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जयपुर: RU में वरिष्ठता की सूची को लांघकर नए कर्मचारियों को दिए जा रहे आवास

कर्मचारी के आवास प्रकरण का मामला राजभवन तक पहुंच चुका है. इस मामले पर विश्वविद्यालय को राजभवन से कई बार पत्र तक मिल चुके हैं.

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Published : Jun 1, 2019, 4:07 PM IST

आरयू में वरिष्ठता की सूची को लांघकर नए कर्मचारियों को दिए जा रहे आवास

जयपुर. राजस्थान विश्वविद्यालय में स्टाफ क्वार्टर आवंटन में अनियमितताओं के कारण यूनिवर्सिटी का एक अशैक्षणिक कर्मचारी रमेश डाबोरिया पिछले 19 साल से आवास के लिए कुलपति और आवास आवंटित समिति के कन्वीन केजी शर्मा के चक्कर काट रहा है लेकिन उसके बावजूद अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है. आखिरकार, कर्मचारी को उच्च न्यायालय की शरण लेनी पड़ी लेकिन विश्वविद्यालय ने उच्च न्यायालय के आदेश की भी अवहेलना की.

आरयू में वरिष्ठता की सूची को लांघकर नए कर्मचारियों को दिए जा रहे आवास

यह है पूरा मामला

राजस्थान विश्वविद्यालय में कार्यरत शैक्षणिक और अशैक्षणिक कर्मचारियों के साथ सहायक कर्मचारियों को वरिष्ठता आत्मवयक्षक जरूरत के तहत आवास आवंटित किया जाता है. वहीं विश्वविद्यालय में साल 1995 से कार्यरत लिपिक रमेश डाबोरिया का वरिष्ठता की सूची में कई बार नाम आ चुका है लेकिन आवास आवंटित समिति कर्मचारी को वरिष्ठता की सूची में नाम ना होने की बात कह रही है.

इसी बीच जहां एक ओर 20 साल के वरिष्ठ कर्मचारी को अब तक आवास नहीं मिल पाया है तो वहीं विश्वविद्यालय ने 8 से 10 महीने पहले यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट लाइब्रेरियन के पद पर ज्वाइन हुए अनुभव शाह के साथ कई सहायक कर्मचारियों को आवास आवंटित कर दिया गया, जो नियमों का उलंघन है. अब सवाल यह उठता है कि आखिर कर्मचारी वाल्मीकि समाज से है इसलिए उनको आवास आवंटित नहीं किया जा रहा है या फिर आवास आवंटित समिति ने अशैक्षणिक कर्मचारी संघ से सांठगांठ कर रखी है इसलिए उनके हिसाब से आवास आवंटित किए जा रहे है.

मामले पर पीड़ित कर्मचारी ने विश्वविद्यालय पर आरोप लगाते हुए कहा कि सबसे अधिक आवश्यकता होने के कारण वर्ष 1997 से लगातार विवि परिसर में आवेदन करते आ रहे हैं लेकिन दलित वर्ग से होने के कारण हमेशा मेरा आवेदन सूची से हटा दिया जाता है. जबकि विवि आवास आवंटन नियम के अनुसार वरिष्ठता के आधार पर मेरा नाम सूची में सबसे पहले होना चाहिए था.

आपको बता दें कि डाबोरिया कर्मचारी आवास मामले पर आरयू के पूर्व कुलसचिव केसर लाल मीणा ने 21 फरवरी 2019 में हुई आवास आवंटित समिति की बैठक से पहले विवि प्रशासन को नोटशीट जारी की. जिसमें साफ साफ लिखा गया था कि रमेश डाबोरिया के आवास प्रकरण का निस्तारण होने तक एक आवास संबंधित कैटेगरी का आवास रिक्त रखा जाना प्रस्तावित है लेकिन समिति ने इन आदेशों को भी नजरअंदाज करते हुए डाबोरिया के नाम से रिक्त आवास को 10 महीने पहले ज्वाइन हुए अनुभव शाह को दे दिया.

कर्मचारी आवास मामले पर ईटीवी भारत ने रजिस्ट्रार से लेकर वित्त अधिकारी और आवास आवंटित समिति के कन्वीनर प्रोफेसर केजी शर्मा से बातचीत की लेकिन सभी इस मामले पर कुछ बोलने से बचते नजर आए. वहीं आरयू के कुलपति आरके कोठारी ने कहा कि इस मामले पर आवास आवंटित समिति अच्छे से तथ्य को पेश कर पाएगी और उन्हें इस मामले की पूरी जानकारी नहीं है.

जयपुर. राजस्थान विश्वविद्यालय में स्टाफ क्वार्टर आवंटन में अनियमितताओं के कारण यूनिवर्सिटी का एक अशैक्षणिक कर्मचारी रमेश डाबोरिया पिछले 19 साल से आवास के लिए कुलपति और आवास आवंटित समिति के कन्वीन केजी शर्मा के चक्कर काट रहा है लेकिन उसके बावजूद अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है. आखिरकार, कर्मचारी को उच्च न्यायालय की शरण लेनी पड़ी लेकिन विश्वविद्यालय ने उच्च न्यायालय के आदेश की भी अवहेलना की.

आरयू में वरिष्ठता की सूची को लांघकर नए कर्मचारियों को दिए जा रहे आवास

यह है पूरा मामला

राजस्थान विश्वविद्यालय में कार्यरत शैक्षणिक और अशैक्षणिक कर्मचारियों के साथ सहायक कर्मचारियों को वरिष्ठता आत्मवयक्षक जरूरत के तहत आवास आवंटित किया जाता है. वहीं विश्वविद्यालय में साल 1995 से कार्यरत लिपिक रमेश डाबोरिया का वरिष्ठता की सूची में कई बार नाम आ चुका है लेकिन आवास आवंटित समिति कर्मचारी को वरिष्ठता की सूची में नाम ना होने की बात कह रही है.

इसी बीच जहां एक ओर 20 साल के वरिष्ठ कर्मचारी को अब तक आवास नहीं मिल पाया है तो वहीं विश्वविद्यालय ने 8 से 10 महीने पहले यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट लाइब्रेरियन के पद पर ज्वाइन हुए अनुभव शाह के साथ कई सहायक कर्मचारियों को आवास आवंटित कर दिया गया, जो नियमों का उलंघन है. अब सवाल यह उठता है कि आखिर कर्मचारी वाल्मीकि समाज से है इसलिए उनको आवास आवंटित नहीं किया जा रहा है या फिर आवास आवंटित समिति ने अशैक्षणिक कर्मचारी संघ से सांठगांठ कर रखी है इसलिए उनके हिसाब से आवास आवंटित किए जा रहे है.

मामले पर पीड़ित कर्मचारी ने विश्वविद्यालय पर आरोप लगाते हुए कहा कि सबसे अधिक आवश्यकता होने के कारण वर्ष 1997 से लगातार विवि परिसर में आवेदन करते आ रहे हैं लेकिन दलित वर्ग से होने के कारण हमेशा मेरा आवेदन सूची से हटा दिया जाता है. जबकि विवि आवास आवंटन नियम के अनुसार वरिष्ठता के आधार पर मेरा नाम सूची में सबसे पहले होना चाहिए था.

आपको बता दें कि डाबोरिया कर्मचारी आवास मामले पर आरयू के पूर्व कुलसचिव केसर लाल मीणा ने 21 फरवरी 2019 में हुई आवास आवंटित समिति की बैठक से पहले विवि प्रशासन को नोटशीट जारी की. जिसमें साफ साफ लिखा गया था कि रमेश डाबोरिया के आवास प्रकरण का निस्तारण होने तक एक आवास संबंधित कैटेगरी का आवास रिक्त रखा जाना प्रस्तावित है लेकिन समिति ने इन आदेशों को भी नजरअंदाज करते हुए डाबोरिया के नाम से रिक्त आवास को 10 महीने पहले ज्वाइन हुए अनुभव शाह को दे दिया.

कर्मचारी आवास मामले पर ईटीवी भारत ने रजिस्ट्रार से लेकर वित्त अधिकारी और आवास आवंटित समिति के कन्वीनर प्रोफेसर केजी शर्मा से बातचीत की लेकिन सभी इस मामले पर कुछ बोलने से बचते नजर आए. वहीं आरयू के कुलपति आरके कोठारी ने कहा कि इस मामले पर आवास आवंटित समिति अच्छे से तथ्य को पेश कर पाएगी और उन्हें इस मामले की पूरी जानकारी नहीं है.

Intro:जयपुर- राजस्थान विश्वविद्यालय में स्टाफ क्वार्टर आवंटन में अनियमितताओं के कारण यूनिवर्सिटी का एक अशैक्षणिक कर्मचारी रमेश डाबोरिया पिछले 19 साल से आवास के लिए कुलपति और आवास आवंटित समिति के कन्वीन केजी शर्मा के चक्कर काट रहा है लेकिन उसके बावजूद अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। आखिरकार, कर्मचारी को उच्च न्यायालय की शरण लेनी पड़ी लेकिन विश्वविद्यालय ने उच्च न्यायालय के आदेश की भी अवहेलना की। कर्मचारी के आवास प्रकरण का मामला राजभवन तक पहुंच चुका है और इस मामले पर विश्वविद्यालय को राजभवन से कई बार पत्र तक मिल चुके है लेकिन विश्वविद्यालय द्वारा लगातार गलत तथ्य पेश कर राजभवन के आला अधिकारियों को भी गुमराह किया जा रहा है।


Body:यह है पूरा मामला
राजस्थान विश्वविद्यालय में कार्यरत शैक्षणिक व अशैक्षणिक कर्मचारियों के साथ सहायक कर्मचारियों को वरिष्ठता आत्मवयक्षक जरूरत के तहत आवास आवंटित किया जाता है। वहीं विश्वविद्यालय में साल 1995 से कार्यरत लिपिक रमेश डाबोरिया का वरिष्ठता की सूची में कई बार नाम आ चुका है लेकिन आवास आवंटित समिति कर्मचारी को वरिष्ठता की सूची में नाम ना होने की बात कह रही है। इसी बीच जहां एक ओर 20 साल के वरिष्ठ कर्मचारी को अब तक आवास नहीं मिल पाया है तो वहीं विश्वविद्यालय ने 8 से 10 महीने पहले यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट लाइब्रेरियन के पद पर ज्वाइन हुए अनुभव शाह के साथ कहीं सहायक कर्मचारियों को आवास आवंटित कर दिया गया, जो नियमों का उलंघन है। अब सवाल यह उठता है कि आखिर कर्मचारी वाल्मीकि समाज से है इसलिए उनको आवास आवंटित नहीं किया जा रहा है या फिर आवास आवंटित समिति ने अशैक्षणिक कर्मचारी संघ से सांठगांठ कर रखी है इसलिए उनके हिसाब से आवास आवंटित किए जा रहे है।

मामले पर पीड़ित कर्मचारी ने विश्वविद्यालय पर आरोप लगाते हुए कहा कि सबसे अधिक आवश्यकता होने के कारण वर्ष 1997 से लगातार विवि परिसर में आवेदन करता आ रहा हूं लेकिन दलित वर्ग से होने के कारण हमेशा मेरा आवेदन सूची से हटा दिया जाता है। जबकि विवि आवास आवंटन नियम के अनुसार वरिष्ठता के आधार पर मेरा नाम सूची में सबसे पहले होना चाहिए था।

आपको बता दे डाबोरिया कर्मचारी आवास प्रकरण मामले पर आरयू के पूर्व कुलसचिव केसर लाल मीणा ने 21 फरवरी 2019 में हुई आवास आवंटित समिति की बैठक से पहले विवि प्रशासन को नोटशीट जारी की जिसमे साफ साफ लिखा गया था कि रमेश डाबोरिया के आवास प्रकरण का निस्तारण होने तक एक आवास संबंधित कैटेगरी का आवास रिक्त रखा जाना प्रस्तावित है लेकिन समिति ने इन आदेशों को भी नजरअंदाज करते हुए डाबोरिया के नाम से रिक्त आवास को 10 महीने पहले ज्वाइन हुए अनुभव शाह को दे दिया गया।

कर्मचारी आवास प्रकरण मामले पर ईटीवी भारत ने रजिस्ट्रार से लेकर वित्त अधिकारी और आवास आवंटित समिति के कन्वीनर प्रोफेसर केजी शर्मा से बातचीत की लेकिन सभी इस मामले पर कुछ बोलने से बचते नजर आए वहीं आरयू के कुलपति आरके कोठारी ने कहा कि इस मामले पर आवास आवंटित समिति अच्छे से तथ्य को पेश कर पाएगी, मुझे इस मामले की पूरी जानकारी नहीं है।


Conclusion:क्या कर्मचारी दलित है इसलिए इनका आवास आवंटन का पेंच फंसा हुआ या फिर आवास आवंटित समिति अशैक्षणिक कर्मचारी संघ के दबाव में आकर चहेतों को रेवड़ियां बांट रही है।
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