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बूंदी: अध्यापक ने की ताइवान प्रजाती के अमरूद की खेती, हो रही अच्छी कमाई

बूंदी के एक अध्यापक ने ताइवान प्रजाती के अमरूद की खेती कर ये साबित कर दिया कि अगर ठान लिया जाए तो कुछ भी नामुमकिन नहीं. अध्यापक का खेत लंबे समय से बंजर पड़ा था. जिसके बाद उन्होंने अपने कृषि मित्रों की सहायता से उन्होंने अच्छे प्रजाती के अमरूद की खेती कर दिखाई.

बूंदी, guava of Taiwanese species
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Published : Nov 23, 2019, 7:03 PM IST

बूंदी. खेती तो बहुत से लोग करते हैं. कोई शौक से करता है तो कोई जरुरत के लिए. कुछ लोग बिना जानकारी के फसल लगा देते हैं और उसकी देखभाल नहीं करने से उपज भी अच्छी नहीं हो पाती है.

ताइवान प्रजाती के अमरूद की खेती से मोटा मुनाफा कमा रहे अध्यापक

लेकिन कुछ लोग अपनी लगन और मेहन से मामूली सी अमरूद की खेती से मिसाल कायम कर दिखाते हैं. ऐसा ही कारनामा कर दिखाया है अध्यापक रामनारायण मीणा ने. नवां उपखंड में ताइवान अमरुद की खेती करने वाले फार्म-हाउस के मालिक पेशे से सरकारी अध्यापक है. 52 वर्षीय रामनारायण मीणा मूलतः मुण्डली गांव के रहने वाले हैं.

वर्तमान में वो नैनवां शिक्षा विभाग में ब्लॉक समन्वयक पद पर कार्यरत हैं. उन्होंने अपनी खाली पड़ी बंजर जमीन पर खेती करना शुरू किया और ताइवान में होने वाली प्रजाति के अमरूद के पौधों को लगा दिया.

दरअसल, अमरुदों के पौधों में पानी की ज्यादा जरूरत नहीं होती और फल का उत्पादन ज्यादा होता है. फार्म हाउस मालिक ने अपनी जमीन पर 6 गुना 6 फीट के अंतराल में पौधे लगाकर ताइवान अमरूद की सघन खेती की.

अध्यापक रामनारायण मीणा प्रति सप्ताह मिलने वाली दो दिन की छुट्टी में अपने फार्महाउस जाते हैं और अपनी खेती की देखभाल करते हैं. दरअसल पानी की कमी के चलते उन्होंने अपनी इस ज़मीन को खाली ही छोड़ दिया था. लेकिन, मित्रों और कृषि विशेषज्ञों की सहायता लेकर उन्होंने खेती के नए तरीकों का पता लगाना शुरू किया. इसी दौरान उन्हें पता चला कि कम पानी का प्रयोग करके अमरूद की खेती की जा सकती है और अच्छा पैसा कमाया जा सकता है.

इसके बाद उन्होंने अपनी दो एकड़ खाली पड़ी बंजर जमीन पर ताइवानी अमरुद के चार सौ पौधे लगा दिये. एक साल की अवधि में ही उन्हें अमरूदों की अच्छी फसल मिलने लग गई, जिन्हें 120 रुपये प्रति किलो के हिसाब बेचना शुरू कर दिया.

बता दें कि अध्यापक रामनारायण खेती में सौर्य ऊर्जा का प्रयोग करते हैं. इसके अलावा पानी की बचत करने के लिए ड्रिप इरीगेशन प्रणाली का भी प्रयोग करते हैं. अमरुदों की अच्छी उपज होने से अब उनकी फसल को खरीदने के लिए बहुराष्ट्रीय कंपनियां उनसे संपर्क करने लगी हैं.

पढ़ें 'कभी शरद पवार ने भी इसी अंदाज में तोड़ी थी पार्टी'

अध्यापक ने अमरूदों के पौधों के साथ ही अपने फार्म हाउस पर ताइवानी बेर के 60, आम के 120, संतरा के 10, चीकू के 10, अनार के 10, नीबू के 10, केरुन्दा के 200 और कटहल के 50 पौधे लगा रखे हैं. उन्होंने बताया कि केरुन्दा के पौधे खेत के चारों ओर लगाए हैं, जो भविष्य में खेत की सुरक्षा व्यवस्था का भी काम करेंगे.

बूंदी. खेती तो बहुत से लोग करते हैं. कोई शौक से करता है तो कोई जरुरत के लिए. कुछ लोग बिना जानकारी के फसल लगा देते हैं और उसकी देखभाल नहीं करने से उपज भी अच्छी नहीं हो पाती है.

ताइवान प्रजाती के अमरूद की खेती से मोटा मुनाफा कमा रहे अध्यापक

लेकिन कुछ लोग अपनी लगन और मेहन से मामूली सी अमरूद की खेती से मिसाल कायम कर दिखाते हैं. ऐसा ही कारनामा कर दिखाया है अध्यापक रामनारायण मीणा ने. नवां उपखंड में ताइवान अमरुद की खेती करने वाले फार्म-हाउस के मालिक पेशे से सरकारी अध्यापक है. 52 वर्षीय रामनारायण मीणा मूलतः मुण्डली गांव के रहने वाले हैं.

वर्तमान में वो नैनवां शिक्षा विभाग में ब्लॉक समन्वयक पद पर कार्यरत हैं. उन्होंने अपनी खाली पड़ी बंजर जमीन पर खेती करना शुरू किया और ताइवान में होने वाली प्रजाति के अमरूद के पौधों को लगा दिया.

दरअसल, अमरुदों के पौधों में पानी की ज्यादा जरूरत नहीं होती और फल का उत्पादन ज्यादा होता है. फार्म हाउस मालिक ने अपनी जमीन पर 6 गुना 6 फीट के अंतराल में पौधे लगाकर ताइवान अमरूद की सघन खेती की.

अध्यापक रामनारायण मीणा प्रति सप्ताह मिलने वाली दो दिन की छुट्टी में अपने फार्महाउस जाते हैं और अपनी खेती की देखभाल करते हैं. दरअसल पानी की कमी के चलते उन्होंने अपनी इस ज़मीन को खाली ही छोड़ दिया था. लेकिन, मित्रों और कृषि विशेषज्ञों की सहायता लेकर उन्होंने खेती के नए तरीकों का पता लगाना शुरू किया. इसी दौरान उन्हें पता चला कि कम पानी का प्रयोग करके अमरूद की खेती की जा सकती है और अच्छा पैसा कमाया जा सकता है.

इसके बाद उन्होंने अपनी दो एकड़ खाली पड़ी बंजर जमीन पर ताइवानी अमरुद के चार सौ पौधे लगा दिये. एक साल की अवधि में ही उन्हें अमरूदों की अच्छी फसल मिलने लग गई, जिन्हें 120 रुपये प्रति किलो के हिसाब बेचना शुरू कर दिया.

बता दें कि अध्यापक रामनारायण खेती में सौर्य ऊर्जा का प्रयोग करते हैं. इसके अलावा पानी की बचत करने के लिए ड्रिप इरीगेशन प्रणाली का भी प्रयोग करते हैं. अमरुदों की अच्छी उपज होने से अब उनकी फसल को खरीदने के लिए बहुराष्ट्रीय कंपनियां उनसे संपर्क करने लगी हैं.

पढ़ें 'कभी शरद पवार ने भी इसी अंदाज में तोड़ी थी पार्टी'

अध्यापक ने अमरूदों के पौधों के साथ ही अपने फार्म हाउस पर ताइवानी बेर के 60, आम के 120, संतरा के 10, चीकू के 10, अनार के 10, नीबू के 10, केरुन्दा के 200 और कटहल के 50 पौधे लगा रखे हैं. उन्होंने बताया कि केरुन्दा के पौधे खेत के चारों ओर लगाए हैं, जो भविष्य में खेत की सुरक्षा व्यवस्था का भी काम करेंगे.

Intro:

बूंदी जिले में ताइवान के अमरूदों की हो रही खेती जो अब सफल होती नजर आ रही है। नैनवां क्षेत्र में प्रयोग के तौर पर राष्ट्रीय राजमार्ग 148 डी के किनारे बाछोला मोड स्थित फार्म-हाउस पर लगभग दो एकड़ क्षेत्र में लगाए गए ताइवानी अमरूद के पौधे एक साल के भीतर ही फल से लद गए। छोटे पौधों में प्रचुर मात्रा में फल आने से डालियों के टूटने की आशंका बनने लग गई ।जिसे देखते हुए कुछ फलों को पकने के पूर्व ही तोड़ लिया जा रहा है। वहीं प्रयोग के तौर पर लगाए गए ताइवानी अमरूद की सफल होती खेती को व्यवसायिक स्वरूप देने से बूंदी की पहचान अमरूद की खेती के लिए भी स्थापित हो सकती है।
Body: बूंदी जिले के नैनवां उपखंड में ताइवान अमरुद की खेती करने वाले फार्म -,हाउस मालिक पेशे से सरकारी अध्यापक है। 52 वर्षीय रामनारायण मीणा मूलतः मुण्डली गांव के रहने वाले हैं व वर्तमान में नैनवां शिक्षा विभाग में ब्लॉक समन्वयक पद पर कार्यरत हैं।उन्होंने अपनी खाली पड़ी बंजर जमीन पर खेती करना शुरू किया और ताइवान में होने वाली प्रजाति के अमरुद के पौधों को लगा दिया ।वहीं अमरुदो के पौधों में पानी की ज्यादा जरूरत नहीं होती और फल का उत्पादन ज्यादा होता है। जिस पर फार्म हाउस मालिक ने अपनी जमीन पर 6 गुना 6 फीट के अंतराल में पौधे लगाकर ताइवान अमरूद की सघन खेती शुरू कर दी । अध्यापक रामनारायण मीणा प्रति सप्ताह मिलने वाली दो दिन की छुट्टी में अपने फार्महाउस जाते हैं और अपनी खेती की देखभाल करते हैं।दरअसल पानी की कमी के चलते उन्होंने अपनी इस ज़मीन को खाली ही छोड़ दिया था। मगर मित्रों व कृषि विशेषज्ञों की सहायता लेकर उन्होंने खेती के नए तरीकों का पता लगाना शुरू किया।इसी दौरान उन्हें पता चला कि कम पानी का प्रयोग करके अमरुद की खेती की जा सकती है और अच्छा पैसा कमाया जा सकता है ।उसके बाद उन्होंने अपनी दो एकड़ खाली पड़ी बंजर जमीन पर ताइवानी अमरुद के चार सौ पौधे लगा दिये ।और एक साल की अवधि में ही उन्हें अमरुदो की अच्छी फसल मिलने मिल लग गई । जिन्हें 120 रुपये प्रति किलो के हिसाब बेचना शुरू कर दिया । वही अध्यापक रामनारायण खेती में सौर ऊर्जा का प्रयोग करते हैं पानी की बचत करने के लिए ड्रिप इरीगेशन प्रणाली का भी प्रयोग करते हैं। अमरुदो की अच्छी उपज होने से अब उनकी फसल को खरीदने के लिए बहुराष्ट्रीय कंपनियां उनसे संपर्क करने लगी है।


बाईट - रामनारायण मीणा अध्यापक
विजवल - फार्म हाउस पर लगे अमरुदो के पेड़
विजवल - फार्म हाउस पर लगा सौर ऊर्जा सिस्टमConclusion:वही अध्यापक ने अमरुदो के पौधों के साथ ही अपने फार्म हाउस पर ताइवान बेर के 60,आम के 120,संतरा के 10,चीकू के 10,अनार के 10,नीबू के 10,केरुन्दा के 200 तथा कटहल के 50 पौधे लगा रखे हैं। उन्होंने बताया कि केरुन्दा के पौधे खेत के चारों ओर लगाए हैं ।जो भविष्य में बाड़ अर्थात खेत की सुरक्षा व्यवस्था का भी काम करेंगे।
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