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बूंदी में वन विभाग के कर्मचारियों द्वारा ग्रामीणों से मारपीट मामला, विरोध में खटकड़ कस्बा रहा बन्द

बूंदी में वन विभाग के कर्मचारियों की ओर से ग्रामीणों से मारपीट के मामले में बुधवार को खटकड़ कस्बा बंद रहा. कर्मचारियों पर कार्रवाई की मांग को लेकर खटकड़ कस्बे के पीड़ित किसानों ने चौराहे पर कर्मचारियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान ग्रामीणों ने प्रशासन को चेतावनी दी है और कहा कि अगर इस पर कार्रवाई नहीं की गई तो ग्रामीण उग्र आंदोलन करेंगे.

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ग्रामीणों से मारपीट के मामले में बुधवार को खटकड़ कस्बा रहा बंद
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Published : Sep 16, 2020, 9:19 PM IST

बूंदी. जिले में वन विभाग के कर्मचारियों की ओर से ग्रामीणों से मारपीट का मामला अब तूल पकड़ने लगा है. यहां पर ग्रामीणों ने बुधवार को खटकड़ कस्बा बंद रखकर कर्मचारियों की मारपीट का विरोध किया है. खटकड़ ग्राम पंचायत के सरपंच भवानीशंकर मीणा की ओर से खटकड़ कस्बा बंद करने का आह्वान किया गया था.

ग्रामीणों से मारपीट के मामले में बुधवार को खटकड़ कस्बा रहा बंद

इसी के साथ बूंदी का खटकड़ कस्बा बंद रहा और सुबह से लोगों ने अपने प्रतिष्ठान नहीं खोलें और दोपहर बाद ग्रामीणों का हुजूम पंचायत पर एकत्रित हुआ और धरना देकर वन विभाग के कर्मचारियों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.

इस दौरान मौके पर पहुंचे अधिकारियों को ग्रामीणों ने अपना ज्ञापन सौंपा. जिसमें चेताया है कि यदि वन विभाग के कर्मचारी लगातार ग्रामीणों से मारपीट करेंगे और प्रशासन कार्रवाई नहीं करेगा तो ग्रामीण अब सड़कों पर उतरेंगे. ये तो सिर्फ कस्बा बंद कर चेतावनी है यदि जिला प्रशासन ने वन विभाग के कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की तो उग्र आंदोलन किया जाएगा, जिसकी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी.

खटकड़ सरपंच भवानी शंकर मीणा ने बताया कि जिन किसानों से मारपीट की गई है उन किसानों की ना रिपोर्ट लिखी गई है ना ही उनका कोई मेडिकल करवाया गया है. जबकि उनके साथ मारपीट हुई है. उनके जख्म साफ तौर से दिख रहे हैं. वन विभाग की मनमानी ग्रामीण नहीं सहेंगे. गौरतलब है कि बूंदी के आतरी, जावरा गांव में आधा दर्जन किसानों के साथ पशु चराने के दौरान वन विभाग के कर्मचारियों ने मारपीट की थी. जिसके चलते 3 किसान बूंदी जिला अस्पताल में भी भर्ती है. ऐसे में बिना मतलब मारपीट किए जाने के कारण इलाके में वन विभाग के खिलाफ आक्रोश भी है.

पढ़ें- शर्मनाक! संपत्ति नाम लिखाने के बाद बहू ने सास को घर से निकाला, सड़क पर रहने को मजबूर

इसको लेकर पूर्व में भी बूंदी जिला कलेक्ट्रेट पर किसान ने प्रदर्शन कर प्रशासन को चेतावनी दी थी, लेकिन मामले में वन विभाग के कर्मचारी सुधरे नहीं और ग्रामीणों के साथ मारपीट करते रहे. अब ग्रामीणों ने वन विभाग के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है अब देखना ये होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कार्रवाई करता है.

बूंदी. जिले में वन विभाग के कर्मचारियों की ओर से ग्रामीणों से मारपीट का मामला अब तूल पकड़ने लगा है. यहां पर ग्रामीणों ने बुधवार को खटकड़ कस्बा बंद रखकर कर्मचारियों की मारपीट का विरोध किया है. खटकड़ ग्राम पंचायत के सरपंच भवानीशंकर मीणा की ओर से खटकड़ कस्बा बंद करने का आह्वान किया गया था.

ग्रामीणों से मारपीट के मामले में बुधवार को खटकड़ कस्बा रहा बंद

इसी के साथ बूंदी का खटकड़ कस्बा बंद रहा और सुबह से लोगों ने अपने प्रतिष्ठान नहीं खोलें और दोपहर बाद ग्रामीणों का हुजूम पंचायत पर एकत्रित हुआ और धरना देकर वन विभाग के कर्मचारियों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.

इस दौरान मौके पर पहुंचे अधिकारियों को ग्रामीणों ने अपना ज्ञापन सौंपा. जिसमें चेताया है कि यदि वन विभाग के कर्मचारी लगातार ग्रामीणों से मारपीट करेंगे और प्रशासन कार्रवाई नहीं करेगा तो ग्रामीण अब सड़कों पर उतरेंगे. ये तो सिर्फ कस्बा बंद कर चेतावनी है यदि जिला प्रशासन ने वन विभाग के कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की तो उग्र आंदोलन किया जाएगा, जिसकी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी.

खटकड़ सरपंच भवानी शंकर मीणा ने बताया कि जिन किसानों से मारपीट की गई है उन किसानों की ना रिपोर्ट लिखी गई है ना ही उनका कोई मेडिकल करवाया गया है. जबकि उनके साथ मारपीट हुई है. उनके जख्म साफ तौर से दिख रहे हैं. वन विभाग की मनमानी ग्रामीण नहीं सहेंगे. गौरतलब है कि बूंदी के आतरी, जावरा गांव में आधा दर्जन किसानों के साथ पशु चराने के दौरान वन विभाग के कर्मचारियों ने मारपीट की थी. जिसके चलते 3 किसान बूंदी जिला अस्पताल में भी भर्ती है. ऐसे में बिना मतलब मारपीट किए जाने के कारण इलाके में वन विभाग के खिलाफ आक्रोश भी है.

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इसको लेकर पूर्व में भी बूंदी जिला कलेक्ट्रेट पर किसान ने प्रदर्शन कर प्रशासन को चेतावनी दी थी, लेकिन मामले में वन विभाग के कर्मचारी सुधरे नहीं और ग्रामीणों के साथ मारपीट करते रहे. अब ग्रामीणों ने वन विभाग के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है अब देखना ये होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कार्रवाई करता है.

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