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स्पेशल: प्रवासी पक्षियों के कलरव से गुलजार हुए जलाशय, खींचे चले आ रहे पर्यटक

बूंदी में अच्छी बारिश होने के चलते जलाशयों में सर्दी की शुरुआत से ही देशी-विदेशी परिंदों की चहक होने लगी है, जिसके चलते बूंदी के सभी जलाशयों इन परिंदों से गुलजार हो रहे हैं. बूंदी की जिलों में सुबह-शाम यह परिंदे चहचहाहट कर रहे हैं. जिससे पर्यटकों को यह मेहमान काफी आकर्षित कर रहे हैं और बूंदी की उन्हें आबोहवा भी पसंद आ रही है.

migrant birds in bundi, Foreign birds in Bundi
मेहमान परिंदों की चहचहाहट कर रही आकर्षित...
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Published : Dec 3, 2019, 3:34 PM IST

बूंदी. जिले में इस साल हुई अच्छी बरसात के कारण जलाशय लबालब होने से सर्दी की शुरुआत के साथ ही मेहमान परिंदों का कलरव सुनाई देने लगा है. बूंदी की सदाबहार प्राकृतिक आबोहवा से आकर्षित होकर सात समुंदर पार से आने वाले विदेशी परिंदों की चहचहाहट से वेटलैंड गूंजने लगे हैं.

मेहमान परिंदों की चहचहाहट कर रही आकर्षित...

बूंदी के चित्तौड़ मार्ग पर स्थित रामनगर के छोटे तलाब वेडलैंड, गुड़ा बांध, अभयपुरा बांध सहित कई तालाबों में हजारों प्रवासी और अंतर प्रवासी पक्षियों ने डेरा जमा लिया है. इस तालाब के बीच बने टापू पर दिनभर प्रवासी, अंतर प्रवासी, स्थानीय पक्षियों की करीब 50 प्रजातियां की उपस्थिति देखी जा रही हैं. प्रतिदिन नए पक्षियों का आना जारी है.

सारस पक्षी भी आकर्षण का केंद्र...

जानकारी के अनुसार जिले के प्रमुख वेटलैंड बरधा बांध सहित सभी बांधों का तालाबों पर पक्षी बड़ी संख्या में पहुंचे हैं. इसमें चीन, मंगोलिया जैसे ठंडे प्रदेशों में बर्फबारी शुरू होने के साथ आने वाले बार हेडेड गूज व ग्रे लैंग यूज भी शामिल हैं. यूरोप महाद्वीप से आने वाले यूरोपियन पिनटेल, नॉर्थन शोवलर भी बूंदी के अधिकांश जल स्त्रोतों पर दस्तक दे चुके हैं. इसी प्रकार गुजरात में कच्छ के रण में आने वाले अंतर प्रवासी ग्रेटर फ्लेमिंगो और जिले के बरधा बांध तक सिमटे सारस पक्षी भी आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं.

पढ़ें- राजस्थान ही नहीं देश भर में अपनी मिठास घोल रहा है बूंदी का अमरूद

ग्रेट बिटर्न या यूरेशियन बिटर्न पक्षी से पक्षी प्रेमी काफी अचंभित...

पूर्व वन्यजीव प्रतिपालक विट्टल सनाढ्य ने बताया कि मध्य पूर्वी यूरोप का उत्तरी अफ्रीका महाद्वीप में पाए जाने वाले ग्रेट बिटर्न या यूरेशियन बिटर्न पक्षी की पहली बार 28 साल में उपस्थिति से पक्षी प्रेमी काफी अचंभित नजर आ रहे हैं. यूरोप की रेड लिस्ट में शामिल इस पक्षी को राजस्थान में बहुत कम प्रवास में देखा जाता है. जिले के रामनगर तालाब में उपयुक्त परिस्थितिकी तंत्र व छोटे तालाब में मोटे तने वाली बड़ी घास इस पक्षी का उच्चतम आश्रय स्थल बनी हुई है. जिले में विगत 2 सालों से बरसात नहीं होने से करंजा पक्षी का भी आना रुक गया था. लेकिन कुरंजा या डेमो शैइल क्रेन पक्षी भी अब रामनगर तालाब में पहुंचने लगे हैं.

पढ़ें- स्पेशल रिपोर्ट : प्रदेश में सबसे ज्यादा मटर की फसल बूंदी में, इस बार अच्छे जमाने की आस

फरवरी माह तक चलेगा पक्षियों का दौर...

अपने बड़े आकार के लिए पहचाने जाने वाले पेलिकन की जिले के किसी भी वेटलैंड में उपस्थिति नहीं दिखाई गई है. इसके अलावा प्रवासी पक्षों में पैलिकन, नॉर्थन शोवलर, नॉर्थन पिनटेल, कॉमन टील, कॉमन पोचार्ड, सुरखाब, ग्रे लेग गूज, बार हेडेड गूज, रेड शंख, ग्रीन शंख, सैंडपाइपर, रफ दिखाई दिए हैं. गुगरल बतखों के अलावा सारस जंगिल, ग्रेटर फ्लेमिंगो खंजन पक्षी दिखे है. जैसे-जैसे सर्दी बढ़ती जाएगी वैसे-वैसे प्रवासी पक्षियों की संख्या में इजाफा होता जाएगा यह पक्षियों का दौर करीब फरवरी माह तक चलेगा. उसके बाद एक-एक कर पक्षियों की संख्या कम होती चली जाएगी और प्रवासी पक्षी बूंदी से अपने क्षेत्रों में चले जाएंगे.

पढ़ें- बूंदी: अध्यापक ने की ताइवान प्रजाती के अमरूद की खेती, हो रही अच्छी कमाई

पक्षियों के प्राकृतिक स्थल को मछली ठेकेदारों ने छीना...

जिले में सभी बांधों और तालाबों में मछली का ठेका होने से पक्षियों के प्राकृतिक स्थल छीन गए हैं. मछली ठेकेदार के कर्मी अपनी मछलियों को पक्षी से बचाने के लिए दिनभर बांध व तालाबों पर आतिशबाजी के धमाके कर पक्षियों की दैनिक दिनचर्या में विघ्न पैदा कर रहे हैं. लेकिन पेलिकन पक्षी को तो मछली ठेकेदार देखते ही मारने दौड़ते हैं. यह पक्षी जलीय पक्षी सबसे बड़े आकार का होता है तथा एक दिन में करीब 5 से 6 किलो मछली खा जाता है. जिससे मछली ठेकेदार के लिए एक बड़ी चुनौती के रूप में होता है. विडंबना यह कि जिन जगहों पर परिंदों का अधिकार होना चाहिए. वहां पर चंद पैसों के लालच में मछली ठेके की आड़ में पक्षों के प्राकृतिक स्थलों पर कब्जा किए गए हैं. इसी प्रकार तालाबों और बांधों में अवैध पेटा काश्त पर भी रोक नहीं पाना चिंता का विषय है.

बूंदी. जिले में इस साल हुई अच्छी बरसात के कारण जलाशय लबालब होने से सर्दी की शुरुआत के साथ ही मेहमान परिंदों का कलरव सुनाई देने लगा है. बूंदी की सदाबहार प्राकृतिक आबोहवा से आकर्षित होकर सात समुंदर पार से आने वाले विदेशी परिंदों की चहचहाहट से वेटलैंड गूंजने लगे हैं.

मेहमान परिंदों की चहचहाहट कर रही आकर्षित...

बूंदी के चित्तौड़ मार्ग पर स्थित रामनगर के छोटे तलाब वेडलैंड, गुड़ा बांध, अभयपुरा बांध सहित कई तालाबों में हजारों प्रवासी और अंतर प्रवासी पक्षियों ने डेरा जमा लिया है. इस तालाब के बीच बने टापू पर दिनभर प्रवासी, अंतर प्रवासी, स्थानीय पक्षियों की करीब 50 प्रजातियां की उपस्थिति देखी जा रही हैं. प्रतिदिन नए पक्षियों का आना जारी है.

सारस पक्षी भी आकर्षण का केंद्र...

जानकारी के अनुसार जिले के प्रमुख वेटलैंड बरधा बांध सहित सभी बांधों का तालाबों पर पक्षी बड़ी संख्या में पहुंचे हैं. इसमें चीन, मंगोलिया जैसे ठंडे प्रदेशों में बर्फबारी शुरू होने के साथ आने वाले बार हेडेड गूज व ग्रे लैंग यूज भी शामिल हैं. यूरोप महाद्वीप से आने वाले यूरोपियन पिनटेल, नॉर्थन शोवलर भी बूंदी के अधिकांश जल स्त्रोतों पर दस्तक दे चुके हैं. इसी प्रकार गुजरात में कच्छ के रण में आने वाले अंतर प्रवासी ग्रेटर फ्लेमिंगो और जिले के बरधा बांध तक सिमटे सारस पक्षी भी आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं.

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ग्रेट बिटर्न या यूरेशियन बिटर्न पक्षी से पक्षी प्रेमी काफी अचंभित...

पूर्व वन्यजीव प्रतिपालक विट्टल सनाढ्य ने बताया कि मध्य पूर्वी यूरोप का उत्तरी अफ्रीका महाद्वीप में पाए जाने वाले ग्रेट बिटर्न या यूरेशियन बिटर्न पक्षी की पहली बार 28 साल में उपस्थिति से पक्षी प्रेमी काफी अचंभित नजर आ रहे हैं. यूरोप की रेड लिस्ट में शामिल इस पक्षी को राजस्थान में बहुत कम प्रवास में देखा जाता है. जिले के रामनगर तालाब में उपयुक्त परिस्थितिकी तंत्र व छोटे तालाब में मोटे तने वाली बड़ी घास इस पक्षी का उच्चतम आश्रय स्थल बनी हुई है. जिले में विगत 2 सालों से बरसात नहीं होने से करंजा पक्षी का भी आना रुक गया था. लेकिन कुरंजा या डेमो शैइल क्रेन पक्षी भी अब रामनगर तालाब में पहुंचने लगे हैं.

पढ़ें- स्पेशल रिपोर्ट : प्रदेश में सबसे ज्यादा मटर की फसल बूंदी में, इस बार अच्छे जमाने की आस

फरवरी माह तक चलेगा पक्षियों का दौर...

अपने बड़े आकार के लिए पहचाने जाने वाले पेलिकन की जिले के किसी भी वेटलैंड में उपस्थिति नहीं दिखाई गई है. इसके अलावा प्रवासी पक्षों में पैलिकन, नॉर्थन शोवलर, नॉर्थन पिनटेल, कॉमन टील, कॉमन पोचार्ड, सुरखाब, ग्रे लेग गूज, बार हेडेड गूज, रेड शंख, ग्रीन शंख, सैंडपाइपर, रफ दिखाई दिए हैं. गुगरल बतखों के अलावा सारस जंगिल, ग्रेटर फ्लेमिंगो खंजन पक्षी दिखे है. जैसे-जैसे सर्दी बढ़ती जाएगी वैसे-वैसे प्रवासी पक्षियों की संख्या में इजाफा होता जाएगा यह पक्षियों का दौर करीब फरवरी माह तक चलेगा. उसके बाद एक-एक कर पक्षियों की संख्या कम होती चली जाएगी और प्रवासी पक्षी बूंदी से अपने क्षेत्रों में चले जाएंगे.

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पक्षियों के प्राकृतिक स्थल को मछली ठेकेदारों ने छीना...

जिले में सभी बांधों और तालाबों में मछली का ठेका होने से पक्षियों के प्राकृतिक स्थल छीन गए हैं. मछली ठेकेदार के कर्मी अपनी मछलियों को पक्षी से बचाने के लिए दिनभर बांध व तालाबों पर आतिशबाजी के धमाके कर पक्षियों की दैनिक दिनचर्या में विघ्न पैदा कर रहे हैं. लेकिन पेलिकन पक्षी को तो मछली ठेकेदार देखते ही मारने दौड़ते हैं. यह पक्षी जलीय पक्षी सबसे बड़े आकार का होता है तथा एक दिन में करीब 5 से 6 किलो मछली खा जाता है. जिससे मछली ठेकेदार के लिए एक बड़ी चुनौती के रूप में होता है. विडंबना यह कि जिन जगहों पर परिंदों का अधिकार होना चाहिए. वहां पर चंद पैसों के लालच में मछली ठेके की आड़ में पक्षों के प्राकृतिक स्थलों पर कब्जा किए गए हैं. इसी प्रकार तालाबों और बांधों में अवैध पेटा काश्त पर भी रोक नहीं पाना चिंता का विषय है.

Intro:बूंदी में अच्छी बारिश होने के चलते जलाशयों में सर्दी की शुरुआत से ही देसी विदेशी परिंदों की चाहट होने लगी है जिसके चलते बूंदी के सभी जलाशयों इन परिंदों से गुलजार हो रहे हैं। बूंदी की जिलों में सुबह-शाम यह परिंदे चहचहाहट कर रहे हैं जिससे पर्यटकों को यह मेहमान काफी आकर्षित कर रहे हैं और बूंदी कि उन्हें आबोहवा भी पसंद आ रही है ।


Body:बूंदी जिले में इस साल हुई अच्छी बरसात के कारण जलाशय लबालब होने से सर्दी की शुरुआत के साथ ही मेहमान परिंदों का कलरव सुनाई देने लगा है । बूंदी की सदाबहार प्राकृतिक आबोहवा से आकर्षित होकर सात समुंदर पार से आने वाले विदेशी परिंदों की चहचहाहट से वेटलैंड गूंजने लगे हैं । बूंदी के चित्तौड़ मार्ग पर स्थित रामनगर के छोटे तलाब वेडलैंड, गुड़ा बांध अभयपूरा बांध सहित कई तालाबों में हजारों प्रवासी पक्षियों ने डेरा जमा लिया है । इस तालाब के बीच बने टापू पर दिनभर प्रवासी अंतर प्रवासी व स्थानीय पक्षों की करीब 50 प्रजातियां की उपस्थिति देखी जा रही है । प्रतिदिन नए पक्षियों का आना जारी है। जानकारी के अनुसार जिले के प्रमुख वेटलैंड बरधा बांध सहित सभी बांधों का तालाबों पर प्रवासी व अंतर प्रवासी पक्षी बड़ी संख्या में पहुंचे हैं। इसमें चीन मंगोलिया जैसे ठंडे प्रदेशों में बर्फबारी शुरू होने के साथ आने वाले बार हेडेड गूज व ग्रे लैंग यूज भी शामिल है । यूरोप महाद्वीप से आने वाले यूरोपियन पिनटेल, नॉर्थन शोवलर भी बूंदी के अधिकांश जल स्त्रोतों पर दस्तक दे चुके हैं । इसी प्रकार गुजरात में कच्छ के रण में आने वाले अंतर प्रवासी ग्रेटर फ्लैमिंगो व जिले के बरधा बांध तक सिमटे सारस पक्षी भी आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं ।

पूर्व वन्यजीव प्रतिपालक विट्टल सनाढ्य ने बताया कि मध्य पूर्वी यूरोप का उत्तरी अफ्रीका महाद्वीप में पाए जाने वाले ग्रेट बिटर्न या यूरेशियन बिटर्न पक्षी की पहली बार 28 साल में उपस्थिति से पक्षी प्रेमी काफी अचंभित नजर आ रहे हैं। यूरोप की रेड लिस्ट में शामिल इस पक्षी को राजस्थान में बहुत कम प्रवास में देखा जाता है । जिले के रामनगर तालाब में उपयुक्त परिस्थितिकी तंत्र व छोटे तालाब में मोटे तने वाली बड़ी घास इस पक्षी का उच्चतम आश्रय स्थल बनी हुई है। जिले में विगत 2 वर्षों से बरसात नहीं होने से करंजा पक्षी का भी आना रुक गया था लेकिन कुरंजा या डेमो शैइल क्रेन पक्षी भी अब रामनगर तालाब में पहुंचने लगे हैं। अपने बड़े आकार के लिए पहचाने जाने वाले पैलकिन की जिले के किसी भी वेटलैंड में उपस्थिति नहीं दिखाई गई है । इसके अलावा प्रवासी पक्षों में पैलिकन, नॉर्थन शोवलर ,नॉर्थन पिनटेल , कॉमन टील, कॉमन पोचार्ड, सुरखाब, ग्रे लेग गूज ,बार हेडेड गूज, रेड शंख , ग्रीन शंख , सैंडपाइपर , रफ दिखाई दिए हैं । गुगरल बतखों के अलावा सारस जंगिल , ग्रेटर फ्लैमिंगो खंजन पक्षी दिखे है । जैसे-जैसे सर्दी बढ़ती जाएगी वैसे-वैसे प्रवासी पक्षियों की संख्या में इजाफा होता जाएगा यह पक्षियों का दौर करीब फरवरी माह तक चलेगा। उसके बाद एक-एक कर पक्षियों की संख्या कम होती चली जाएगी और प्रवासी पक्षी बूंदी से अपने क्षेत्रों में चले जाएंगे ।






Conclusion:जिले में सभी बांधों व तालाबों में मच्छी का ठेका होने से पक्षियों के प्राकृतिक स्थल छीन गए हैं। मछली ठेकेदार के कर्मी अपनी मछलियों को पक्षी से बचाने के लिए दिनभर बांध व तालाबों पर आतिशबाजी के धमाके कर पक्षियों की दैनिक दिनचर्या में विघ्न पैदा कर रहे हैं । लेकिन पैलकिन पक्षी को तो मछली ठेकेदार देखते ही माने दौड़ते हैं । यह पक्षी जलीय पक्षी सबसे बड़े आकार का होता है तथा एक दिन में करीब 5 से 6 किलो मछली खा जाता है जिससे मछली ठेकेदार के लिए एक बड़ी चुनौती के रूप में होता है । विडंबना यह कि जिन जगहों पर परिंदों का अधिकार होना चाहिए वहां पर चंद पैसों के लालच में मछली ठेके की आड़ में पक्षों के प्राकृतिक स्थलों पर कब्जा किए गए हैं । इसी प्रकार तालाबो और बांधों में अवैध पेटा कस्त पर भी रोक नहीं पाना चिंता का विषय है ।

बाईट - विट्टल सनाढ्य, पक्षी प्रेमी
बाईट - सुरेश मिश्रा , डीएफओ ,बूंदी
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