भरतपुर. पूर्वी राजस्थान का द्वार कहा जाने वाला भरतपुर जिला उत्तर प्रदेश, हरियाणा की सीमा से लगा हुआ है. जहां खास बात यह रही है कि यहां एक लंबे समय से बरसात का अभाव देखने को मिल रहा है इसके अलावा अन्य स्रोतों से जलापूर्ति नहीं होने के कारण यहां पानी का संकट हमेशा बरकरार रहता है. जिसके चलते पौधारोपण करना एक बहुत बड़ी समस्या है क्योंकि पौधारोपण करने के बाद पानी की कमी के चलते वृक्ष सूख जाते हैं. यदि मानसून काल में बरसात अच्छी हो जाती है तो पौधारोपण में लगाए गए पौधे प्रगति कर सकते हैं.
वन विभाग ने केवलादेव नेशनल पार्क के सामने पौधों की नर्सरी बना रखी है. जहां मानसून सीजन से पहले हर प्रकार के पौधे तैयार किए जाते हैं. जिनमे फलदार, फूलदार पौधे होते हैं जहां बरसात होने से पहले लोग यहां नर्सरी से सभी प्रकार के पौधे ले जाते हैं और अपने क्षेत्रों में जाकर लगाते हैं.
अमूमन देखने को मिलता है कि शहरी क्षेत्र के लोग फूलदार पौधे ले जाना ज्यादा पसंद करते हैं तो वहीं ग्रामीण क्षेत्र के लोग फलदार और छायादार वृक्ष लगाने के लिए पौधे ले जाना ज्यादा पसंद करते हैं. वन अधिकारी ने बताया कि नर्सरी में सभी प्रकार की वैरायटी के पौधे तैयार किए जाते हैं जिससे लोगों को यहां से मिल सके और वह पौधारोपण कर वातावरण को सकारात्मक कर सके.
यदि पेड़ पौधे लगेंगे तो बरसात ज्यादा होगी लेकिन आज लोगों में वृक्षारोपण करने का शौक कम हो चुका है वहीं नर्सरी में पौधे लेने आए लोगों ने कहा कि वृक्षारोपण करना जरूरी है. हर व्यक्ति को पौधे लगाने चाहिए जिससे वातावरण अच्छा बनता है और बरसात होती है. आज लोग पेड़ नहीं लगाते हैं और काट रहे हैं इसका परिणाम है कि बरसात नहीं होती है.
जिले के एक पर्यावरणविद बच्चू सिंह वर्मा हैं जिसने वृक्षारोपण करने की मुहिम काफी समय से चला रखी है और वे अब तक करीब 19,000 पौधे उन जगहों पर लगा चुके हैं जहां पौधे नहीं होते थे. पौधे लगाने के अलावा वह नियमित रूप से उनमें पानी देते हैं उनकी रक्षा कर ख्याल भी रखते हैं. इसके साथ ही युवाओं को अधिक पौधारोपण करने और खाली पड़ी जगह पर पौधा लगाने के लिए प्रेरित भी करते हैं.