बूंदी. बूंदी चित्र शैली की बारीकियां देश-विदेश में प्रसिद्ध है. इस चित्र शैली का एक विशाल महल बूंदी के तारागढ़ महल में स्थित है, जहां 700 साल पुरानी चित्र शैली है. देश-विदेश के पर्यटक इस चित्र शैली को देखने के लिए आते हैं और अपने कैमरे में कैद करते हैं, लेकिन अब इस चित्र शैली के कुछ ही पेंटर बूंदी में बचे हैं. ऐसे में दम तोड़ रही इस चित्र शैली को बचाने के लिए बूंदी की बेटी युक्ति शर्मा आगे आईं हैं.
लगन ने बढ़ाया आगे, पहली पेंटिंग ने दिया हौसला
दम तोड़ती चित्र शैली को बूंदी की बेटी युक्ति शर्मा ने फिर से विश्व स्तर पर पहुंचाने की ठानी है. बूंदी की युक्ति शर्मा शहर के रजत गृह कॉलोनी निवासी हैं और बी कॉम, एलएलबी की छात्रा हैं. फील्ड नहीं होने के बावजूद भी युक्ति शर्मा ने बूंदी चित्र शैली में अपनी रूचि रखी. माता-पिता से बूंदी चित्र शैली में काम करने की बात कही. मां ने ने युक्ति के लिए शहरभर के पेंटिंग कलाकरों से बातचीत की. लेकिन कोई भी बूंदी पेंटिंग के बारे में जानकारी देने और उसे सिखाने के लिए तैयार नहीं हुआ.
पढ़ें- स्पेशल: प्रवासी पक्षियों के कलरव से गुलजार हुए जलाशय, खींचे चले आ रहे पर्यटक
पहली बार में ही बनाई अच्छी पेंटिंग
युक्ति शर्मा और उसकी मां ने हार नहीं मानी और जहां-जहां भी कला के क्षेत्र में कार्य होते थे. वहां-वहां युक्ति और मां नूपुर शर्मा पहुंचीं और सभी प्रयास किये. आखिरकार शहर के गोपाल सामरिया को युक्ति शर्मा को पेंटिंग सिखाने का कार्य सौंपा गया. युक्ति ने इस मौके का फायदा उठाया और एक विशाल बूंदी पेंटिंग की कलाकृति बना दी. गोपाल सांवरिया भी इसे देखकर चौंक गए, कि इतनी सी उम्र और फील्ड नहीं होने के बाद भी युक्ति ने कैसे इतनी अच्छी पेंटिंग बना ली.
बूंदी पेंटिंग पर कार्य करने की ठानी
पहली पेंटिंग की तारीफ के बाद युक्ति ने मन में ठान लिया, कि वो बूंदी पेंटिंग पर ही काम करेंगी. पढ़ाई के साथ-साथ जब भी वक्त मिला तो युक्ति बूंदी पेंटिंग बनाती थीं और इस कला को कैनवास, ऑयल पेंटिंग और वाटर पेंटिंग के जरिए उकेरा. युक्ति की मेहनत को बड़े-बड़े पेंटिंग कलाकारों ने भी सराहा.
बूंदी आर्ट गैलेरी बनी पहचान
5 साल की कड़ी मेहनत के बाद युक्ति शर्मा का काम सभी को सराहनीय लगा. युक्ति शर्मा ने बूंदी ब्रश संस्था के जरिए बूंदी आर्ट गैलरी में जुड़कर अपनी पेंटिंग को प्रदर्शनी में शामिल कराया. प्रदर्शनी में देश-विदेश से आए लोगों ने युक्ति की पेंटिंग की तारीफ की. इसके बाद हर महोत्सव, प्रदर्शनी में युक्ति की बूंदी पेंटिंग शामिल होती चली गई और वो तारीफ बटोरती रहीं.
पढ़ें- स्पेशल रिपोर्ट: प्रदेश के चौथे टाइगर रिजर्व बनने जा रहे रामगढ़ अभयारण्य को बाघों का इंतजार
युक्ति शर्मा पर माता-पिता को गर्व
युक्ति शर्मा की मां नूपुर और पिता चंद्रशेखर शर्मा का कहना है, कि पूरे देश में जहां-जहां भी पेंटिंग कलाकृतियां आयोजित होती हैं, वहां उनकी बेटी सर्वश्रेष्ठ पदक लेकर सम्मानित हो रही है. जिसके चलते उन्हें अपनी बेटी पर गर्व है.
ईटीवी भारत को बताए सफलता के राज
ईटीवी भारत से युक्ति शर्मा ने कहा, कि लगन और मेहनत के बूते ही वो बूंदी पेंटिंग में वॉटर पोस्टर, ऑयल पोस्टर और बूंदी चित्र शैली और बूंदी इतिहास पर काम कर रहीं हैं. युक्ति की बनाई बूंदी के राजा महाराव रघुवीर सिंह जी की पेंटिंग सबसे ज्यादा सराही गई. रघुवीर सिंह बूंदी के अच्छे शासक रहे हैं. वे 80 किलो का पहनावा पहनते थे और विशाल मूछें उनकी पहचान हुआ करती थी.
पढ़ें- स्पेशल: रियासत काल की शान कही जाने वाली 'जैत सागर झील' अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही, विकास की दरकार
2 बड़े सम्मान और 100 से ज्यादा पेंटिंग
बूंदी की युक्ति शर्मा अबतक 2 बड़े सम्मान हासिल कर चुकीं हैं. वे इसी साल राजस्थान की ललित कला अकादमी में सम्मानित हुईं. वहीं 2 दिसंबर को देश की कला क्षेत्र में कार्य करने वाली अयोध्या कला विश्वविद्यालय ने भी युक्ति को सम्मानित किया. युक्ति शर्मा पिछले 5 सालों से बूंदी पेंटिंग पर काम कर रहीं हैं. अब तक युक्ति शर्मा 100 से ज्यादा पेंटिंग बना चुकी हैं और सबसे बेहतरीन पेंटिंग राजा रघुवीर सिंह जी की थी. जिसके चलते युक्ति शर्मा फेमस हुईं. युक्ति शर्मा को अब तक 12 से ज्यादा सम्मान मिल चुके हैं.