बूंदी. किसी भी शहर की विकास की कहानी वहां की सड़कें सबसे पहले कहती हैं. वहीं छोटी काशी बूंदी जो पर्यटक नगरी के नाम से मशहूर है, इसकी सड़कें बूंदी के प्रसिद्धि को धूमिल कर रही है लेकिन दूसरी तरफ जिम्मेवार इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं.
बूंदी शहर की सड़कों की हालत बेहद दयनीय है. यहां पता ही नहीं चलता कि सड़क पर गड्ढ़े हैं या गड्ढों में सड़क है. शहर को सड़कों की दुर्दशा यहां सीवरेज के कारण हुआ है. 5 साल पहले बूंदी शहर में सीसी सड़क का निर्माण हुआ और शहर का कुछ हिस्सा सीसी सड़क से लैस भी हो गया. वहां पर रफ्तार बढ़ने लगी लेकिन सीवरेज जब इन सड़कों को चीरते हुए डलने लगी तो हालात पहले जैसे ही हो गए. आज के दौर में हालत तो ऐसे हैं कि इन सड़कों अधिकतर जगहों पर तो सड़क ही नहीं बची है और जमीन पर पत्थर ही पत्थर नजर आ रहे हैं.
शहर के बालचंद पाड़ा से लेकर नागदी बाजार, सदर बाजार, मीरा गेट, लंका गेट, बाईपास रोड, देवपुरा से लेकर कोटा रोड तक, जैतसागर रोड से लेकर दलेल पुरा चौराहा तक खोजा गेट से लेकर चित्तौड़ रोड चौराहे, बहादुर सिंह सर्किल से लेकर मीरा गेट सभी सड़कों की हालत जर्जर हैं.
सड़कों को दुर्दशा सुधारने के लिए आम लोगों ने शिकायत से लेकर प्रदर्शन किया लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. वहीं दूसरी तरफ प्रतिदिन राहगीर और वाहन चालक इन सड़कों पर गिरकर चोटिल हो रहे हैं.
आम नागरिक परेशान
शहर के स्थानीय निवासी सर्वधनम शर्मा बताते हैं कि शहर के गड्ढे बड़े दुखदाई हो गए हैं. बड़े-बड़े गड्ढे सड़कों पर दिखाई दे रहे हैं. मैं खुद शहर के गड्ढे में गिरकर चोटिल होकर अस्पताल पहुंचा हूं और अपना प्राथमिक उपचार लिया है. गनीमत रही कि मैं सिर में चोट आने से बच गया. शहर के अधिकतर इलाकों में यही हालात हो रहे हैं. सर्वधनम कहते हैं कि प्रशासन को ध्यान देना चाहिए कि आखिरकार इन सड़कों को कब सुधर आया जाएगा और आम लोगों को कब राहत दी जाएगी.
पर्यटक करते हैं खराब सड़क की शिकायत
शहर के जागरूक युवा अश्विनी शर्मा बताते हैं कि बूंदी शहर की भौगोलिक स्थिति व प्राकृतिक स्थिति ऐसी है कि यहां पर्यटक खुद-ब-खुद खिंचा चला आता है. वह बताते हैं कि कई बार तो बूंदी शहर की इन गड्ढों में कीचड़ तक पैदा हो जाता है. जब यहां पर आने वाला पर्यटक सड़कों पर चलता है तो उन्हें भी परेशानी का सामना करना पड़ता है. कई पर्यटक कीचड़ में फिसल कर गिर कर चोटिल भी हो जाते हैं. ऐसे में वे सोशल मीडिया पर यहां के सड़कों की हालत की फोटो डालने से भी नहीं चूकते हैं.
वहीं नगर परिषद एवं सार्वजनिक निर्माण विभाग सड़को की जिम्मेदारी केवल मरम्मत करने तक ही लेता है और अपने ठेकेदारों तथा अपने अधीन आने वाली सड़कों का पैच वर्क करवा कर इतिश्री कर लेता है लेकिन जहां पर सड़क की जरूरत है, वहां पर मरम्मत कर मरहम पर पट्टी लगा दी जाती है.
अधिकारी बोले... केवल पैसा मरम्मत का आता है
शहरी क्षेत्र के सड़क का निर्माण कार्य का जिम्मा नगर परिषद के पास है. जबकि जिले का जिम्मा सार्वजनिक निर्माण विभाग के पास है. यहां बता दें कि पीडब्ल्यूडी विभाग के माध्यम से ही नगर परिषद को सड़क बनाने की जिम्मेदारी दी जाती है और पूरी मॉनिटर सार्वजनिक निर्माण के अधिकारी करते हैं.
इस मामले में सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधीक्षण अभियंता एसआर बैरवा का कहना है कि मानसून खत्म हो चुका है. अब 15 सितंबर से बूंदी जिले में मरम्मत का कार्य प्रारंभ हो चुका है. हमारा लक्ष्य है कि 15 अक्टूबर तक सारे मरम्मत कार्य को पूरा कर लेंगे.
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अधीक्षण अभियंता एसआर बैरवा का कहना है कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत नई सड़क बनाने का टेंडर जरूर आया है लेकिन शहर की सड़कें और जिले में आने वाली सड़कों का कोई टेंडर नहीं मिला है.
सड़क बनाने का प्रोजेक्ट सालों से अटका
बूंदी शहर में पिछले 5 सालों की बात की जाए तो यहां पर बूंदी नगर परिषद में 8 करोड़ शहर के सड़कों को नया बनाने का बजट आया था. ऐसे में ऑनलाइन प्रक्रिया के तहत ठेकेदारों ने अपना आवेदन किया लेकिन ठेकेदारों के गुट में विवाद हुआ. जिसके बाद ठेकेदार इस आवंटन को कोर्ट लेकर पहुंच गए और कोर्ट ने इस मामले में स्टे लगा दिया है.
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बूंदी के आठ करोड़ से सड़क निर्माण का प्रोजेक्ट करीब डेढ़ साल तक अटका रहा. जब अंतिम समय में बीजेपी राज्य खत्म होकर कांग्रेस सरकार लौटी तो स्वायत्त शासन मंत्री शांति कुमार धारीवाल ने कोटा के विकास के लिए बूंदी के आठ करोड़ पर को लेप्स कर कोटा की नगर परिषद में जुड़वा दिया. फिर बूंदी की सड़कों पर काम नहीं हो सका
बूंदी शहरवासियों की मांग है कि राजस्थान सरकार बूंदी की सड़कों के लिए एक विशेष पैकेज तैयार करें. जिससे अरावली की पहाड़ियों के बीच बसा बूंदी शहर भी विकास के पथ पर अपना योगदान दे सकें.