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SPECIAL: लॉकडाउन में बूंदी के तरबूज किसानों के सामने पैदा हुआ ये बड़ा संकट..

अपने स्वाद के लिए प्रसिद्ध बूंदी का तरबूज खेतों में पड़ा-पड़ा खराब हो रहा है. लॉकडाउन के कारण किसान तरबूज को बाहर नहीं भेज पा रहे हैं. जिससे तरबूज किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. ऐसे में किसान सरकार से मुआवजे की मांग कर रहे हैं.

बूंदी का तरबूज, lockdown in Bundi
दोहरी मार झेल रहे तरबूज किसान
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Published : May 9, 2020, 6:15 PM IST

बूंदी. देश-प्रदेश में अपनी मिठास के लिए प्रसिद्ध बूंदी का तरबूज का स्वाद इन दिनों फीका पड़ता जा रहा है. लॉकडाउन के कारण जिले के तरबूज किसान की हालत बहुत बुरी हो चली है. जिले में 2000 बीघा से अधिक तरबूज किसानों ने पेटा कास्त भूमि पर तरबूज की फसल बोई थी, लेकिन जब सीजन आया तो लॉकडाउन के कारण कोई खरीदार इन किसानों के पास नहीं पहुंचा. जिसके चलते खेतों में तरबूज की खेती पूरी तरह से नष्ट हो गई. ऐसे में किसानों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है.

दोहरी मार झेल रहे तरबूज किसान

राजस्थान के सभी जिलों सहित अन्य राज्यों में भी बूंदी का तरबूज हर घरों में मिठास घोलता है लेकिन इस बार कोरोना वायरस के चलते तरबूज खेतों से मार्केट तक पहुंच ही नहीं पाया. तरबूज किसानों ने हर साल की तरह पेटा कास्त भूमि में तरबूज की खेती की थी, लेकिन पिछले 2 माह से लॉकडाउन लगा हुआ है और गर्मी का सीजन भी शुरू हो चुका है. इस लॉकडाउन के चलते जो किसान अपने स्तर पर इस तरबूज की फसल को व्यापारी के हवाले कर देता था, आज उन किसानों के पास बाहर से एक भी व्यापारी नहीं पहुंचा है.

बूंदी का तरबूज, lockdown in Bundi
1 बीघा जमीन पर उगाए गए तरबूज पर होता था 8-9 हजार का लाभ

जिसके चलते बूंदी का तरबूज खेतों में ही पड़ा है. जिले में हजारों बीघा फसलों में तरबूज की फसल पूरी तरह से पक कर तैयार हो चुकी है. कुछ जगहों पर तो तरबूज अब खराब भी होने लगा है, इतनी कड़ी मेहनत से उगाए तरबूज में कीड़ें भी लगने शुरू हो गए हैं. वहीं जानवर खेतों में रखे तरबूज को खा जा रहे हैं. जिससे किसान चिंतित हैं.

बूंदी का तरबूज, lockdown in Bundi
तरबूज में कीड़े लगने भी हो गए हैं शुरू

यह भी पढ़ें. SPECIAL: लॉकडाउन में भी जस की तस बनी रही बूंदी की आर्थिक स्थिति, पढ़ें- विस्तृत रिपोर्ट..

बता दें कि तरबूज की खेती सिंचित क्षेत्रों में होती है. सिंचित क्षेत्रों की भूमि को पेटा कास्त किसानों को आवंटित करते हैं. किसान हर साल पेटा कास्त के रूप इन भूमि को लेकर वहां पर तरबूज की खेती किया करते हैं. सभी जगहों पर अलग-अलग बीघा के अनुसार पेटा कास्त भूमि तैयार की जाती है. अमूमन 1 बीघा पेटा कास्त भूमि का किराया 1100 रुपए माना जाता है. बूंदी में 2000 बीघा से अधिक पेटा कास्त भूमि में किसानों तरबूज की फसल की उगाते हैं. वहीं इस सीजन में तरबूज पक कर भी तैयार हो गए थे, लेकिन वर्तमान में कोई व्यापारी इन किसानों से तरबूज खरीदने नहीं पहुंचा है.

बूंदी का तरबूज, lockdown in Bundi
जानवर खा रहे फसल

जिससे इन किसानों को बड़ा नुकसान हो गया है. ऐसे में एक बीघा जमीन में किसानों को 8 हजार से 9 हजार का फायदा मिलता है. वहीं इस बार तरबूज नहीं खरीदा गया तो किसानों को उनकी लागत के साथ ही पेटा कास्त भूमि में ली गई किराए की भूमि की लागत भी नहीं निकल पाई है. जिससे किसानों के ऊपर दोहरी मार पड़ी है .

बूंदी जिले में इन जगहों पर होती है तरबूज की खेती

जिले के गुड़ा बांध, गोठड़ा, सोरन, दुगारी, पेच की बावड़ी, बरधा बांध, शंभू सागर बांध, फूल सागर सहित कई बांधों में तरबूज और खरबूजे की फसल उगाई जाती है लेकिन सब जगह पर इस बार कोई व्यापारी कोई खरीददार नहीं पहुंचा. जिससे किसानों की यह फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई है.

बूंदी का तरबूज, lockdown in Bundi
कोई लेने नहीं आया तो खेतों में ही किसानों ने छोड़ दी फसल

ऐसे होती है तरबूज की खेती

किसानों ने बताया कि तरबूज की फसल करने के लिए पहले जमीन की जुताई की जाती है. फिर खेतों में डोलिया बनाई जाती है. यूरिया पाउडर मिलाकर खेत में डाला जाता है. जिसके चलते फसल का कीड़े नुकसान नहीं पहुंचे. वहीं जिसके बाद बीजों को गीले कपड़ों में सप्ताह भर तक कर रखते हैं. फिर उसके बाद बीज को खेत में डाल देते हैं और कुछ महीनों बाद तरबूज की फसल पकना शुरू हो जाती है. गर्मी आने तक तरबूज अपना आकार लेना शुरू कर देता है.

बूंदी का तरबूज, lockdown in Bundi
मार्केट में नहीं पहुंचने से खराब होने लगा है तरबूज

राजस्थान सहित कई राज्यों में बूंदी के तरबूज की मिठास

हर राज्यों में अलग-अलग किस्म कि तरबूज की मिठास देखी जाती है. कहीं काला तो कहीं लाल तो कहीं फलदार तरबूज की किसान उपज करते हैं. बूंदी में फलदार तरबूज की उपज किसान द्वारा की जाती है. इस तरबूज में बीज की मात्रा कम होने से इसकी डिमांड अधिक रहती है.

यह भी पढ़ें. SPECIAL : लॉकडाउन की वजह से बूंदी के लोगों की नशे से तौबा, 25 फीसदी ने बनाई दूरी

राजस्थान के सभी जिलों में बूंदी का तरबूज अपनी मिठास घोलता है. वहीं अपने प्रदेश के साथ दूसरे राज्यों में भी यहां के तरबूज की मांग है. सबसे ज्यादा मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, मुंबई और गुजरात के व्यापारी बूंदी में तरबूज खरीदने के लिए पहुंच जाते हैं, लेकिन राज्यों की सीमा सील होने और कोरोना वायरस के डर से इस बार कोई भी खरीदार नहीं पहुंचा है.

किसानों की मांग-सरकार तरबूज नुकसान पर दे मुआवजा

किसानों का कहना है कि हमें नहीं पता था कि कोरोना वायरस के चलते हमारी तरबूज की फसल इसी तरह खेतों में खड़ी-खड़ी खराब हो जाएगी. किसानों ने मांग की है कि जल्द से जल्द राजस्थान सरकार तरबूज किसानों को मुआवजा दें क्योंकि जमीन उनकी नहीं है. उन्होंने किराए पर लेकर इस जमीन पर तरबूज की फसल की थी. ऐसे में किसानों का कहना है कि किराए वाला किराया और खाद वाला खाद के पैसे लेकर ही रहेगा, आखिरकार हम कैसे दें हमारा तरबूज तो बिका ही नहीं.

बूंदी. देश-प्रदेश में अपनी मिठास के लिए प्रसिद्ध बूंदी का तरबूज का स्वाद इन दिनों फीका पड़ता जा रहा है. लॉकडाउन के कारण जिले के तरबूज किसान की हालत बहुत बुरी हो चली है. जिले में 2000 बीघा से अधिक तरबूज किसानों ने पेटा कास्त भूमि पर तरबूज की फसल बोई थी, लेकिन जब सीजन आया तो लॉकडाउन के कारण कोई खरीदार इन किसानों के पास नहीं पहुंचा. जिसके चलते खेतों में तरबूज की खेती पूरी तरह से नष्ट हो गई. ऐसे में किसानों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है.

दोहरी मार झेल रहे तरबूज किसान

राजस्थान के सभी जिलों सहित अन्य राज्यों में भी बूंदी का तरबूज हर घरों में मिठास घोलता है लेकिन इस बार कोरोना वायरस के चलते तरबूज खेतों से मार्केट तक पहुंच ही नहीं पाया. तरबूज किसानों ने हर साल की तरह पेटा कास्त भूमि में तरबूज की खेती की थी, लेकिन पिछले 2 माह से लॉकडाउन लगा हुआ है और गर्मी का सीजन भी शुरू हो चुका है. इस लॉकडाउन के चलते जो किसान अपने स्तर पर इस तरबूज की फसल को व्यापारी के हवाले कर देता था, आज उन किसानों के पास बाहर से एक भी व्यापारी नहीं पहुंचा है.

बूंदी का तरबूज, lockdown in Bundi
1 बीघा जमीन पर उगाए गए तरबूज पर होता था 8-9 हजार का लाभ

जिसके चलते बूंदी का तरबूज खेतों में ही पड़ा है. जिले में हजारों बीघा फसलों में तरबूज की फसल पूरी तरह से पक कर तैयार हो चुकी है. कुछ जगहों पर तो तरबूज अब खराब भी होने लगा है, इतनी कड़ी मेहनत से उगाए तरबूज में कीड़ें भी लगने शुरू हो गए हैं. वहीं जानवर खेतों में रखे तरबूज को खा जा रहे हैं. जिससे किसान चिंतित हैं.

बूंदी का तरबूज, lockdown in Bundi
तरबूज में कीड़े लगने भी हो गए हैं शुरू

यह भी पढ़ें. SPECIAL: लॉकडाउन में भी जस की तस बनी रही बूंदी की आर्थिक स्थिति, पढ़ें- विस्तृत रिपोर्ट..

बता दें कि तरबूज की खेती सिंचित क्षेत्रों में होती है. सिंचित क्षेत्रों की भूमि को पेटा कास्त किसानों को आवंटित करते हैं. किसान हर साल पेटा कास्त के रूप इन भूमि को लेकर वहां पर तरबूज की खेती किया करते हैं. सभी जगहों पर अलग-अलग बीघा के अनुसार पेटा कास्त भूमि तैयार की जाती है. अमूमन 1 बीघा पेटा कास्त भूमि का किराया 1100 रुपए माना जाता है. बूंदी में 2000 बीघा से अधिक पेटा कास्त भूमि में किसानों तरबूज की फसल की उगाते हैं. वहीं इस सीजन में तरबूज पक कर भी तैयार हो गए थे, लेकिन वर्तमान में कोई व्यापारी इन किसानों से तरबूज खरीदने नहीं पहुंचा है.

बूंदी का तरबूज, lockdown in Bundi
जानवर खा रहे फसल

जिससे इन किसानों को बड़ा नुकसान हो गया है. ऐसे में एक बीघा जमीन में किसानों को 8 हजार से 9 हजार का फायदा मिलता है. वहीं इस बार तरबूज नहीं खरीदा गया तो किसानों को उनकी लागत के साथ ही पेटा कास्त भूमि में ली गई किराए की भूमि की लागत भी नहीं निकल पाई है. जिससे किसानों के ऊपर दोहरी मार पड़ी है .

बूंदी जिले में इन जगहों पर होती है तरबूज की खेती

जिले के गुड़ा बांध, गोठड़ा, सोरन, दुगारी, पेच की बावड़ी, बरधा बांध, शंभू सागर बांध, फूल सागर सहित कई बांधों में तरबूज और खरबूजे की फसल उगाई जाती है लेकिन सब जगह पर इस बार कोई व्यापारी कोई खरीददार नहीं पहुंचा. जिससे किसानों की यह फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई है.

बूंदी का तरबूज, lockdown in Bundi
कोई लेने नहीं आया तो खेतों में ही किसानों ने छोड़ दी फसल

ऐसे होती है तरबूज की खेती

किसानों ने बताया कि तरबूज की फसल करने के लिए पहले जमीन की जुताई की जाती है. फिर खेतों में डोलिया बनाई जाती है. यूरिया पाउडर मिलाकर खेत में डाला जाता है. जिसके चलते फसल का कीड़े नुकसान नहीं पहुंचे. वहीं जिसके बाद बीजों को गीले कपड़ों में सप्ताह भर तक कर रखते हैं. फिर उसके बाद बीज को खेत में डाल देते हैं और कुछ महीनों बाद तरबूज की फसल पकना शुरू हो जाती है. गर्मी आने तक तरबूज अपना आकार लेना शुरू कर देता है.

बूंदी का तरबूज, lockdown in Bundi
मार्केट में नहीं पहुंचने से खराब होने लगा है तरबूज

राजस्थान सहित कई राज्यों में बूंदी के तरबूज की मिठास

हर राज्यों में अलग-अलग किस्म कि तरबूज की मिठास देखी जाती है. कहीं काला तो कहीं लाल तो कहीं फलदार तरबूज की किसान उपज करते हैं. बूंदी में फलदार तरबूज की उपज किसान द्वारा की जाती है. इस तरबूज में बीज की मात्रा कम होने से इसकी डिमांड अधिक रहती है.

यह भी पढ़ें. SPECIAL : लॉकडाउन की वजह से बूंदी के लोगों की नशे से तौबा, 25 फीसदी ने बनाई दूरी

राजस्थान के सभी जिलों में बूंदी का तरबूज अपनी मिठास घोलता है. वहीं अपने प्रदेश के साथ दूसरे राज्यों में भी यहां के तरबूज की मांग है. सबसे ज्यादा मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, मुंबई और गुजरात के व्यापारी बूंदी में तरबूज खरीदने के लिए पहुंच जाते हैं, लेकिन राज्यों की सीमा सील होने और कोरोना वायरस के डर से इस बार कोई भी खरीदार नहीं पहुंचा है.

किसानों की मांग-सरकार तरबूज नुकसान पर दे मुआवजा

किसानों का कहना है कि हमें नहीं पता था कि कोरोना वायरस के चलते हमारी तरबूज की फसल इसी तरह खेतों में खड़ी-खड़ी खराब हो जाएगी. किसानों ने मांग की है कि जल्द से जल्द राजस्थान सरकार तरबूज किसानों को मुआवजा दें क्योंकि जमीन उनकी नहीं है. उन्होंने किराए पर लेकर इस जमीन पर तरबूज की फसल की थी. ऐसे में किसानों का कहना है कि किराए वाला किराया और खाद वाला खाद के पैसे लेकर ही रहेगा, आखिरकार हम कैसे दें हमारा तरबूज तो बिका ही नहीं.

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