बूंदी. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला शुक्रवार को बूंदी दौरे पर रहे. इस दौरे पर ओम बिरला ने अयोध्या मामले को लेकर अपना बयान दिया है. बिरला ने कहा कि जो फैसला आया है, वह सर्वमान्य है और सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सब ने स्वीकारा है. यही हमारे लोकतंत्र और संस्कृति की पहचान है.
बता दें कि बिरला ने कहा कि न्यायिक प्रक्रिया में सुप्रीम कोर्ट से बड़ा कोई नहीं है और फैसले आने के बाद जिस तरीके से सभी वर्गों ने इसका स्वागत किया है. वह बहुत ही महत्वपूर्ण है. इसी फैसले के बाद जो लोगों ने विश्वास जताया है, यही हमारी विरासत है. वहीं बूंदी दौरे पर उन्होंने सर्किट हाउस में जनसुनवाई कर मौके पर ही अधिकारियों को समस्याओं का निस्तारण करने के लिए निर्देश दिए हैं.
साथ ही उन्होंने जिले में बरसात के बाद लबालब हुए तालाब और बांधों से निकलने वाली नहरों का रोडमैप तैयार करने के निर्देश दिए हैं. जिससे किसी भी किसानों को पानी की समस्या का सामना नहीं करना पड़े.
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इसके बाद बिरला बूंदी उत्सव के तहत खेल संकुल में आयोजित नौ दिवसीय बूंदी उद्योग एवं हस्तशिल्प मेले का उन्होंने शुभारंभ किया. उन्होंने विधिवत रूप से दीप प्रज्वलित कर मेले का उद्घाटन किया. साथ ही जिलेवासियों को बूंदी उत्सव की बधाई दी. वहीं ओम बिरला ने उद्योग मेले में विभिन्न क्षेत्रों से आए स्टोल पर प्रदर्शित उत्पादों का अवलोकन भी किया.
उन्होंने मेले में लगाई गई अमृता हाट में स्वयं सहायता समूह के उत्पाद देखें और महिलाओं से बातचीत की. इस अवसर पर बिरला ने कहा कि बूंदी सहित हाड़ौती क्षेत्र में पर्यटन विकास के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. पर्यटन विकास बढ़ावा देकर रोजगार के अवसर पैदा किए जाएंगे.
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बूंदी पर्यटन का केंद्र है और सालों से देशी-विदेशी पर्यटकों का आगमन यहां होता है. यहां के महल ,बावड़ियों, तालाब ,नदिया अपने आप में पुरातत्व है. बूंदी पर्यटन नगरी के रूप में देश-विदेशी सैलानियों को आकर्षित करती है. इस को सहेजने के लिए प्रयास किए जाएंगे उन्होंने कहा कि यहां की विरासत अद्भुत है. यहां देशी-विदेशी पर्यटक आते हैं, कोशिश हो कि पर्यटक और अधिक आए. हाड़ौती पर्यटन के लिए और भी विकसित हो.
कार्य्रकम के बाद ओम बिरला वरिष्ठ पत्रकार मदन मदिर के निधन पर उनके घर पर शोक व्यक्त करने पहुंचे. जहां उन्होंने पत्रकार मदन मदिर के लिखे गए लेखों के बारे में जानकारी दी. पत्रकार मदन मदिर के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि पत्रकारिता का एक चिराग बुझ गया है.