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बूंदी में मानसून बिन सब फीका, बारिश नहीं हुई तो किसान हो जाएंगे बर्बाद

प्रदेश में कमजोर मानसून ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी है. राज्य में अब तक औसतन करीब 11.5 प्रतिशत बारिश हुई है और 55 प्रतिशत भूमि पर ही बुवाई हो पाई है. बारिश न होने के कारण किसानों को खेती पर बहुत ज्यादा खर्चा करना पड़ेंगा. एक बिघा खेती की कीमत किसान की मेहनत के अलावा करीब 2500 से 3000 रुपए पड़ेगी.

बूंदी में बारिश नहीं होने से किसान परेशान
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Published : Jul 24, 2019, 4:37 AM IST

बूंदी­. जिले में धान उड़द और मक्का की रोपाई को लेकर आसमान की ओर देख रहे किसानों की आंख पथरा गई है. इंद्रदेव की झोली से पानी की एक-एक बूंद टपकने की उम्मीद को लेकर किसान हर बार आसमान की ओर देख रहा है और फिर गर्दन नीचे कर रहा है. बारिश नहीं होने पर भी किसान धान, मक्का, उड़द की रोपाई तो कर ली, लेकिन उन्हें पानी कैसे दें इसको लेकर चिंतित है.

बूंदी में बारिश नहीं होने से किसान परेशान

बूंदी में 70 फीसदी से अधिक किसान धान की रोपाई करते हैं. इस वर्ष मानसून की पहली बारिश ने इतनी उम्मीद जगाई की किसानों ने जमकर धान की रोपाई की. फिर बादल दगा दे गए और रोपी हुई फसल सूखने लगी है. इस समय खेत पानी से लबालब होना चाहिए था लेकिन वह सूखे पड़े हैं और उन में दरारें पड़ गई हैं. बारिश न होने के कारण किसान बारिश के लिए टोने टोटके तक का सहारा ले रहे हैं.

जिले में अगर कुछ दिनों में बरसात नहीं हुई तो जो किसानों ने फसलों को बड़ी मेहनत से खेतों में बुवाई की थी, उनकी मेहनत पर पानी फीर जाएगा. गौरतलब है कि बूंदी में धान की खेती ज्यादा होती है. यहां के चमक चावल उम्दा किस्म के होते हैं, जिसका देश विदेश में अपना रुतबा है. बूंदी का आधा हिस्सा कृषि प्रधान है.

बता दें कि किसान मोटर, ट्यूबल, कुएं और तालाब से खेतों में पानी तो दे रहा है, लेकिन अब वह भी जवाब देने लगे हैं. किसानों को एक तरफ फसलों का भी नुकसान हो रहा है और बिजली भी अधिक खर्च करनी पड़ रही है. हालांकि मौसम विभाग ने बारिश होने की संभावना जताई है.

मानसून आने के 2 हफ्ते बीत जाने के बाद भी अभी तक फसलों की आधी बुवाई हो पाई है. राज्य में अब तक औसत करीब 11.5 फीसदी बारिश हुई. मानसून के कमजोर होने से बुवाई का आंकड़ा 51 से 55 तक ही पहुंच पाया है.

बूंदी­. जिले में धान उड़द और मक्का की रोपाई को लेकर आसमान की ओर देख रहे किसानों की आंख पथरा गई है. इंद्रदेव की झोली से पानी की एक-एक बूंद टपकने की उम्मीद को लेकर किसान हर बार आसमान की ओर देख रहा है और फिर गर्दन नीचे कर रहा है. बारिश नहीं होने पर भी किसान धान, मक्का, उड़द की रोपाई तो कर ली, लेकिन उन्हें पानी कैसे दें इसको लेकर चिंतित है.

बूंदी में बारिश नहीं होने से किसान परेशान

बूंदी में 70 फीसदी से अधिक किसान धान की रोपाई करते हैं. इस वर्ष मानसून की पहली बारिश ने इतनी उम्मीद जगाई की किसानों ने जमकर धान की रोपाई की. फिर बादल दगा दे गए और रोपी हुई फसल सूखने लगी है. इस समय खेत पानी से लबालब होना चाहिए था लेकिन वह सूखे पड़े हैं और उन में दरारें पड़ गई हैं. बारिश न होने के कारण किसान बारिश के लिए टोने टोटके तक का सहारा ले रहे हैं.

जिले में अगर कुछ दिनों में बरसात नहीं हुई तो जो किसानों ने फसलों को बड़ी मेहनत से खेतों में बुवाई की थी, उनकी मेहनत पर पानी फीर जाएगा. गौरतलब है कि बूंदी में धान की खेती ज्यादा होती है. यहां के चमक चावल उम्दा किस्म के होते हैं, जिसका देश विदेश में अपना रुतबा है. बूंदी का आधा हिस्सा कृषि प्रधान है.

बता दें कि किसान मोटर, ट्यूबल, कुएं और तालाब से खेतों में पानी तो दे रहा है, लेकिन अब वह भी जवाब देने लगे हैं. किसानों को एक तरफ फसलों का भी नुकसान हो रहा है और बिजली भी अधिक खर्च करनी पड़ रही है. हालांकि मौसम विभाग ने बारिश होने की संभावना जताई है.

मानसून आने के 2 हफ्ते बीत जाने के बाद भी अभी तक फसलों की आधी बुवाई हो पाई है. राज्य में अब तक औसत करीब 11.5 फीसदी बारिश हुई. मानसून के कमजोर होने से बुवाई का आंकड़ा 51 से 55 तक ही पहुंच पाया है.

Intro:प्रदेश में पहले मानसून के देरी से प्रवेश और फिर कम बारिश ने किसान की चिंता बढ़ा दी है । मानसून एंट्री के 2 हफ्ते बीत जाने के बावजूद भी अभी तक फसलो की आधी बुआई हो पाई है। राज्य में अब तक औसत से 11.5 फीसदी से ज्यादा बारिश हुई है लेकिन पिछले 10 से अधिक दिनों में मानसून के रूठने से बुवाई का आंकड़ा 51 से 55 तक ही पहुंच पाया है । हालांकि कृषि विभाग कम हुए रकबे से चिंतित नहीं है जितना बारिश नही होने से । विशेषज्ञों की मानें तो बारिश कम होने से किसान फसलों की ओर रुझान कम कर देगा और जो कम बारिश व फसले होगी उधर रुझान बढ़ जाएगा जिससे लक्ष्य की पूर्ति नहीं हो पाएगी ।


Body:बूंदी में धान उड़द और मक्का की रोपाई को लेकर आसमान की ओर देख रहे किसानों की आंख पथरा गई है । इंद्रदेव की झोली से पानी की एक-एक बूंद टपकने की उम्मीद को लेकर किसान हर बार आसमान की ओर देख रहा है और फिर सर फिर गर्दन नीचे कर रहा है । बारिश ना होने पर धान की मक्का की उड़द की रोपाई किसानों ने कर तो लिए । लेकिन उन्हें पानी कैसे दे इसको लेकर किसान चिंतित है । बूंदी जिले में 70 फ़ीसदी से अधिक किसान धान की रोपाई करते हैं । इस वर्ष मानसून की पहली बारिश अच्छी बरसात ने किसानों की उम्मीद इतनी जगाई की किसानों ने जमकर धान की रोपाई कर दी। फिर बादल दगा दे गए रोपा गया दान सूखने लगा है । इस सीजन में खेत में पानी से लबालब हो जाना चाहिए था तो वह खेत सूखे पड़े हैं और उन में दरारें पड़ गई है । धान की पौध सूखी सूखी तनको में बदलती जा रही है । 10 दिनों से अधिक बरसात नहीं हो रही है किसान बारिश के लिए टोने टोटके का सहारा ले रहे हैं । 1 बीघा धान की फसल की सिंचाई पर 4 घंटे में ₹250 का डीजल खर्च होता है । ₹400 खर्च करने पर प्रति घंटा हजार रुपये खर्च होते है ₹1000 का बीज ₹500 पौधे लगाने पर ₹1500 मजदूरी किसान की मेहनत इसमें शामिल है। 2019 में कृषि विभाग के आंकड़े की बात की जाए तो धान की फसल 34000 हैक्टेयर, बुवाई 41 हजार 75 , मक्का 30000 ,बुवाई 46516 हैक्टेयर है ।


Conclusion:बूंदी जिले में अगर कुछ दिनों में बरसात नहीं हुई तो जो किसानों ने फसलों को बड़ी मेहनत से खेतों पर अरमानों के साथ बुवाई की थी उनकी मेहनत पर पानी फिर जाएगा । बर्बादी के बाद भी किसानो का धान की खेती से मोह नहीं छोड़ रहे हैं । जबकि उन्हें कम पानी पिलाने वाली उड़द, मक्का ,सोयाबीन जैसी फसलें करनी चाहिए । दलहन फसलों में मुनाफा भी अच्छा मिल जाता है, गौरतलब है कि बूंदी में धान की खेती ज्यादा होती है यहां के चमक चावल उम्दा किस्म के होते हैं जो देश विदेश में अपना रुतबा कायम है । बूंदी जिले का आधा हिस्सा कृषि प्रधान है ऐसे में यहां के किसान एक ही नस्ल की फसल की बुवाई करते हैं लेकिन जब वह फसल पानी पर निर्भर हो तो ऐसा में मानसून की हेमियात बढ़ जाती है । लेकिन अब मानसून दगा दे रहा है तो किसानों के आंसू नहीं रोक पा रहे हैं । किसानों के पास अपनी पानी की मोटर से ट्यूबल ,कुएं व तालाब से खेत की पिलाई कर पानी तो दे रहे हैं । लेकिन अब वह भी जवाब देने लग गए है। किसानों को एक तरफ फसलों का नुकसान तो हो रहा है साथ में बिजली भी अधिक खर्च होने से उन पर भार बड़ या है । अब देखना होगा कि मौसम विभाग के अनुसार जिस तरीके से मौसम विभाग ने बारिश होने की आशंका जताई है ।

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