जयपुर: राजधानी जयपुर के जयगढ़ फोर्ट में शनिवार को 'जयगढ़ हेरिटेज फेस्टिवल 2024' के पहले संस्करण का उद्घाटन हुआ. फेस्टिवल में संगीत, नृत्य, हेरिटेज वॉक, शिल्प, कन्वर्सेशन और व्यंजनों का अद्भुत संयोजन देखने को मिला. इस मौके पर जयपुर के पूर्व राजपरिवार के सदस्य पद्मनाभ सिंह ने कहा कि इस फेस्टिवल से टूरिज्म प्रमोट होगा. यह राजस्थान की कला और संस्कृति का अद्वितीय उत्सव है. इसका आगाज 28 दिसंबर को हुआ और समापन रविवार को होगा.
पद्मनाभ सिंह ने कहा कि जयगढ़ फोर्ट जयपुर और ढूंढाड़ क्षेत्र का गर्वित प्रतीक है. एक ऐसा ऐतिहासिक धरोहर स्थल है, जिसने सदियों से हमारी रक्षा की है. जयगढ़ हेरिटेज फेस्टिवल पिछले वर्ष जयगढ़ फोर्ट को आम जनता के लिए खोले जाने की 40वीं वर्षगांठ के अवसर पर शुरू हुआ था. इसका उद्देश्य हमारे शहर की अमूर्त धरोहर को सम्मानित करना है. जयगढ़ हेरिटेज फेस्टिवल में राजस्थान की कला और संस्कृति से रूबरू होने का मौका मिला है. उन्होंने कहा कि यह फेस्टिवल सभी समुदायों पर एक स्थायी प्रभाव छोड़ेगा. यहां न केवल कला, शिल्प, साहित्य और व्यंजनों का उत्सव मनाया जाएगा, बल्कि राजस्थान की जीवंत संस्कृति और गौरव का सार भी प्रस्तुत किया जाएगा.
सांस्कृतिक उत्सव का प्रमुख केन्द्र बनेगा फेस्टिवल: टीमवर्क आर्ट्स के प्रबंध निदेशक संजॉय के रॉय ने कहा कि जयगढ़ फोर्ट हमेशा कला के उपयोग का बेहतरीन उदाहरण रहा है, जिसने हमारी धरोहर के महत्व को बढ़ाया और मूर्त एवं अमूर्त धरोहर के प्रति सम्मान और समझ को बढ़ावा दिया. यह फोर्ट नवाचार और प्रयोग का प्रतीक है. यहां विश्व की सबसे बड़ी तोप बनाई गई थी. यहां का हर पत्थर और ईंट एक अनकही कहानी छुपाए हुए है.उन्होंने कहा कि जयगढ़ हेरिटेज फेस्टिवल के माध्यम से, हमारा उद्देश्य एक ऐसा मंच बनाना है, जो भविष्य में जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल (जेएलएफ) की तरह सांस्कृतिक उत्सव का एक प्रमुख केंद्र बन सके.
कलाकारों ने दी शानदार प्रस्तुतियां: पहले दिन की शुरुआत निलोय अहसान जुल्करनैन की 'दागर वाणी ध्रुपद' की प्रस्तुति से हुई, जिसमें 'राग मियां की तोड़ी' की मधुर रचना ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया. इसके बाद फेस्टिवल में विभिन्न सांस्कृतिक प्रस्तुतियां, वर्कशॉप्स, कन्वर्सेशन, शिल्प का आयोजन चला.
कैलाश खैर ने दी प्रस्तुति: फेस्टिवल के पहले दिन पद्मश्री कैलाश खैर, सूफी संगीत के उस्ताद मीर मुख्तियार अली, पुष्कर संगीत घराने के नाथुलाल सोलंकी की नगाड़ा वर्कशॉप, विक्रम श्रीवास्तव की हिंदुस्तानी क्लासिकल संगीत प्रस्तुति आकर्षण का केंद्र बनी. भुट्टे खान ने राजस्थानी लोक एवं सूफी गीत की प्रस्तुति दी. इसी प्रकार श्योपत जुलिया, जैसलमेर बॉयज और जयपुर के इंडी फोक फ्यूजन बैंड- युगम की ओर स्वागत प्रस्तुतियां मुख्य आकर्षण का केंद्र रहीं.
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जयपुरनामा पर चर्चा: पहले दिन कन्वर्सेशन की शुरुआत 'जयपुरनामाः द पल्स ऑफ पिंकसिटी' से हुई, जिसमें पिंक सिटी के रूप में प्रसिद्ध जयपुर शहर, के समृद्ध इतिहास, कला और सांस्कृतिक धरोहर को समझने पर चर्चा हुई. इसमें पर्यटन, संस्कृति और यात्रा लेखक तृप्ति पांडे और राजस्थान के इतिहास पर विशेषज्ञ और लेखिका रीमा हूजा ने भाग लिया.
पारंपरिक कला प्रदर्शित: इसके बाद विद्या शाह की ओर से 'वुमन ऑन रिकॉर्ड' सत्र में शास्त्रीय संगीत की महत्ता को बताया गया और महिलाओं के संगीत में योगदान पर भी प्रकाश डाला गया. इसके अलावा नीलेश मिश्रा की ओर से 'स्टोरीटेलिंग एंड म्यूजिक' पर दिलचस्प वार्ता की गई. फेस्टिवल के दौरान क्राफ्ट कोर्टयार्ड में जयपुर के कारीगरों द्वारा बनाई गई पारंपरिक कला को प्रदर्शित किया जा रहा है.
लोक गायिका मालिनी अवस्था आएंगी: फेस्टिवल के दूसरे दिन, 29 दिसंबर को उत्सव की शुरुआत संदीप सिंह और आविर्भाव वर्मा की ओर से तौस वादन के साथ होगी. इसके बाद अन्य प्रमुख सांस्कृतिक प्रस्तुतियां होंगी. इनमें लोक संगीत की प्रसिद्ध गायिका मालिनी अवस्थी, नाथूलाल सोलंकी द्वारा नगाड़ा प्रदर्शन, जैसलमेर बॉयज की प्रस्तुति, ताल फ्राय द्वारा क्लासिकल और फोक म्यूजिक प्रस्तुतियां और 'अंडर द नीम ट्री निमाद' की प्रस्तुति शामिल होंगी.