पाली. देश के लिए लगातार तीन बार गोल्ड मैडल लाने वाले पाली के मेजर ध्यानचंद को अपना जीवन एक आम नागरिक की तरह गुजारना पड़ रहा है. आर्थिक तंगी में ही उन्होंने अपना जीवन निकाला है. ऐसे में अपने पिता की तरह बनने की कोशिश कर रहे मेजर ध्यानचंद के पुत्रों को मेजर कभी हॉकी के खिलाड़ी नहीं बनाना चाहते थे.
पाली शहर में मेजर ध्यानचंद की प्रतिमा का अनावरण होने जा रहा है उनकी प्रतिमा का अनावरण उनके दोनों पुत्र करने वाले है. ईटीवी भारत से विशेष बातचीत के दौरान मेजर ध्यानचंद के पुत्रों ने जीवन भर हॉकी का खेल खेलने वाले मेजर ध्यानचंद को मिलने वाले सम्मान के इंतजार को लेकर खुलकर बात की.
उन्होंने बताया कि उनके पिता ने देश का मान बढ़ाने के लिए बहुत किया. लेकिन सरकारों ने उन्हें भुला दिया. पदम विभूषण मिलने के बाद में भी मेजर ध्यानचंद को अपना जीवन एक आम आदमी की तरह जाना पड़ा. देश के लिए तीन बार गोल्ड मेडल लेकर आने वाले मेजर ध्यानचंद का जीवन तंगी में ही बिता. इन सभी को देखकर ही मेजर ध्यानचंद कभी भी नहीं चाहते थे कि उनके बेटे खिलाड़ी बने.
अशोक ध्यानचंद ने बताया कि पहले हॉकी का खेल काफी सस्ता था. लेकिन नेशनल हॉकी संघ के नियमों को लगा कर इस खेल को महंगा कर दिया. इस कारण भारत में धीरे-धीरे हॉकी को पूरी तरह से भुला दिया जाए.