्येक जिला स्तर पर हुई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में राज्य के रोल मॉडल चारागाह मारवो का खेड़ा गांव का जिक्र हुआ. जिसकी प्रशंसा करते हुए राज्य में प्रत्येक ग्राम पंचायत मुख्यालय पर इस मॉडल से चारागाह को डेवेलप करने की बात कही. जहां भी जल ग्रहण योजना के तहत चरागार पड़ा हुआ है. वहां इसी तर्ज पर चरागाह का डेवलपमेंट किया जाएगा. अब देखना यह होगा कि भीलवाड़ा जिले के आसींद पंचायत समिति के मारवो का खेड़ा गांव में पर्यावरण बचाने और चारागाह को अतिक्रमण से मुक्त करने के लिए अधिक से अधिक पेड़ लगाकर चरागाह को डवलप किया उसी तर्ज पर राजस्थान के अन्य ग्राम पंचायत मुख्यालय पर भी पर्यावरण बचाने को लेकर कब अधिक से अधिक पेड़ लगाए जाते हैं या नहीं.

Intro:भीलवाड़ा - पर्यावरण संरक्षण और चरागाह बचाने को लेकर भीलवाड़ा जिले के आसींद पंचायत समिति के रूपपुरा गांव के मारवो का खेड़ा गांव में राज्य का अनूठा रोल मॉडल चारागाह डवलप हुआ है । जहां वर्ष 2017 में वर्षा ऋतु में 50 हजार विभिन्न प्रजातियों के औषधीय ,छायादार और फलदार पौधे लगाए गए हैं। इस चारागाह को राजस्थान के साथ ही अन्य राज्य की टीम भी यहां आकर बारीकी से जानकारी ले रही है और अन्य राज्य में भी इसी तर्ज पर ही वहां के चारागाह को डेवलप किया जाएगा।


Body:भीलवाड़ा जिले के रूपपुरा गांव में राज्य का अनूठा चारागाह बना हुआ है । ग्राम वासियों व समाजसेवी कन्यालाल साहू की पहल पर पर्यावरण बचाने और चारागाह की जमीन को अतिक्रमण से मुक्त करवाने के उद्देश्य से गांव के चारागाह भूमि में पौधे लगाकर अनूठा चारागाह बनाया है । अनुठे चारागाह का जायजा लेने ईटीवी भारत की ग्रीन भारत मुहिम के तहत ईटीवी भारत की टीम पहुंची । जहां लोगों ने उनके गांव में बने चारागाह की सराहना की। गांव में चारागाह को डिवलप करने वाले समाजसेवी कन्हैया लाल साहू ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि हमारे गांव के पास ही पहाडी पर जमीन पर अतिक्रमण था । वहां अतिक्रमण मुक्त करवाकर हमने 100 हेक्टेयर जमीन पर अधिक से अधिक पौधे लगाने का लक्ष्य रखा। जिसके तहत वर्ष 2017 में वर्षा ऋतु मे हमने वहा 50 हजार पौधे लगवाए। यह पौधे ग्राम पंचायत ,पंचायत समिति और विभिन्न विभागों की ने भी इस पहल में सम्मिलित हुए । चारागाह में बरगद, पीपल, नीम, गुलमोहर ,फलदार पौधों में आम ,थाई एप्पल ,बेर ,ताइवान पपीता ,नींबू ,संतरा ,अमरुद व चीकू पौधे लगाए। वही औषधीय पौधों मे नीम गिलोय, अर्जुन की छाल, एलोवेरा व बायोडीजल के पौधों में रतनजोत, करण व जैतून के पौधे यहा लगाए गये हैं । इन पौधों की हम प्रतिदिन ड्रिप सिस्टम के जरिए इनकी पिलाई करते हैं । जहां बोरिंग व सोलर ऊर्जा का पंप लगा हुआ है। वहां से इन पौधों को ड्रिप सिस्टम के जरिए पानी पिलाया जाता है । या एक लाख लीटर वाटर स्टोरेज की टंकी बनी है जिससे इन पौधों को पानी पिलाया जाता है। वही चारों ओर तारबंदी की गई है । बाहर से इस अनूठे चारागाह को देखने अन्य राज्य की टीम भी यहां पहुंचती है । यहां सोलर ऊर्जा की हाई मास्क लाइट की सुव्यवस्थित व्यवस्था गार्डन लगाया गया है जिसको देखकर हर कोई अच्छभित होता है। इसके पीछे हमारा उद्देश्य है कि आसींद पंचायत समिति क्षेत्र डार्क जोन घोषित है और लगातार इस क्षेत्र में अंधाधुंध वृक्षों की कटाई हो रही है जिसको देखकर मैंने मेरे गांव में शुरुआत कि यहां 100 हेक्टेयर जमीन में यहां सभी प्रजाति के पौधे लगाए इन पौधों को पहले तो ग्रामवासी श्रमदान के रूप में लोगों ने पानी पिलाया फिर पंचायत समिति व जल ग्रहण विभाग ने यहां कुआं खुदवाने के बाद यहां ड्रिप सिस्टम से पानी बचाने के उद्देश्य से यहां पौधों को पानी पिलाया जाता है। मेरा मानना है की लोग सिर्फ पौधे लगाकर फोटो खिंचवाते मैं विश्वास करते हैं मेरा उद्देश्य है कि कम पौधे लगाओ लेकिन उसकी सुचारू रूप से व्यवस्था करो। वही चारागाह में काम करने वाले बुजुर्ग जमाना राम ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि मैं यहां प्रतिदिन पौधों की देखरेख करता हूं। इनकी निराई गुड़ाई करता हूं सब अच्छे चल रहे हैं यहा पौधे लगने के बाद इस क्षेत्र में अधिक से अधिक बरसात हो रही है। पहले इस क्षेत्र में हमेशा अकाल का साया रहता था। लेकिन इस बार मानसून पूर्व की भी बरसात हो गई है। जिससे इस क्षेत्र में फसलों की बुवाई हो गई है। यहां पानी बचाने के लिए बूंद बूंद सिंचाई पद्धति से पौधों को पिलाया जाता है। पहले इस जमीन पर अतिक्रमण था उसको मुक्त कराकर ग्राम वासियों ने अच्छा चारागाह बनाया जिसमे विभिन्न प्रजातियों के पौधे लगाए गए । वहीं मनरेगा के तहत काम करने वाली श्रमिक वर्दी देवी हो या सोनी देवी उन्होंने कहा कि हम प्रतिदिन या मनरेगा योजना के तहत इन पौधों की देखभाल करते हैं ।निराई गुड़ाई करते हैं ।पौधों की कटिंग करते हैं और इन को प्रतिदिन पिलाते हैं । वही आसींद पंचायत समिति के कार्यवाहक विकास अधिकारी गोपाल टेलर ने कहा कि हमारा मुख्य उद्देश्य चारागाह में विकास करना व पौधे लगाना था और इस गांव को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से ही इस चारागाह का डिवलप किया गया है। इससे उपज होगी गांव के विकास में काम आएंगे । यहा चारागाह में 50 हजार पौधे लगे जो आयुर्वेदिक, औषधीय ,छायादार व बायोफ्यूल के पौधे लगाए गए। इन पौधे को मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन योजना के तहत सोलर पंप ड्रिप सिस्टम लगाकर इन पौधों की सिंचाई की जाती है। हाल ही में हुई विडियो कान्फ्रेंसिंग में इस चारागाह का जिगर व इसी तर्ज पर राजस्थान की प्रत्येक ग्राम पंचायत स्थर पर विकास होगा। यहां पर आंध्र प्रदेश की टीम भी अध्ययन करने आई उन्होंने भी उनके क्षेत्र में इसी तर्ज पर चारागाह डिवेलप करने की बात कहा वहीं पंजाब के नरेगा कमिश्नर भी अपनी टीम के साथ इस चारागाह क्षेत्र में पहुंचे और यहां के चारागाह का निरीक्षण करने के बाद पंजाब राज्य में भी इसी तर्ज पर चारागाह डिवलप करने की बात कही। अन्य राज्य की टीम ने भी अनूठे चारागाह की सराहना - मारवो का खेड़ा गांव के मॉडल चारागाह की पंजाब और आंध्र प्रदेश की टीम भी यहां जमीनी धरातल पर अवलोकन किया । अवलोकन करने के बाद उन्होंने रोल मॉडल चारागाह की सराहना करते हुए कहा कि हमारे राज्य में भी चरागाह भूमि पर अतिक्रमण से बचाने और अधिक से अधिक पौधे लगाने के उद्देश्य से वहां भी चरागाह का डेवलपमेंट किया जाएगा। राज्य में भी प्रत्येक ग्राम पंचायत मुख्यालय पर बनेगा अनूठा चारागाह - हाल ही में प्रत्येक जिला स्तर पर हुई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में राज्य के रोल मॉडल चारागाह मारवो का खेड़ा गांव का जिक्र हुआ । जिसकी प्रशंसा करते हुए राज्य में प्रत्येक ग्राम पंचायत मुख्यालय पर इस मॉडल से चारागाह को डिवेलप करने की बात कही । जहां भी जल ग्रहण योजना के तहत चरागार पड़ा हुआ है वहां इसी तर्ज पर चरागाह का डेवलपमेंट किया जाएगा। अब देखना यह होगा कि भीलवाड़ा जिले के आसींद पंचायत समिति के मारवो का खेड़ा गांव में पर्यावरण बचाने और चारागाह को अतिक्रमण से मुक्त करने के लिए अधिक से अधिक पेड़ लगाकर चरागाह को डवलप किया उसी तर्ज पर राजस्थान के अन्य ग्राम पंचायत मुख्यालय पर भी पर्यावरण बचाने को लेकर कब अधिक से अधिक पेड़ लगाए जाते हैं या नही। सोमदत्त त्रिपाठी ईटीवी भारत भीलवाड़ा पीटीसी ओपनिंग - सोमदत त्रिपाठी, धरातल से बाईट- जमाना बरदी देवी सोनी देवी, श्रमिक चारागाह मे काम करने वाले बाईट- गोपाल टेलर, कार्यवाहक विकास अधिकारी , पंचायत समिति , आसीन्द , भीलवाड़ा वन-टू-वन- कन्हैया लाल समाजसेवी व चारागाह को डवलप करने वाला क्लोजिंग पीटीसी - सोमदत त्रिपाठी, धरातल से


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