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बाड़मेर दुखान्तिका : ये हैं वो 5 कारण जिनकी वजह से गई 15 लोगों की जान

बाड़मेर जिले के बालोतरा कस्बे के निकट जसोल ग्राम में आयोजित रामकथा में रविवार दोपहर हुए हादसे में 15 लोगों की मौत हो गई. ईटीवी भारत में लोगों से मिली जानकारी के अनुसार पूरे घटनास्थल की पड़ताल करके इस पूरे घटनाक्रम के पांच कारण ढूंढे जिनकी वजह से यह हादसा हुआ

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Published : Jun 24, 2019, 4:48 PM IST

ये हैं वो 5 कारण जिनकी वजह से गई 15 लोगों की जान

बाड़मेर. बाड़मेर जिले के बालोतरा कस्बे के निकट जसोल ग्राम में आयोजित रामकथा में रविवार दोपहर हुए हादसे में 15 लोगों की मौत हो गई. हादसे की वजह प्राकृतिक आपदा बताई जा रही है. जिसमें आपदा के चलते करंट फैल गया और लोगों की मौत हो गई. ईटीवी भारत में लोगों से मिली जानकारी के अनुसार पूरे घटनास्थल की पड़ताल करके इस पूरे घटनाक्रम के पांच कारण ढूंढे जिनकी वजह से यह हादसा हुआ.

पहला कारण
170 फीट लंबा पंडाल लगाया गया था जो करीब 50 फीट से अधिक छोड़ा था. इस पूरे पांडाल में एक ही रास्ता आने-जाने का था यानिकि कहीं भी अलग से एग्जिट प्वाइंट नहीं बनाया गया. जब हादसा हुआ लोहे के सपोर्टर जो डोम को खड़ा कर रखे थे वह गिरे और करंट फैला तो लोगों के पास इस स्थल से निकलने के लिए कोई दूसरा रास्ता नहीं था. यानिकि जो लोग पांडाल के बीच में बैठे थे उनको बाहर निकलने के लिए 100 फीट जाने की जरूरत थी. इस बीच बारिश आ गई और करंट फैल गया.

दूसरा कारण
बारिश से बचने के लिए पांडाल को प्लास्टिक के तिरपाल से ढका गया था. पूरे पांडाल को कवर कर दिया गया था. कहीं भी वेंटिलेशन नहीं रखा गया था. जब आंधी पांडाल के अंदर घुसी तो हवा के आगे से निकलने के लिए कोई जगह नहीं थी. यही कारण था कि हवा के वेग के आगे भारी भरकम डॉम गुब्बारे की तरह ऊपर उठा और गिर कर बिखर गया.

तीसरा कारण
170 फीट के पांडाल को खड़ा करने के लिए लोहे के सपोर्टर हर 10 फीट पर लगाए गए थे. उन सपोर्टर को जमीन में गाड़ा नहीं गया बल्कि रेप की करीब 2 से ढाई फीट की मेल बनाकर उसमें ठहरा दिया गया. जो हवा का वेट बिल्कुल सहन नहीं कर पाए और धराशाई हो गए. अगर इन्हें जमीन में गाड़ा होता तो उनको गिरने में थोड़ा समय लगता है तो लोग बाहर आसानी से निकल जाते.

ये हैं वो 5 कारण जिनकी वजह से गई 15 लोगों की जान

चौथा कारण
जनरेटर सेट को चलाने वाले ऑपरेटर की अनुपस्थिति में बिजली काट दी गई लेकिन ऑटो मोड पर जनरेटर चालू हो गए और करंट चलता रहा. मौजूद एक पुलिसकर्मी ने जनरेटर की केबल को खींचकर हटाया. तब कहीं जाकर जेनेरेटर बंद हुआ लेकिन इस पूरे घटनाक्रम में 10 से 15 मिनट लग गई और लोगों की मौत हो गई.

पांचवा कारण
कायदे से 2008 में जोधपुर के मेहरानगढ़ हादसे में हुई 216 लोगों की मौत के बाद सरकार ने एक एडवाइजरी जारी की थी. जिसके तहत 500 से अधिक लोगों की उपस्थिति के लिए होने वाले सार्वजनिक आयोजन के लिए प्रशासन के नुमाइंदों की अनुमति लेना आवश्यक है और अनुमति देने से पहले वे खुद मौके पर जाकर तमाम तरह के सुरक्षा इंतजामों की समीक्षा करेंगे. इस कथा स्थल पर सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं थे. केवल मात्र 2 कांस्टेबल खानापूर्ति के लिए लगाए गए थे.

बाड़मेर. बाड़मेर जिले के बालोतरा कस्बे के निकट जसोल ग्राम में आयोजित रामकथा में रविवार दोपहर हुए हादसे में 15 लोगों की मौत हो गई. हादसे की वजह प्राकृतिक आपदा बताई जा रही है. जिसमें आपदा के चलते करंट फैल गया और लोगों की मौत हो गई. ईटीवी भारत में लोगों से मिली जानकारी के अनुसार पूरे घटनास्थल की पड़ताल करके इस पूरे घटनाक्रम के पांच कारण ढूंढे जिनकी वजह से यह हादसा हुआ.

पहला कारण
170 फीट लंबा पंडाल लगाया गया था जो करीब 50 फीट से अधिक छोड़ा था. इस पूरे पांडाल में एक ही रास्ता आने-जाने का था यानिकि कहीं भी अलग से एग्जिट प्वाइंट नहीं बनाया गया. जब हादसा हुआ लोहे के सपोर्टर जो डोम को खड़ा कर रखे थे वह गिरे और करंट फैला तो लोगों के पास इस स्थल से निकलने के लिए कोई दूसरा रास्ता नहीं था. यानिकि जो लोग पांडाल के बीच में बैठे थे उनको बाहर निकलने के लिए 100 फीट जाने की जरूरत थी. इस बीच बारिश आ गई और करंट फैल गया.

दूसरा कारण
बारिश से बचने के लिए पांडाल को प्लास्टिक के तिरपाल से ढका गया था. पूरे पांडाल को कवर कर दिया गया था. कहीं भी वेंटिलेशन नहीं रखा गया था. जब आंधी पांडाल के अंदर घुसी तो हवा के आगे से निकलने के लिए कोई जगह नहीं थी. यही कारण था कि हवा के वेग के आगे भारी भरकम डॉम गुब्बारे की तरह ऊपर उठा और गिर कर बिखर गया.

तीसरा कारण
170 फीट के पांडाल को खड़ा करने के लिए लोहे के सपोर्टर हर 10 फीट पर लगाए गए थे. उन सपोर्टर को जमीन में गाड़ा नहीं गया बल्कि रेप की करीब 2 से ढाई फीट की मेल बनाकर उसमें ठहरा दिया गया. जो हवा का वेट बिल्कुल सहन नहीं कर पाए और धराशाई हो गए. अगर इन्हें जमीन में गाड़ा होता तो उनको गिरने में थोड़ा समय लगता है तो लोग बाहर आसानी से निकल जाते.

ये हैं वो 5 कारण जिनकी वजह से गई 15 लोगों की जान

चौथा कारण
जनरेटर सेट को चलाने वाले ऑपरेटर की अनुपस्थिति में बिजली काट दी गई लेकिन ऑटो मोड पर जनरेटर चालू हो गए और करंट चलता रहा. मौजूद एक पुलिसकर्मी ने जनरेटर की केबल को खींचकर हटाया. तब कहीं जाकर जेनेरेटर बंद हुआ लेकिन इस पूरे घटनाक्रम में 10 से 15 मिनट लग गई और लोगों की मौत हो गई.

पांचवा कारण
कायदे से 2008 में जोधपुर के मेहरानगढ़ हादसे में हुई 216 लोगों की मौत के बाद सरकार ने एक एडवाइजरी जारी की थी. जिसके तहत 500 से अधिक लोगों की उपस्थिति के लिए होने वाले सार्वजनिक आयोजन के लिए प्रशासन के नुमाइंदों की अनुमति लेना आवश्यक है और अनुमति देने से पहले वे खुद मौके पर जाकर तमाम तरह के सुरक्षा इंतजामों की समीक्षा करेंगे. इस कथा स्थल पर सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं थे. केवल मात्र 2 कांस्टेबल खानापूर्ति के लिए लगाए गए थे.

Intro:जोधपुर बाड़मेर जिले के बालोतरा कस्बे के निकट जसोल ग्राम में आयोजित रामकथा में रविवार दोपहर हुए हादसे में 15 लोगों की मौत हो गई हादसे की वजह प्राकृतिक आपदा बताई जा रही है जिसमें आपदा के चलते करंट फैल गया और लोगों की मौत हो गई ईटीवी भारत में लोगों से मिली जानकारी के अनुसार पूरे घटनास्थल की पड़ताल करके इस पूरे घटनाक्रम के पांच कारण ढूंढे जिनकी वजह से यह हादसा हुआ।



Body:1 पहला कारण 170 फीट लंबा पंडाल लगाया गया था जो करीब 50 फीट से अधिक छोड़ा था इस पूरे पांडाल में एक ही रास्ता आने-जाने का था यानी कि कहीं भी अलग से एग्जिट प्वाइंट नहीं बनाया गया जब हादसा हुआ लोहे के सपोर्टर जो डोम को खड़ा कर रखे थे वह गिरे और करंट फैला तो लोगों के पास इस स्थल से निकलने के लिए कोई दूसरा रास्ता नहीं था यानी कि जो लोग पांडाल के बीच में बैठे थे उनको बाहर निकलने के लिए 100 फीट जाने की जरूरत थी इस बीच बारिश आ गई और करंट फैल गया।

दूसरा बड़ा कारण बारिश से बचने के लिए पांडाल को प्लास्टिक के तिरपाल से ढक आ गया था पूरे पांडाल को कवर कर दिया गया था कहीं भी वेंटिलेशन नहीं रखा गया था जब आंधी पांडाल के अंदर घुसी तो हवा के आगे से निकलने के लिए कोई जगह नही थी। यही कारण था कि हवा के वेग के आगे भारी भरकम डॉम गुब्बारे की तरह ऊपर उठा और गिर कर बिखर गया।

तीसरा कारण 170 फीट के पांडाल को खड़ा करने के लिए लोहे के सपोर्टर हर 10 फीट पर लगाए गए थे उन सपोर्टर को जमीन में गड़ा नहीं गया बल्कि रेप की करीब 2 से ढाई फीट की मेल बनाकर उसमें ठहरा दिया गया जो हवा का वेट बिल्कुल सहन नहीं कर पाए और धराशाई हो गए अगर ने जमीन में गड़ा होता तो उनका गिरने में थोड़ा समय लगता है तो लोग बाहर आसानी से निकल जाते।

चौथा बड़ा कारण था जनरेटर सेट को चलाने वाले ऑपरेटर की अनुपस्थिति बिजली काट दी गई लेकिन ऑटो मोड पर जनरेटर चालू हो गए और करंट चलता रहा मौजूद एक पुलिसकर्मी ने जनरेटर की केबल को खींचकर हटाया तब कहीं जाकर पर बंद हुआ लेकिन इस पूरे घटनाक्रम में 10 से 15 मिनट लग गई और लोगों की मौत हो गई।

पांचवा कारण कायदे से 2008 में जोधपुर के मेहरानगढ़ हादसे में हुई 216 लोगों की मौत के बाद सरकार ने एक एडवाइजरी जारी की थी जिसके तहत 500 से अधिक लोगों की उपस्थिति के लिए होने वाले सार्वजनिक आयोजन के लिए प्रशासन के नुमाइंदों की अनुमति लेना आवश्यक है और अनुमति देने से पहले वे खुद मौके पर जाकर तमाम तरह के सुरक्षा इंतजामों की समीक्षा करेंगे इस कथा स्थल पर सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं थे केवल मात्र 2 कांस्टेबल खानापूर्ति के लिए लगाए गए थे।


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