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2014 में मोदी लहर में भी अडिग चट्टान की तरह खड़े रहे लखमीराम बैरवा का टिकट काट कांग्रेस ने पैरों पर मारी कुल्हाड़ी

कांग्रेस और बीजेपी की ओर से राजस्थान के लिए पहली लिस्ट जारी हो चुकी है. जहां बीजेपी में झुंझुनूं सीट से संतोष अहलावत का नाम कटना चर्चा का विषय बना था वहीं अब कांग्रेस में करौली-धौलपुर सीट से लखमीराम बैरवा का टिकट कटना लोगों के समझ से परे है.

लखीमराम बैरवा और राहुल गांधी (फाइल फोटो)
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Published : Mar 29, 2019, 1:06 PM IST

जयपुर. कांग्रेस ने गुरूवार रात को अपनी पहली लिस्ट जारी कर दी. राजस्थान की 25 में से 16 सीटों पर नामों के ऐलान में वैभव गहलोत को जोधपुर से टिकट दिया है. यह वैभव का पहला चुनाव होगा. इसके वहीं ज्योति मिर्धा को टिकट देकर कांग्रेस ने उस चर्चा पर विराम लगा दिया जिसमें यह कहा जा रहा था कि वो बीजेपी में शामिल हो सकती हैं. इन सभी नामों के बीच एक नाम की सबको उम्मीद थी लेकिन वो नाम लिस्ट से गायब था. वो नाम था करौली-धौलपुर सीट से लखमीराम बैरवा का.

2014 का महासंग्राम जिसमें बड़े-बड़े शूरमा मोदी लहर में उखड़ गए. लेकिन इस लहर में भी जो मजबूती से खड़े रहे वो हैं लखमीराम बैरवा. जहां बीजेपी से हारने वाले कांग्रेस नेता लाखों के अंतर में थे. वहीं लखमीराम हार तो गए लेकिन हार का अंतर इतना था कि उसे देखकर कोई भी इसे मोदी लहर में हुई हार नहीं कह सकता था.

इस बार की बात करें तो इस बार 2014 वाला माहौल नहीं है. लखमीराम बैरवा 2014 में मनोज रजौरिया से महज 27,216 वोट से हारे थे. इस बार उनके जीतने की संभावनाएं ज्यादा थी. लेकिन कांग्रेस ने उनका टिकट काट दिया. यह सीट कांग्रेस के पास आने की पूरी संभावना होती अगर यहां से लखमीराम बैरवा उम्मीदवार होते. लेकिन कांग्रेस ने बैरवा का टिकट काटकर खुद के पैर पर कुल्हाड़ी मार ली है.

कांग्रेस के लगातार लंबी मैराथन बैठकों के बाद ये नाम फाइनल हुए हैं. करौली-धौलपुर से संजय कुमार जाटव को उम्मीदवार बनाया गया है. लखमीराम को उम्मीदवार ना बनाने के पीछे कांग्रेस आलाकमान की क्या सोच है. और इस सोच का उन्हें फायदा मिलेगा या फिर नुकसान इस बात का फैसला 23 मई को हो जाएगा.

जयपुर. कांग्रेस ने गुरूवार रात को अपनी पहली लिस्ट जारी कर दी. राजस्थान की 25 में से 16 सीटों पर नामों के ऐलान में वैभव गहलोत को जोधपुर से टिकट दिया है. यह वैभव का पहला चुनाव होगा. इसके वहीं ज्योति मिर्धा को टिकट देकर कांग्रेस ने उस चर्चा पर विराम लगा दिया जिसमें यह कहा जा रहा था कि वो बीजेपी में शामिल हो सकती हैं. इन सभी नामों के बीच एक नाम की सबको उम्मीद थी लेकिन वो नाम लिस्ट से गायब था. वो नाम था करौली-धौलपुर सीट से लखमीराम बैरवा का.

2014 का महासंग्राम जिसमें बड़े-बड़े शूरमा मोदी लहर में उखड़ गए. लेकिन इस लहर में भी जो मजबूती से खड़े रहे वो हैं लखमीराम बैरवा. जहां बीजेपी से हारने वाले कांग्रेस नेता लाखों के अंतर में थे. वहीं लखमीराम हार तो गए लेकिन हार का अंतर इतना था कि उसे देखकर कोई भी इसे मोदी लहर में हुई हार नहीं कह सकता था.

इस बार की बात करें तो इस बार 2014 वाला माहौल नहीं है. लखमीराम बैरवा 2014 में मनोज रजौरिया से महज 27,216 वोट से हारे थे. इस बार उनके जीतने की संभावनाएं ज्यादा थी. लेकिन कांग्रेस ने उनका टिकट काट दिया. यह सीट कांग्रेस के पास आने की पूरी संभावना होती अगर यहां से लखमीराम बैरवा उम्मीदवार होते. लेकिन कांग्रेस ने बैरवा का टिकट काटकर खुद के पैर पर कुल्हाड़ी मार ली है.

कांग्रेस के लगातार लंबी मैराथन बैठकों के बाद ये नाम फाइनल हुए हैं. करौली-धौलपुर से संजय कुमार जाटव को उम्मीदवार बनाया गया है. लखमीराम को उम्मीदवार ना बनाने के पीछे कांग्रेस आलाकमान की क्या सोच है. और इस सोच का उन्हें फायदा मिलेगा या फिर नुकसान इस बात का फैसला 23 मई को हो जाएगा.

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कांग्रेस और बीजेपी की ओर से राजस्थान के लिए पहली लिस्ट जारी हो चुकी है. जहां बीजेपी में झुंझुनूं सीट से संतोष अहलावत का नाम कटना चर्चा का विषय बना था वहीं अब कांग्रेस में करौली-धौलपुर सीट से लखमीराम बैरवा का टिकट कटना लोगों के समझ से परे है.

जयपुर. कांग्रेस ने गुरूवार रात को अपनी पहली लिस्ट जारी कर दी. राजस्थान की 25 में से 16 सीटों पर नामों के ऐलान में वैभव गहलोत को जोधपुर से टिकट दिया है. यह वैभव का पहला चुनाव होगा. इसके वहीं ज्योति मिर्धा को टिकट देकर कांग्रेस ने उस चर्चा पर विराम लगा दिया जिसमें यह कहा जा रहा था कि वो बीजेपी में शामिल हो सकती हैं. इन सभी नामों के बीच एक नाम की सबको उम्मीद थी लेकिन वो नाम लिस्ट से गायब था. वो नाम था करौली-धौलपुर सीट से लखमीराम बैरवा का.

2014 का महासंग्राम जिसमें बड़े-बड़े शूरमा मोदी लहर में उखड़ गए. लेकिन इस लहर में भी जो मजबूती से खड़े रहे वो हैं लखमीराम बैरवा. जहां बीजेपी से हारने वाले कांग्रेस नेता लाखों के अंतर में थे. वहीं लखमीराम हार तो गए लेकिन हार का अंतर इतना था कि उसे देखकर कोई भी इसे मोदी लहर में हुई हार नहीं कह सकता था.

इस बार की बात करें तो इस बार 2014 वाला माहौल नहीं है. लखमीराम बैरवा 2014 में मनोज रजौरिया से महज 27,216 वोट से हारे थे. इस बार उनके जीतने की संभावनाएं ज्यादा थी. लेकिन कांग्रेस ने उनका टिकट काट दिया. यह सीट कांग्रेस के पास आने की पूरी संभावना होती अगर यहां से लखमीराम बैरवा उम्मीदवार होते. लेकिन कांग्रेस ने बैरवा का टिकट काटकर खुद के पैर पर कुल्हाड़ी मार ली है.

कांग्रेस के लगातार लंबी मैराथन बैठकों के बाद ये नाम फाइनल हुए हैं. करौली-धौलपुर से संजय कुमार जाटव को उम्मीदवार बनाया गया है. लखमीराम को उम्मीदवार ना बनाने के पीछे कांग्रेस आलाकमान की क्या सोच है. और इस सोच का उन्हें फायदा मिलेगा या फिर नुकसान इस बात का फैसला 23 मई को हो जाएगा.  


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