बूंदी. इन दिनों चंबल में पानी की आवक ज्यादा होने से नदी का रौद्र रुप देखा जा सकता है. जिले के केशोरायपाटन इलाके में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए हैं. चंबल नदी ने क्षेत्र का कोई सा भी इलाका नहीं छोड़ा है जहां पानी नहीं दिखाई देता हो. जिधर नजरें दौड़ाओगे उधर पानी. करीब 4 से 5 फीट पानी घरों में घुस चुका है. जिससे लोगों को लाखों का नुकसान हुआ है.
यही नहीं अस्पताल हो या स्कूल, सभी सार्वजनिक स्थानों को भी बाढ़ के पानी ने अपने आगोश में ले लिया है. दरअसल मध्यप्रदेश के गांधी सागर से पानी की आवक की जा रही है जिसके चलते चंबल नदी उफान पर है और कोटा बैराज के 19 गेटों को खोल दिया है. साथ ही करीब सात लाख से अधिक क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है. नदी के कुछ ही दूरी पर स्थित है बूंदी जिले के केशोरायपाटन इलाका जो पूरी तरह से जलमग्न हो गया है. कस्बे की कई बस्तियां, घाट का बराना सहित कई ऐसे गांव है जो पूरी तरह से बाढ़ की चपेट में है.
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मकानों की छतों पर शरण जमाई
बता दें कि पिछले 3 दिनों से चंबल नदी का जलस्तर बढ़ रहा है. शुरुआत में जब चंबल नदी का पानी छोड़ा गया था तो हाल कुछ ऐसा हुआ कि जो जहां था वहीं थम गया. सूचना मिलने पर एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें मौके पर पहुंची और लोगों को निकालकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचा. लेकिन उनके आशियाने पूरी तरह से जलमग्न हो गए. ऐसे में फिर से लोगों ने पानी के रौद्र रूप को देखते हुए अपने मकानों को नहीं छोड़ा और वह मकानों के इर्द-गिर्द ही घूमते रहे. कुछ लोगों ने मकानों की छत पर अपनी शरण जमाली तो कुछ लोग प्रशासन के साथ रहने पर मजबूर हुए.
जुगाड़ की नाव बनी दिनचर्या का अहम हिस्सा
वहीं केशोरायपाटन में प्रशासन की ओर से लोगों को धर्मशाला में खाने-पीने की व्यवस्था करवाई है. उधर पाटन की विभिन्न बस्तियों में चंबल नदी का चार से पांच फिट ऊपर पानी देखा जा सकता है. यहां पर शुरुआती दौर में चंबल का पानी आने पर इलाके के लोगों की ओर से जुगाड़ की नाव बनाई गई थी और पानी में चला कर लोगों को सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया. पिछले 3 दिनों से यहां के लोग जुगाड़ की नाव चला रहे हैं और घर में जरूरी सामानों को जुगाड़ से निकाला जा रहा हैं. पानी के सैलाब का आलम कुछ इस तरह है कि हर घर जलमग्न है. पानी पूरी तरह से कॉलोनी में घुस चुका है. अस्पताल हो या स्कूल सभी बाढ़ की चपेट में है.
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बराना में कई मकान धराशाई
उधर बूंदी के घाट का बराना गांव में अचानक पानी की आवक से कई मकान धराशाई हो गए. जिससे ग्रामीणों को काफी नुकसान का सामना करना पड़ा. यही नहीं रोटेदा गांव की कीर बस्ती में 100 से अधिक लोग पानी के सैलाब में फंस गए जहां पर प्रशासनिक अधिकारियों की ओर से अभियान चलाकर सभी लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला गया.
केशोरायपाटन में नहीं हुआ प्रशासन का 'अलर्ट'
यकीनन राजस्थान के हाडौती क्षेत्र में लगातार इंद्रदेव मेहरबान है लेकिन यही मेहरबानी अब यहां के बाशिंदों के लिए दुविधा में तब्दील हो गई. चंबल खतरे के निशान पर है. यही कारण रहा कि सभी गांव व क्षेत्र बाढ़ की चपेट में हैं. जब चंबल में पानी की आवक ज्यादा हुई तो जिले के सभी इलाकों में प्रशासन की ओर से अलर्ट जारी कर दिया गया लेकिन जिले के केशोरायपाटन इलाके में अलर्ट नहीं किया गया. ऐसे में चंबल जब रौद्र रूप में आई तो हर तरफ पानी ही पानी हो गया और प्रशासन के सारे दावे खोखले साबित हो गए. फिलहाल मौके पर चार से पांच फीट पानी बस्तियों में भरा हुआ है और लोग पानी कम होने का इंतजार कर रहे हैं.