बूंदी. देश एक तरफ कोरोना महामारी से जंग लड़ रहा है. वहीं आए दिन कोरोना संक्रमितों की आत्महत्या की खबरें स्थिति को भयावह बना रही हैं. ऐसे में कोरोना मरीजों को शारीरिक रूप से स्वस्थ होने के लिए मानसिक रूप से स्वस्थ होना बेहद जरूरी है. बूंदी की तीन कोरोना फाइटर्स हैं, जिन्होंने न सिर्फ कोरोना को हराया बल्कि इलाज के दौरान खुद को कैसे पॉजिटिव रखें, ये भी बता रही हैं.
जिले की तीन कोरोना रिकवर महिलाओं ने कोरोना को हराकर एक जीत हासिल तो की है. दूसरी तरफ इन फाइटरों ने आम जनता और पॉजिटिव मरीजों के लिए मिसाल पेश की कि हम खुद को सकारात्मक रखकर कोरोना को आसानी से हरा सकते हैं. इन फाइटरों के टिप्स अपनाकर संक्रमित मरीजों को मानसिक संबल भी मिलेगा और वो जागरूक भी होंगे कि कैसे वे खुद को क्वॉरेंटाइन के समय पॉजिटिव रह सकते हैं.
क्रिएटिव काम कर खुद को रखा पॉजिटिव...
ईटीवी भारत ने जब इन बहादुर फाइटरों से बात की तो उन्होंने बताया कि पहले तो उन्होंने 14 दिन के अपने क्वॉरेंटाइन समय को पूरी तरह से नियोजित किया. फिर अनेक प्रकार के क्रिएटिव काम किए, जो उन्हें बेहद पसंद थे. जैसे की मन को प्रफुल्लित करने के लिए विशेष तौर पर नृत्य की अनेक विधाओं को सीखने के साथ-साथ उनका नियमित अभ्यास भी किया. जिससे इसका पहला फायदा हुआ कि डांस से भरपूर शारीरिक गतिविधि भी हो पाई और एक मन में पॉजिटिव विचार का संचार हुआ.
योग, ध्यान और सात्विक भोजन से बढ़ाई इम्युनिटी...
हमारी दूसरी कोरोना फाइटर जो कि एक युवती हैं, वे कहती हैं कि अपने मन में व्यर्थ चिंतन करने के बजाए उन्होंने नियमित रूप से योगाभ्यास भी किया. योग की विभिन्न क्रियाओं, आसन, प्राणायाम और ध्यान के माध्यम से उन्होंने अपने शरीर की इम्युनिटी को बढ़ाया. खाने में प्राकृतिक और सात्विक आहार पर विशेष बल दिया. इनमें से एक कोरोना मरीज बहुत सारी बीमारियों से ग्रसित हैं. इसके बावजूद भी जब उनको पता लगा कि वह कोरोना पॉजिटिव है तो उसने हिम्मत नहीं हारी. कोरोना से डटकर मुकाबला करने की ठानी.
परिवार को भी बनाया सकारात्मक...
कोरोना संक्रमितों मरीजों के साथ उनका परिवार भी जंग लड़ रहा होता है. वो सबसे मुश्किल दौर से गुजर रहे होते हैं. ऐसे में परिवार को भी कैसे टेंशन फ्री रखा जाएगा, इसका इंतजाम भी इन महिलाओं ने किया. अपने परिजनों की परेशानी को देखते हुए उन्होंने वातावरण को हल्का-फुल्का बनाने के लिए विभिन्न प्रकार के हंसी मजाक के ब्लॉग लिखे. अपनी स्थिति को मजबूत बनाते हुए भरपूर ऊर्जा के साथ सभी से बातचीत की जो उनके लिए बहुत दुखी हो रहे थे.
इन 14 दिनों को उन्होंने भरपूर उत्साह के साथ जिया और समाज को एक सकारात्मक संदेश दिया कि विपरीत परिस्थिति में भी यदि हमारा मनोबल ऊंचा बना रहे तो हम किसी भी प्रकार की बीमारी से बहुत सरलता से निकल सकते हैं.
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इन कोरोना 'योद्धाओं' ने नृत्य के विभिन्न वीडियो भी बनाए और यूट्यूब, इंस्टाग्राम और अन्य सोशल साइट्स पर भी डाले हैं. इनके सार्थक प्रयास के पीछे की मंशा यह है कि समाज में जितने भी कोरोना पॉजिटिव हैं, वे इस महामारी से लड़ने के लिए अपने आपको इतना मजबूत बनाएं कि यह महामारी उनका बाल भी बांका ना कर सके.