जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा है कि सीबीएसई छात्रों को उसके माता-पिता के समाज में प्रचलित नाम से अलग नाम रखने के लिए बाध्य नहीं कर सकती है. यदि उनका ऐसा कोई नियम है तो उसे अवैध घोषित किया जाना चाहिए. इसके साथ ही अदालत ने बोर्ड को आदेश दिए हैं कि वह याचिकाकर्ता की 12वीं कक्षा की अंक तालिका में उसकी मां के नाम को 7 दिन में संशोधित करे. ऐसा नहीं करने पर अदालत ने संबंधित अधिकारी को अवमानना की कार्रवाई करने की चेतावनी दी है. न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा की एकलपीठ ने यह आदेश इशिता खंडेलवाल की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.
अदालत ने कहा कि यह बड़ा दुखद है कि बोर्ड अपने कर्तव्य निर्वहन में फेल रहा है. याचिका में कहा गया कि उसकी मां का नाम सीमा माणक था. जिसे बदलकर संयोगिता माणक रखा गया. इस आधार पर 12वीं की अंकतालिका में भी संशोधन के लिए आवेदन किया. लेकिन, बोर्ड ने नाम बदलने से इनकार कर दिया.
वहीं सीबीएसई की ओर से कहा गया कि नियमानुसार अंक तालिका के किसी भी नाम को परिणाम जारी होने से पहले ही संशोधित किया जा सकता है. ऐसे में याचिकाकर्ता की मां के नाम को संशोधित नहीं किया जा सका. दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने कहा कि यह नियम सिद्धांत के विपरीत है. इसके साथ ही अदालत ने 7 दिन में अंकतालिका में संशोधन के आदेश दिए हैं.
राजस्थान हाईकोर्ट ने पूछा अतिक्रमण को क्यों नहीं हटाया गया
राजस्थान हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एसीएस यूडीएच, आवासन मंडल सचिव और जेडीए सहित अन्य को नोटिस जारी कर पूछा है कि इंदिरा गांधी नगर में फ्लैट के लिए आरक्षित भूमि पर हुए अतिक्रमण को क्यों नहीं हटाया गया है. मुख्य न्यायाधीश एस रविंद्र भट्ट और न्यायाधीश जीआर मूलचंदानी की खंडपीठ ने यह आदेश राजकुमार चंदेल की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.
याचिका में अधिवक्ता प्रहलाद शर्मा ने अदालत को बताया कि आवासन मंडल में इंदिरा गांधी नगर में वर्ष 1996 में भूमि की अवाप्ति की थी. इस भूमि पर करीब 112 फ्लैट्स का निर्माण होना था. इसके लिए प्रक्रिया भी आरंभ कर दी गई. याचिका में कहा गया कि इस जमीन पर भू माफियाओं ने कब्जा कर पक्का निर्माण कर लिया है. वहीं अधिकारियों की मिलीभगत के चलते विभाग में दी गई शिकायतों पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.