बूंदी. जिले के लाखेरी में मेज नदी पर हुए दर्दनाक हादसे से पूरा प्रदेश सहमा हुआ है. यह मामला विधानसभा में भी गूंजा. विपक्ष ने सत्ता पक्ष को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ा. बूंदी जिले से करीब 160 किलोमीटर का एरिया मेज नदी कवर करती है और चंबल नदी में जाकर मिलती है. इस नदी पर करीब 12 से ज्यादा कच्चे और बड़े पुल बने हुए हैं. करीब 6 पुल ऐसे हैं, जो लाखेरी जैसे बड़े हादसे को कभी भी न्यौता दे सकते हैं. कुछ पुल तो ऐसे हैं जिन्हें देखकर यह नहीं लगता है कि यह पुल भी हैं.
इस हादसे को लेकर जब ईटीवी भारत ने पड़ताल की तो सामने आया था कि पुलिया पर जो रेलिंग बनाई गई है, वह बहुत छोटी है. जिसके कारण बस अनियंत्रित होकर रेलिंग को तोड़ते हुए नदी में गिर गई.
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दबलाना पुलिया की हालत जर्जर
बूंदी के दबलाना इलाके में मेज नदी के तट पर एक पुलिया बनी हुई है, जो पिछले 5 सालों से जर्जर हालत में है. पीडब्ल्यूडी विभाग ने सरकार को प्रस्ताव बनाकर दे दिया है, लेकिन 5 साल बीत जाने के बाद भी उसकी स्वीकृति नहीं मिली है. यह पुल कभी भी हादसे का शिकार बन सकती है.
इन पुलियों पर हो चुके हैं कई हादसे...
खटकड़, झालीजी का बराना और पची पला सहित जिले में कई ऐसी पुलिया हैं, जो पूरी तरह से जर्जर हो चुकी हैं. पुलिया पर कोई सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं हैं. इन पुलिया के ऊपर रफ्तार से वाहन आया-जाया करते हैं. बता दें कि इन पुलियों पर एक तरफ से ही वाहन निकल सकते हैं, लेकिन फिर भी दोनों तरफ से वाहन आवाजाही करते हैं. इसके कारण पुलिया पर कई बार हादसे भी हो चुके हैं. अलग-अलग हादसों में 10 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.
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बूंदी बस हादसा पुलिया की लापरवाही के कारण नहीं हुआ: प्रशासन
प्रशासन की इसी लापरवाही के कारण 26 फरवरी को लाखेरी की मेज नदी पर बनी पुलिया पर हादसा हुआ. इस हादसे में 24 लोगों की मौत हो गई. समय रहते अगर प्रशासन इस ओर ध्यान देता तो शायद यह हादसा टल जाता. लाखेरी में हुए इस हादसे को लेकर प्रशासन का कहना है, कि यह हादसा पुलिया की लापरवाही के कारण नहीं हुआ है. उनका कहना है कि हादसा किसी अन्य कारणों से हुआ है.
4 सदस्यीय कमेटी कर रही बूंदी बस हादसे की जांच
FSL टीम ने भी हादसे के बाद 27 फरवरी को घटनास्थल की जांच की है. हादसे को लेकर परिवहन विभाग के अधिकारियों ने भी घटनास्थल और वाहन की जांच की है. फिलहाल 4 सदस्यीय कमेटी इस पूरे मामले की जांच कर रही है.