बूंदी. केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत एक दिवसीय दौरे के तहत बूंदी पहुंचे. जहां उन्होंने अपने शुभचिंतकों से वार्ता की. इस दौरान वह मीडिया से भी रूबरू हुए, जहां उन्होंने कहा कि बूंदी को विरासत में बहुत कुछ मिला है. यहां पग-पग पर अद्भूत विरासत है, लेकिन उन धरोहरों की कोई देखरेख नहीं कर पा रहा है. ऐसे में बूंदी के कुछ युवा सामने आए हैं, जिन्होंने एनजीओ बनाकर इन विरासतों को फिर से संवारने की सोची है.
वहीं, मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने बूंदी के सूरज छतरी का जिक्र करते हुए कहा कि यह छतरी सूर्य उदय होने के साथ ही उसकी झलक को दिखलाती है. इनकी देखरेख नहीं होने के चलते यह छतरी काफी बदहाल हो गई थी, लेकिन बूंदी के इतिहासकार, इंटेक से जुड़े विजयराज सिंह मालकपूरा और अरिहंत सिंह की टीम ने उसे संवारा. आज यह हेरिटेज सुरक्षित है. इसी तरह इस टीम ने जिले के शैल चित्र सहित कई विरासतों को संवारने का संकल्प लिया है. गजेंद्र सिंह शेखावत का मानना है कि बूंदी में टूरिज्म की अपार संभावना है, लेकिन इन्हें समय पर संरक्षित करने की आवश्यकता है.
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बता दें कि बूंदी जिला सुंदर शैल और भित्ति चित्रों के लिए विश्व प्रसिद्ध है. यहां भारत की सबसे बड़ी रॉक पेंटिंग साइटों में से एक है. बूंदी के भीमलत में मौजूद विशाल चट्टानों पर मानव सभ्यता और उसके विकास की कहानी, भित्ती चित्रों के रूप में आज भी मौजूद है. मानव जाती का आश्रय स्थली रही इन चट्टानों में सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक और आर्थिक जीवन को प्रतिबिंबत करती कई तरह के भित्ती चित्र आज भी मौजूद हैं. अनुमान है कि ये भित्ती चित्र 20 हजार वर्ष से ज्यादा पुराने हैं जो इस बात का प्रमाण है कि हाड़ौती पूर्व मानव सभ्यता का साक्षी रहा है.