बूंदी. गर्मी का सीजन शुरू हो चुका है और गर्मी के सीजन में बूंदी के हर चौराहों पर गन्ने के ठेले लगा करते थे. इन ठेलो पर लोगों की भीड़ लगा करती थी और लोग गर्मी से बचने के लिए गन्ने के ज्यूस का सहारा लेते थे और अपने आप को शीतल पेय पीकर राहत पहुंचाते थे. लेकिन कोरोना वायरस के चलते अब ना गन्ने के ठेले लगे ना उन किसानों से गन्ना खरीदा गया.
किसानों ने हर साल की तरह ही गन्ने की फसल की उपज तो की. लेकिन इन किसानों के पास व्यापारी नहीं पहुंचे. जिसके चलते खेतों में खड़ा हुआ गन्ना अब धीरे-धीरे सूखने लगा है. गन्ने की मिठास अब लॉक डाउन और कोरोना वायरस के चलते फीकी पड़ती नजर आ रही है.
दूसरे राज्यों में भी बेचा जाता है गन्ना
इस गर्मी के सीजन में तो खेतों में व्यापारियों की भीड़ उमड़ा करती थी और किसानों द्वारा 2 हजार प्रति क्विंटल गन्ना बेचा जाता था. देसी और अंग्रेजी गन्ने की बढ़ी डिमांड बूंदी में हुआ करती थी. सबसे बड़ी बात यह है कि बूंदी में सबसे ज्यादा गन्ने की खेती की जाती है और बड़ी मात्रा में जिले के किसान गन्ने की खेती को कर यहां से दूसरे राज्यों में गन्ने को बेचते हैं.
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इन इलाकों में होती है ज्यादा खेती
जिले के केशोरायपाटन, बड़ा नया गांव, बड़ोदिया, अलोद, दबलाना, हिंडोली सहित कई इलाकों में हजारों की संख्या में किसान गन्ने की खेती किया करते हैं. हर साल रकबा बढ़ता जाता है और गन्ने के किसान अपने स्तर पर दूसरे राज्यों के व्यापारियों को गन्ना को बेचा करते हैं. लेकिन कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन जारी है. इस लॉकडाउन के चलते ना तो गन्ने तोड़ने के लिए किसानों को मजदूर मिले और ना ही व्यापारी किसानों के पास पहुंचे.
किसानों बताते हैं कि वे खुद गन्ने को अपने स्तर पर काट रहे हैं. हमें लाखों रुपए का नुकसान हुआ है. क्योंकि गन्ने के भाव मन मुताबिक मिल जाते थे लेकिन 1% भी गन्ना नहीं बिका पाया है. जिसके चलते नुकसान उठाना पड़ा है.
गन्ने से तैयार कर रहे गुड़
इसके पीछे किसानों का मानना है कि गुड बना लेंगे तो गुड़ तो बाद में भी बिक जाएगा. लेकिन अगर हमने समय रहते गन्ने की फसल को काटा नहीं, तो गन्ने की फसल इस कड़ी धूप में सुख जाएगी. उसका नुकसान भारी होगा. लेकिन हम इस गन्ने को काट रहे हैं और गुड़ बना रहे हैं और गुड़ के भेलियों को इकठ्ठा कर रहे हैं. बाद में लॉक डाउन खुलने पर शहर में बेच देंगे थोड़ा सा मुनाफा हमें भी हो जाएगा. किसानों ने बताया कि उन्हें गुड़ के कम दाम मिलते हैं. वहीं सीधे गन्ना बेचने से अधिक कमाई होती थी.
गन्ना किसानों ने ईटीवी भारत के माध्यम से मांग की है कि जल्द उन्हें सरकार मुआवजा दें, ताकि उनका घर खर्च चल सके, क्योंकि लाखों का खर्च और लाखों का नुकसान किसानों को गन्ना की खेती में हुआ है और अपनी मिठास घोलने वाला बूंदी का गन्ना इस बार फीका पड़ता नजर आ रहा है.