बूंदी. जिले में कोरोना का संक्रमण अब धीरे-धीरे फिर से बढ़ने लगा है. पिछले 4 दिनों में 60 के ऊपर कोरोना के मामले सामने आए हैं, लेकिन आम जनता फिर भी लापरवाही बरतती हुई देखी जा सकती है. वहीं बुधवार को बूंदी नगर परिषद आयुक्त महावीर सिंह सिसोदिया और तहसीलदार लक्ष्मी नारायण प्रजापत कोटा रोड स्थित एक दुकान पर पहुंचे तो यहां उन्होंने दुकान को सीज करने की कार्रवाई की.
इस दौरान दुकानदार ने दुकान को सीज करने का विरोध किया और दुकान को सीज करने का कारण पूछने लगे, लेकिन आयुक्त और तहसीलदार जवाब नहीं दे पाए तो विवाद बढ़ गया और व्यापारियों ने दोनों अधिकारियों के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी. वहां मौजूद पुलिस ने समझाइश भी की लेकिन व्यापारी नहीं माने.
ऐसे में दोनों अधिकारियों को व्यापारियों ने घेर लिया और दोनों अधिकारी उल्टे पैर जाने को मजबूर हो गए. विवाद होने के बाद व्यापारियों और उपखंड अधिकारी के बीच समझौता वार्ता हुई इसमें कुछ घंटों के लिए ही दुकान को सीज करने का प्रस्ताव रखा गया, बाद में दुकान को खोल दिया गया.
व्यापारियों ने कहा कि अधिकारी अपनी मर्जी से दुकानदार का चालान बना रहे हैं जो दुकान सीज की गई है वहां पर कोई मौजूद नहीं था केवल एक युवक दुकान पर बैठा हुआ था मास्क लगाए हुआ था, फिर भी अधिकारियों ने उसे सीज किया. जबकि एक दुकान का ₹2000 का चालान भी बना दिया जो कि अधिकारियों की लापरवाही को दर्शाता है और उनकी मनमानी को दर्शाता है.
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उन्होंने कहा कि सरकार ने महामारी एक्ट के तहत चालान बनाने का शुल्क को तय किया हुआ है फिर भी अधिकारी तय शुल्क से अधिक वसूल रहे हैं जिसका हमने विरोध किया है. अधिकारी इसी तरह मनमानी करते रहे तो हम बाजार बंद कर विरोध दर्ज कराएंगे.
तहसीलदार लक्ष्मी नारायण प्रजापत ने कहा कि सरकार के नियमों की पालना कराने को लेकर हम कोटा रोड पर पहुंचे थे. जहां उक्त दुकान पर एक व्यक्ति मौजूद था, जिसने मास्क नहीं लगाया हुआ था. महामारी एक्ट के तहत हमे दुकाने सीज कार्रवाई करने का अधिकार है लेकिन दुकानदारों ने उस मामले को मुद्दा बना लिया और हमारा विरोध किया जबकि हमने कुछ समय के लिए ही दुकान सीज किया था और दुकानदार को पाबंद किया था और चेतावनी दी थी कि वह इस तरीके से करेंगे तो दुकानों को भी सीज कर दिया जाएगा.