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स्पेशल रिपोर्ट: चंबल नदी का 'रौद्र रूप'...कई गांव जलमग्न...जुगाड़ पर रोजमर्रा की जिंदगी

बूंदी जिले में चंबल का रौद्र रूप देखा जा सकता है. जहां बूंदी जिले के केशोरायपाटन में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए हैं. जिसके चलते कई बस्तियां जलमग्न हो चुकी है. पानी चार से पांच फीट ऊपर देखा जा सकता है. और साथ ही लोगों को भारी नुकसान भी हुआ है.

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Published : Sep 16, 2019, 7:11 PM IST

Updated : Sep 16, 2019, 7:19 PM IST

बूंदी. इन दिनों चंबल में पानी की आवक ज्यादा होने से नदी का रौद्र रुप देखा जा सकता है. जिले के केशोरायपाटन इलाके में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए हैं. चंबल नदी ने क्षेत्र का कोई सा भी इलाका नहीं छोड़ा है जहां पानी नहीं दिखाई देता हो. जिधर नजरें दौड़ाओगे उधर पानी. करीब 4 से 5 फीट पानी घरों में घुस चुका है. जिससे लोगों को लाखों का नुकसान हुआ है.

चंबल ने दिखाया रौद्र रूप तो कई गांव हुए जलमग्न

यही नहीं अस्पताल हो या स्कूल, सभी सार्वजनिक स्थानों को भी बाढ़ के पानी ने अपने आगोश में ले लिया है. दरअसल मध्यप्रदेश के गांधी सागर से पानी की आवक की जा रही है जिसके चलते चंबल नदी उफान पर है और कोटा बैराज के 19 गेटों को खोल दिया है. साथ ही करीब सात लाख से अधिक क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है. नदी के कुछ ही दूरी पर स्थित है बूंदी जिले के केशोरायपाटन इलाका जो पूरी तरह से जलमग्न हो गया है. कस्बे की कई बस्तियां, घाट का बराना सहित कई ऐसे गांव है जो पूरी तरह से बाढ़ की चपेट में है.

पढ़ें: कोटा: सुखनी नदी का जलस्तर बढ़ा, SDRF की टीम ने 200 लोगों को रेस्क्यू

मकानों की छतों पर शरण जमाई

बता दें कि पिछले 3 दिनों से चंबल नदी का जलस्तर बढ़ रहा है. शुरुआत में जब चंबल नदी का पानी छोड़ा गया था तो हाल कुछ ऐसा हुआ कि जो जहां था वहीं थम गया. सूचना मिलने पर एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें मौके पर पहुंची और लोगों को निकालकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचा. लेकिन उनके आशियाने पूरी तरह से जलमग्न हो गए. ऐसे में फिर से लोगों ने पानी के रौद्र रूप को देखते हुए अपने मकानों को नहीं छोड़ा और वह मकानों के इर्द-गिर्द ही घूमते रहे. कुछ लोगों ने मकानों की छत पर अपनी शरण जमाली तो कुछ लोग प्रशासन के साथ रहने पर मजबूर हुए.

ETV भारत ने लिया जायजा

जुगाड़ की नाव बनी दिनचर्या का अहम हिस्सा

वहीं केशोरायपाटन में प्रशासन की ओर से लोगों को धर्मशाला में खाने-पीने की व्यवस्था करवाई है. उधर पाटन की विभिन्न बस्तियों में चंबल नदी का चार से पांच फिट ऊपर पानी देखा जा सकता है. यहां पर शुरुआती दौर में चंबल का पानी आने पर इलाके के लोगों की ओर से जुगाड़ की नाव बनाई गई थी और पानी में चला कर लोगों को सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया. पिछले 3 दिनों से यहां के लोग जुगाड़ की नाव चला रहे हैं और घर में जरूरी सामानों को जुगाड़ से निकाला जा रहा हैं. पानी के सैलाब का आलम कुछ इस तरह है कि हर घर जलमग्न है. पानी पूरी तरह से कॉलोनी में घुस चुका है. अस्पताल हो या स्कूल सभी बाढ़ की चपेट में है.

पढ़ें: घबराने की जरूरत नहीं, यह असम-बिहार जैसी बाढ़ नहीं : गहलोत

बराना में कई मकान धराशाई

उधर बूंदी के घाट का बराना गांव में अचानक पानी की आवक से कई मकान धराशाई हो गए. जिससे ग्रामीणों को काफी नुकसान का सामना करना पड़ा. यही नहीं रोटेदा गांव की कीर बस्ती में 100 से अधिक लोग पानी के सैलाब में फंस गए जहां पर प्रशासनिक अधिकारियों की ओर से अभियान चलाकर सभी लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला गया.

पढ़ें:लोकसभा स्पीकर ने नाव से किया बाढ़ प्रभावित इलाके का दौरा, कहा- एक व्यक्ति एक परिवार योजना से करेंगे बाढ़ पीड़ितों की मदद

केशोरायपाटन में नहीं हुआ प्रशासन का 'अलर्ट'

यकीनन राजस्थान के हाडौती क्षेत्र में लगातार इंद्रदेव मेहरबान है लेकिन यही मेहरबानी अब यहां के बाशिंदों के लिए दुविधा में तब्दील हो गई. चंबल खतरे के निशान पर है. यही कारण रहा कि सभी गांव व क्षेत्र बाढ़ की चपेट में हैं. जब चंबल में पानी की आवक ज्यादा हुई तो जिले के सभी इलाकों में प्रशासन की ओर से अलर्ट जारी कर दिया गया लेकिन जिले के केशोरायपाटन इलाके में अलर्ट नहीं किया गया. ऐसे में चंबल जब रौद्र रूप में आई तो हर तरफ पानी ही पानी हो गया और प्रशासन के सारे दावे खोखले साबित हो गए. फिलहाल मौके पर चार से पांच फीट पानी बस्तियों में भरा हुआ है और लोग पानी कम होने का इंतजार कर रहे हैं.

बूंदी. इन दिनों चंबल में पानी की आवक ज्यादा होने से नदी का रौद्र रुप देखा जा सकता है. जिले के केशोरायपाटन इलाके में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए हैं. चंबल नदी ने क्षेत्र का कोई सा भी इलाका नहीं छोड़ा है जहां पानी नहीं दिखाई देता हो. जिधर नजरें दौड़ाओगे उधर पानी. करीब 4 से 5 फीट पानी घरों में घुस चुका है. जिससे लोगों को लाखों का नुकसान हुआ है.

चंबल ने दिखाया रौद्र रूप तो कई गांव हुए जलमग्न

यही नहीं अस्पताल हो या स्कूल, सभी सार्वजनिक स्थानों को भी बाढ़ के पानी ने अपने आगोश में ले लिया है. दरअसल मध्यप्रदेश के गांधी सागर से पानी की आवक की जा रही है जिसके चलते चंबल नदी उफान पर है और कोटा बैराज के 19 गेटों को खोल दिया है. साथ ही करीब सात लाख से अधिक क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है. नदी के कुछ ही दूरी पर स्थित है बूंदी जिले के केशोरायपाटन इलाका जो पूरी तरह से जलमग्न हो गया है. कस्बे की कई बस्तियां, घाट का बराना सहित कई ऐसे गांव है जो पूरी तरह से बाढ़ की चपेट में है.

पढ़ें: कोटा: सुखनी नदी का जलस्तर बढ़ा, SDRF की टीम ने 200 लोगों को रेस्क्यू

मकानों की छतों पर शरण जमाई

बता दें कि पिछले 3 दिनों से चंबल नदी का जलस्तर बढ़ रहा है. शुरुआत में जब चंबल नदी का पानी छोड़ा गया था तो हाल कुछ ऐसा हुआ कि जो जहां था वहीं थम गया. सूचना मिलने पर एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें मौके पर पहुंची और लोगों को निकालकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचा. लेकिन उनके आशियाने पूरी तरह से जलमग्न हो गए. ऐसे में फिर से लोगों ने पानी के रौद्र रूप को देखते हुए अपने मकानों को नहीं छोड़ा और वह मकानों के इर्द-गिर्द ही घूमते रहे. कुछ लोगों ने मकानों की छत पर अपनी शरण जमाली तो कुछ लोग प्रशासन के साथ रहने पर मजबूर हुए.

ETV भारत ने लिया जायजा

जुगाड़ की नाव बनी दिनचर्या का अहम हिस्सा

वहीं केशोरायपाटन में प्रशासन की ओर से लोगों को धर्मशाला में खाने-पीने की व्यवस्था करवाई है. उधर पाटन की विभिन्न बस्तियों में चंबल नदी का चार से पांच फिट ऊपर पानी देखा जा सकता है. यहां पर शुरुआती दौर में चंबल का पानी आने पर इलाके के लोगों की ओर से जुगाड़ की नाव बनाई गई थी और पानी में चला कर लोगों को सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया. पिछले 3 दिनों से यहां के लोग जुगाड़ की नाव चला रहे हैं और घर में जरूरी सामानों को जुगाड़ से निकाला जा रहा हैं. पानी के सैलाब का आलम कुछ इस तरह है कि हर घर जलमग्न है. पानी पूरी तरह से कॉलोनी में घुस चुका है. अस्पताल हो या स्कूल सभी बाढ़ की चपेट में है.

पढ़ें: घबराने की जरूरत नहीं, यह असम-बिहार जैसी बाढ़ नहीं : गहलोत

बराना में कई मकान धराशाई

उधर बूंदी के घाट का बराना गांव में अचानक पानी की आवक से कई मकान धराशाई हो गए. जिससे ग्रामीणों को काफी नुकसान का सामना करना पड़ा. यही नहीं रोटेदा गांव की कीर बस्ती में 100 से अधिक लोग पानी के सैलाब में फंस गए जहां पर प्रशासनिक अधिकारियों की ओर से अभियान चलाकर सभी लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला गया.

पढ़ें:लोकसभा स्पीकर ने नाव से किया बाढ़ प्रभावित इलाके का दौरा, कहा- एक व्यक्ति एक परिवार योजना से करेंगे बाढ़ पीड़ितों की मदद

केशोरायपाटन में नहीं हुआ प्रशासन का 'अलर्ट'

यकीनन राजस्थान के हाडौती क्षेत्र में लगातार इंद्रदेव मेहरबान है लेकिन यही मेहरबानी अब यहां के बाशिंदों के लिए दुविधा में तब्दील हो गई. चंबल खतरे के निशान पर है. यही कारण रहा कि सभी गांव व क्षेत्र बाढ़ की चपेट में हैं. जब चंबल में पानी की आवक ज्यादा हुई तो जिले के सभी इलाकों में प्रशासन की ओर से अलर्ट जारी कर दिया गया लेकिन जिले के केशोरायपाटन इलाके में अलर्ट नहीं किया गया. ऐसे में चंबल जब रौद्र रूप में आई तो हर तरफ पानी ही पानी हो गया और प्रशासन के सारे दावे खोखले साबित हो गए. फिलहाल मौके पर चार से पांच फीट पानी बस्तियों में भरा हुआ है और लोग पानी कम होने का इंतजार कर रहे हैं.

Intro:बूंदी जिले में चंबल का रूद्र रूप देखा जा सकता है जहां बूंदी जिले के केशोरायपाटन में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए हैं । जिसके चलते कई बस्तियां जलमग्न हो चुकी है । पानी चार से पांच पर देखा जा सकता है जिससे लोगों को भारी नुकसान हुआ ।


Body:बूंदी जिले में चंबल नदी का रूद्र रूप देखा जा सकता है यहां पर बूंदी जिले के केशोरायपाटन इलाके में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए हैं। चंबल नदी ने क्षेत्र का कोई सा भी इलाका नहीं छोड़ा है जहां पानी नहीं हो। करीब 4 से 5 फीट पानी घरों में घुस चुका है। जिससे लाखों का नुकसान लोगों को हुआ है । यही नहीं अस्पताल हो स्कूल हो सभी को बाढ़ के पानी ने अपने आगोश में ले लिया है। लगातार मध्यप्रदेश के गांधी सागर से पानी की आवक की जा रही है जिसके चलते चंबल नदी उफान पर है और कोटा बैराज के 19 गेटों को खोल दिया है ओर करीब सात लाख से अधिक क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है । यही कारण है कि चंबल नदी उफान पर है और इसी चंबल नदी के कुछ ही दूरी पर स्थित है बूंदी जिले के केशोरायपाटन जिला का जो पूरी तरह से जलमग्न हो गया है । यहां पर केशोरायपाटन की कई बस्तियां ,घाट का बराना सहित कई ऐसे गांव है जो पूरी तरह से बाढ़ की चपेट में है । पिछले 3 दिनों से चंबल नदी का जलस्तर बढ़ रहा है । शुरुआत में जब चंबल नदी का पानी छोड़ा गया था तो जो जहां था वहीं थम गया । सूचना मिलने पर एनडीआरएफ ओर एसडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंची और लोगों को निकाला और सुरक्षित स्थान पर पहुंचा। लेकिन उनके आशियाने पूरी तरह से जलमग्न हो गए ऐसे में फिर से लोगों ने पानी में रूद्र रूप को देखते हुए अपने मकानों को नहीं छोड़ा और वह मकानों के इर्द-गिर्द ही घूमते रहे । कुछ लोगों ने मकानों की छत पर अपनी शरण जमाली तो कुछ लोगों ने प्रशासन के साथ रहने पर मजबूर हुए । वहीं केशोरायपाटन में प्रशासन द्वारा लोगों को धर्मशाला में खाने पीने की व्यवस्था करवाई है। उधर पाटन की विभिन्न बस्तियों में चंबल नदी का चार से पांच पानी देखा जा सकता है । यहां पर शुरुआती दौर में चंबल का पानी आने पर इलाके के लोगों द्वारा जुगाड़ की नाव बनाई गई थी और पानी में चला कर लोगो को सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया । पिछले 3 दिनों से यहां के लोग जुगाड़ वाली चला रहे हैं तथा घर में जरूरी सामानों को जुगाड़ में निकाल रहे हैं। इन बच्चों में जहां जहां तक निगाहे जा सकती है वहां पानी नजर आ रहा है । पानी का सैलाब इतना है कि घर में पानी इस तरीके से गुस्सा हुआ है कि किसी भी मकान को उन्होंने नहीं छोड़ा है । पानी पूरी तरह से कॉलोनी में घुस चुका है । अस्पताल हो या स्कूल सभी बाढ़ की चपेट में है । उधर बूंदी के घाट का बराना गांव में अचानक से आए पाने के कारण कई मकान धराशाई हो गए । जिससे ग्रामीणों को काफी नुकसान का सामना करना पड़ा । यही नहीं रोटेदा गांव में भी कीर बस्ती में 100 से अधिक लोग पानी के सैलाब में फंस गए जहां पर प्रशासनिक अधिकारी द्वारा अभियान चलाकर सभी लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला ।


Conclusion:यकीन राजस्थान के हाडौती क्षेत्र में लगातार इंद्रदेव मेहरबान है और खतरे के निशान पर चंबल नदी चल रही है। यही कारण रहा कि इसके पास आने वाले सभी गांव व क्षेत्र बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। जब चंबल नदी का पानी का प्रशासन द्वारा कोटा के विभिन्न इलाकों को अलर्ट कर लिया गया था लेकिन बूंदी जिले के केशोरायपाटन के लोगों को अलर्ट नहीं कर सके । ऐसे में चंबल जब रूद्र रूप पर आई तो सब जगह पर पानी पानी कर दिया और प्रशासन के सारे दावे खोखले साबित हो गए । फिलहाल मौके पर चार से पांच फीट पानी बस्तियों में भरा हुआ है और लोग पानी कम होने का इंतजार कर रहे हैं ।

बाईट - इमरान
बाईट - सहीद
वॉक थ्रो सलीम अली
Last Updated : Sep 16, 2019, 7:19 PM IST
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