ETV Bharat / state

बूंदी: बारिश से ईंट भट्टों को भारी नुकसान, कच्ची ईंटें हुई खराब - raw bricks deteriorate

बूंदी में लाखेरी के पास ईंट के भट्टों पर बारिश के चलते भारी नुकसान हुआ है. करीब 100 से अधिक भट्टों पर 500 से अधिक टापे बरसात के चलते तहस-नहस हो गए हैं. बारिश में कच्ची ईंटें पूरी तरह खराब हो गई हैं. जिसका सीधा असर मजदूरों पर पड़ेगा.

brick kilns,  brick kilns in bundi
बारिश से ईंट भट्टों को भारी नुकसान
author img

By

Published : Jan 6, 2021, 4:32 PM IST

केशवरायपाटन (बूंदी). 3 दिन से प्रदेश के कई इलाकों में बारिश हो रही है. जिसके चलते किसानों के चेहरे पर खुशी है तो ईंट उद्योग से जुड़े लोगों के लिए यह बारिश नुकसान लेकर आई है. बरसात में कच्ची ईंटें खराब हो गई हैं, जिसके चलते सैंकड़ों भट्टे बंद हो गई और हजारों कामगार मजदूर बेरोजगार हो गई हैं.

बारिश में कच्ची ईंटें खराब

ईंटों के उत्पादन में पहले चरण में मिट्टी का घोल बनाकर कोयले की चुरी से कच्ची ईंटे बनाई जाती हैं, जिनको सूखने के बाद भट्टी में पकाया जाता है. तब पकी हुई ईंटें बनकर तैयार होती हैं. यह एक लंबी प्रक्रिया है. लेकिन बरसात ने इस उत्पादन प्रोसेस को पूरी तरह से तहस-नहस कर दिया. ईंट भट्टों वालों को अब नए सिरे से उत्पादन की प्रक्रिया शुरू करनी पडे़गी. उत्पादन टाप की सफाई करके कच्ची ईंटे बनाने में काफी समय लगता है.

लाॅकडाउन के बाद शुरू हुआ था उत्पादन

कोरोना में प्रवासी मजदूरों के लौट जाने के बाद ईंट भट्टों का काम पूरी तरह से बंद हो गया था. लेकिन लॉकडाउन में वापस ईंट उद्योग पटरी पर लौटने लगा ही था. लाखेरी के आस-पास काफी संख्या में ईंट उत्पादन के भट्टे हैं. अक्टूबर से यहां काम फिर से शुरू हुआ था. दो महीने के काम के बाद अमूमन अधिकांश टाप पर बड़ी मात्रा में कच्ची ईंटों का निर्माण हो चुका था और इन दिनों पकाने के लिए भट्टी लगाने की तैयारियां चल रही थी. कई टाप पर तो कच्ची ईटों को भट्टी में जमा भी लिया था, लेकिन आग नहीं रखी थी. इसी बीच बरसात ने पूरी उत्पादन प्रक्रिया को प्रभावित कर दिया.

हाड़ौती सहित जयपुर, टोंक, सवाई माधोपुर तक लाखेरी की ईटों की काफी मांग रहती है. इसलिए ईंटों के उत्पादन में लाखेरी एक बड़ा हब माना जाता है. बारिश से 500 से अधिक टाप बर्बाद हो गए हैं. टाप उस जगह को कहा जाता है जहां एक भट्टी लगाकर ईंटे बनाई जाती हैं. एक साइट पर कई टापें होती हैं. अमूमन एक टाप पर कम से कम 90 हजार से एक लाख ईंटे तैयार होती हैं.

केशवरायपाटन (बूंदी). 3 दिन से प्रदेश के कई इलाकों में बारिश हो रही है. जिसके चलते किसानों के चेहरे पर खुशी है तो ईंट उद्योग से जुड़े लोगों के लिए यह बारिश नुकसान लेकर आई है. बरसात में कच्ची ईंटें खराब हो गई हैं, जिसके चलते सैंकड़ों भट्टे बंद हो गई और हजारों कामगार मजदूर बेरोजगार हो गई हैं.

बारिश में कच्ची ईंटें खराब

ईंटों के उत्पादन में पहले चरण में मिट्टी का घोल बनाकर कोयले की चुरी से कच्ची ईंटे बनाई जाती हैं, जिनको सूखने के बाद भट्टी में पकाया जाता है. तब पकी हुई ईंटें बनकर तैयार होती हैं. यह एक लंबी प्रक्रिया है. लेकिन बरसात ने इस उत्पादन प्रोसेस को पूरी तरह से तहस-नहस कर दिया. ईंट भट्टों वालों को अब नए सिरे से उत्पादन की प्रक्रिया शुरू करनी पडे़गी. उत्पादन टाप की सफाई करके कच्ची ईंटे बनाने में काफी समय लगता है.

लाॅकडाउन के बाद शुरू हुआ था उत्पादन

कोरोना में प्रवासी मजदूरों के लौट जाने के बाद ईंट भट्टों का काम पूरी तरह से बंद हो गया था. लेकिन लॉकडाउन में वापस ईंट उद्योग पटरी पर लौटने लगा ही था. लाखेरी के आस-पास काफी संख्या में ईंट उत्पादन के भट्टे हैं. अक्टूबर से यहां काम फिर से शुरू हुआ था. दो महीने के काम के बाद अमूमन अधिकांश टाप पर बड़ी मात्रा में कच्ची ईंटों का निर्माण हो चुका था और इन दिनों पकाने के लिए भट्टी लगाने की तैयारियां चल रही थी. कई टाप पर तो कच्ची ईटों को भट्टी में जमा भी लिया था, लेकिन आग नहीं रखी थी. इसी बीच बरसात ने पूरी उत्पादन प्रक्रिया को प्रभावित कर दिया.

हाड़ौती सहित जयपुर, टोंक, सवाई माधोपुर तक लाखेरी की ईटों की काफी मांग रहती है. इसलिए ईंटों के उत्पादन में लाखेरी एक बड़ा हब माना जाता है. बारिश से 500 से अधिक टाप बर्बाद हो गए हैं. टाप उस जगह को कहा जाता है जहां एक भट्टी लगाकर ईंटे बनाई जाती हैं. एक साइट पर कई टापें होती हैं. अमूमन एक टाप पर कम से कम 90 हजार से एक लाख ईंटे तैयार होती हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.