नैनवा (बूंदी). जिले के नैनवा उपखंड में एक बुजुर्ग सरकारी अस्पताल में फीस नहीं दे पाने के कारण दो घंटे तक इलाज के लिए तड़पता रहा. जानकारी के अनुसार रात करीब 8 बजे लिलदा निवासी बुजुर्ग घांसीलाल देई के पास मोटरसाइकिल फिसलने से घायल हो गया था. जिसे साथी ने देई सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर पहुंचाया. जहां ड्यूटी पर मौजूद स्टाफ नर्सिंग कर्मचारी ने डॉक्टर को दिखाने और पर्ची बनवाने के बाद ही इलाज करने को कहा.
तो साथ आए परिजन ने रात्रि ड्यूटी डॉक्टर के आवास पर जाकर घायल को दिखने के लिए कहा. लेकिन ड्यूटी डॉक्टर ने पहले परिजन से 100रु फीस देने पर ही इलाज की पर्ची बनाने की बात कही. परिजनों ने पैसे नहीं होने की बात बताई तो ड्यूटी डॉक्टर ने परिजनों को दबंगई दिखाते हुए बाहर निकाल दिया और इलाज के लिए मना कर दिया. जिससे करीब दो घण्टे तक घायल बुजुर्ग अस्पताल में दर्द से कहारते रहा लेकिन बगैर फीस सरकारी अस्पताल में डॉक्टर इलाज करने को तैयार नहीं हुए.
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जिस पर अस्पताल में मौजूद समाजसेवी विनोद शर्मा ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी को फोन से इसकी सुचना देने के लिए कई बार फोन किए लेकिन मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने भी फोन नहीं उठाया. समाजसेवी विनोद शर्मा ने बताया की रात घायल के दोनों पैरो में गंभीर चोटें लगी थी और खुन बह रहा था. तो मुझे साथ आए परिजनों ने इलाज के लिए पैसे लाने को फोन किया.
जिस पर मैनें तुरन्त डॉक्टर द्वारा बगैर फीस इलाज नहीं करने और दबंगई की शिकायत करने के लिए राज्यमंत्री अशोक चांदना के पिए को फोन किया. लेकिन उन्होंने ने भी फोन रिसीव नहीं किया. करीब दो घंटे तक घायल महरम पट्टी के लिए बैठा रहा. लेकिन पट्टी तक नहीं बांधी गई. तब परिजनों ने ही अपने हाथों से पट्टी बांधी.
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नैनवा उपखंड के देई अस्पताल में मौजूद डॉक्टरों पर इससे पहले भी मरीजों से फीस मांग कर इलाज करने का मामले सामने आए है. जिसमें उपखंड के गुढ़ासदावर्तिया की पूर्व सरपंच देई अस्पताल में इलाज के लिए आई थी. तो उनकी भी देई अस्पताल के डॉक्टर सतिश सक्सेना से फीस को लेकर तीखी नोक झोंक हुई थी. लेकिन फिर भी चिकित्सा विभाग के अधिकारीयों ने डाक्टर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की थी.