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इस नवरात्रि पर मां दुर्गा...सिंह नहीं घोड़े पर सवार होकर आएंगी आपके घर...ये दुर्लभ संयोग बन रहे इस साल - राजस्थान

नवरात्रि में इस साल दुर्लभ संयोग होंगे. इन नौ दिनों में सर्वार्थसिद्धि योग, रवियोग, रविपुष्य योग और भद्रा स्वर्गलोक बन रहे हैं. माना जाता है कि इस तरह के संयोग में देवी साधना विशेष फलदायक होती है.

नवरात्रि में इन नौ देवियों की होती है पूजा
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Published : Apr 5, 2019, 10:40 AM IST

जयपुर. 6 अप्रैल शनिवार से चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ होने जा रहा है. नौ दिनों में तक चलने वाले इस नवरात्रि में मां के 9 रूपों की पूजा अर्चना कर व्रत रखा जाता है.

नवरात्रि में इन नौ देवियों की होती है पूजा

  1. शैलपुत्री
  2. ब्रम्हचारिणी
  3. चंद्रघंटा
  4. कूष्मांडा
  5. स्कंदमाता
  6. कात्यायनी
  7. कालरात्रि
  8. महागौरी
  9. सिद्धिदात्री

ये दुर्लभ संयोग बन रहे इस साल
कल से शुरू होने वाली 9 देवियों के लिए देशभर के मंदिरों में तैयारियां पूरी हो चुकी है. नवरात्रि में इस साल दुर्लभ संयोग होंगे. इन नौ दिनों में सर्वार्थसिद्धि योग, रवियोग, रविपुष्य योग और भद्रा स्वर्गलोक बन रहे हैं. माना जाता है कि इस तरह के संयोग में देवी साधना विशेष फलदायक होती है.

नौ दिन, नौ संयोग

  • पहले दिन 6 अप्रैल को प्रतिपदा घट स्थापना अभिजीत मुहूर्त होगा.
  • दूसरे दिन 7 अप्रैल को द्वितीया सर्वार्थ सिद्धि योग होगा.
  • तीसरे दिन 8 अप्रैल को तृतीया रवि योग होगा.
  • चौथे दिन 9 अप्रैल को चतुर्थी सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, स्वर्गलोक की भद्रा का योग होगा.
  • पांचवें दिन 10 अप्रैल को पंचमी सर्वार्थ सिद्धि रवि योग होगा.
  • छठें दिन 11 अप्रैल को षष्टी रवि योग होगा.
  • सातवें दिन 12 अप्रैल को सप्तमी सर्वार्थ सिद्धि योग होगा.
  • आठवें दिन 13 अप्रैल को अष्टमी धामनवमी रवियोग होगा.
  • नवें दिन 14 अप्रैल को नवमी रवि पुष्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, नवरात्रि वत्र पारणा योगा होगा.

जैसा का सबकों जानकारी है कि मां दुर्गा की सवारी सिंह यानी शेर है. लेकिन हर समय नवरात्रि पर तिथि के अनुसार मां दुर्गा अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर आती है. 6 अप्रैल यानि शनिवार के दिन घट स्थापना होने पर मां दुर्गा सिंह (शेर) के बजाय घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं.

जानिए किस वार को मां की कौनसी होती है सवारी
बताया जाता है कि सोमवार और रविवार को प्रतिपदा तिथि होने से मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती है. शनिवार और मंगलवार होने पर माता का वाहन घोड़ा होता है. गुरूवार तथा शुक्रवार के दिन कलश स्थापना होने पर माता डोली पर सवार होकर आती है. बुधवार का दिन होने पर माता नाव पर सवार होकर आती है. अत: कलश स्थापना 6 अप्रैल यानि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा शनिवार को है.

जयपुर. 6 अप्रैल शनिवार से चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ होने जा रहा है. नौ दिनों में तक चलने वाले इस नवरात्रि में मां के 9 रूपों की पूजा अर्चना कर व्रत रखा जाता है.

नवरात्रि में इन नौ देवियों की होती है पूजा

  1. शैलपुत्री
  2. ब्रम्हचारिणी
  3. चंद्रघंटा
  4. कूष्मांडा
  5. स्कंदमाता
  6. कात्यायनी
  7. कालरात्रि
  8. महागौरी
  9. सिद्धिदात्री

ये दुर्लभ संयोग बन रहे इस साल
कल से शुरू होने वाली 9 देवियों के लिए देशभर के मंदिरों में तैयारियां पूरी हो चुकी है. नवरात्रि में इस साल दुर्लभ संयोग होंगे. इन नौ दिनों में सर्वार्थसिद्धि योग, रवियोग, रविपुष्य योग और भद्रा स्वर्गलोक बन रहे हैं. माना जाता है कि इस तरह के संयोग में देवी साधना विशेष फलदायक होती है.

नौ दिन, नौ संयोग

  • पहले दिन 6 अप्रैल को प्रतिपदा घट स्थापना अभिजीत मुहूर्त होगा.
  • दूसरे दिन 7 अप्रैल को द्वितीया सर्वार्थ सिद्धि योग होगा.
  • तीसरे दिन 8 अप्रैल को तृतीया रवि योग होगा.
  • चौथे दिन 9 अप्रैल को चतुर्थी सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, स्वर्गलोक की भद्रा का योग होगा.
  • पांचवें दिन 10 अप्रैल को पंचमी सर्वार्थ सिद्धि रवि योग होगा.
  • छठें दिन 11 अप्रैल को षष्टी रवि योग होगा.
  • सातवें दिन 12 अप्रैल को सप्तमी सर्वार्थ सिद्धि योग होगा.
  • आठवें दिन 13 अप्रैल को अष्टमी धामनवमी रवियोग होगा.
  • नवें दिन 14 अप्रैल को नवमी रवि पुष्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, नवरात्रि वत्र पारणा योगा होगा.

जैसा का सबकों जानकारी है कि मां दुर्गा की सवारी सिंह यानी शेर है. लेकिन हर समय नवरात्रि पर तिथि के अनुसार मां दुर्गा अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर आती है. 6 अप्रैल यानि शनिवार के दिन घट स्थापना होने पर मां दुर्गा सिंह (शेर) के बजाय घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं.

जानिए किस वार को मां की कौनसी होती है सवारी
बताया जाता है कि सोमवार और रविवार को प्रतिपदा तिथि होने से मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती है. शनिवार और मंगलवार होने पर माता का वाहन घोड़ा होता है. गुरूवार तथा शुक्रवार के दिन कलश स्थापना होने पर माता डोली पर सवार होकर आती है. बुधवार का दिन होने पर माता नाव पर सवार होकर आती है. अत: कलश स्थापना 6 अप्रैल यानि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा शनिवार को है.

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