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हमारी भी सुन लो सरकार! 70 साल से झोपड़ी में रह रहा ये परिवार, सड़क किनारे लगी लाइट की रोशनी में पढ़ते हैं बच्चे

बूंदी में एक परिवार ऐसा है जिसे 70 साल से ना बिजली मिली ना ही पानी. हर रात यह परिवार अंधेरे में अपनी जिंदगी काटने को मजबूर है. इस परिवार के बच्चे स्ट्रीट लाइट की रोशनी में पढ़ते हैं, जिससे वो बड़े होकर अधिकारी बन सकें. बिजली और पानी के कनेक्शन के लिए दयाराम बंजारा के परिवार ने अधिकारियों के खूब चक्कर काटे. लेकिन आज तक इस परिवार को कोई सुविधा नहीं मिली.

दयाराम बंजारा का परिवार, Dayaram Banjara family
स्ट्रीट लाइट में पढ़ने को मजबूर बच्चे
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Published : Jan 17, 2020, 2:44 PM IST

Updated : Jan 17, 2020, 3:13 PM IST

बूंदी. गरीबों के लिए चलाई जाने वाली योजनाओं का लाभ लोगों को कितना मिल पाता है. इसका पता आपको बूंदी शहर के बिबनवा रोड इलाके के दयाराम बंजारा के परिवार को देख कर लग जाएगा. बिना लाइट और पानी के कनेक्शन वाली इस झोपड़ पट्टी में दयाराम अपनी पत्नी 4 बच्चों और भाई के साथ जिंदगी काट रहा है. इस परिवार के पास ना बिजली है ना ही पीने का पानी अगर कुछ है तो वो है सिर्फ एक चारपाई. जिसका इस्तेमाल सिर्फ बच्चों के पढ़ने के लिए होता है.

अंधेरे में जिंदगी काट रहा बूंदी का ये परिवार

परिवार का मुखिया दयाराम महीने भर में सिर्फ 3 हजार रुपय ही कमा पाता है. ऐसे में दयाराम की पत्नी भी लोगों के घरों में झाड़ू पोछा लगा कर परिवार का खर्च संभाल रही है. दयाराम और उसके परिवार ने बिजली और पानी का कनेक्शन पाने के लिए सरकार, प्रशासन और अधिकारियों के खूब चक्कर लगाए. लेकिन आज तक इस परिवार को कनेक्शन नहीं मिला. ऐसे में सरकार की ओर से किए जाने वाले बड़े-बड़े दावे और विकास की बातें यहां खोखली साबित हो जाती हैं.

पढ़ें- SPECIAL : मकर संक्रांति पर राजस्थान में यहां होती है मगरमच्छ की आराधना, बंगाली समाज निभा रहा अनूठी परंपरा

हैरान तो आप तब हो जाएंगे जब इस परिवार के आस-पास के मकानों में उजाला और दयाराम के घर में सिर्फ अंधेरा नजर आता है. 70 साल से अंधेरे में अपनी जिंदगी गुजार रहा यह परिवार मुफ्त में बिजली नहीं मांग रहा. बल्कि उसका भुगतान करने के लिए भी तैयार है. दयाराम के परिवार को यहां रहते हुए कई साल हो चुके हैं, लेकिन आज तक प्रधानमंत्री आवास योजना में भी उनका नाम नहीं जुड़ पाया.

अंधकार की मार झेल रहे दयाराम के बच्चे पढ़ने के लिए घर के बाहर लगी स्ट्रीट लाइट का सहारा ले लेते हैं. दयाराम की बेटी बताती है कि उसे पढ़ लिखकर पुलिस अधिकारी बनना है. लेकिन सवाल ये है कि आखिर सरकारी सिस्टम की मार झेल रहे इस परिवार के बच्चों के सपने कैसे पूरे होंगे.

इस बारे में जब ईटीवी भारत ने बूंदी उपखंड अधिकारी कमल कुमार मीणा से बात की तो उन्होंने कहा कि आपकी ओर से ये मामला संज्ञान में आया है. इस परिवार की हर संभव मदद की जाएगी. उन्होंने कहा कि परिवार को पानी, बिजली ,आवास भी मुहैया करवाया जाएगा. वहीं, अब देखना होगा कि आखिर दयाराम के परिवार को प्राथमिक सुविधाएं मिल पाती हैं या फिर इस परिवार का जीवन ऐसे ही अंधेरे में बीतता रहेगा.

बूंदी. गरीबों के लिए चलाई जाने वाली योजनाओं का लाभ लोगों को कितना मिल पाता है. इसका पता आपको बूंदी शहर के बिबनवा रोड इलाके के दयाराम बंजारा के परिवार को देख कर लग जाएगा. बिना लाइट और पानी के कनेक्शन वाली इस झोपड़ पट्टी में दयाराम अपनी पत्नी 4 बच्चों और भाई के साथ जिंदगी काट रहा है. इस परिवार के पास ना बिजली है ना ही पीने का पानी अगर कुछ है तो वो है सिर्फ एक चारपाई. जिसका इस्तेमाल सिर्फ बच्चों के पढ़ने के लिए होता है.

अंधेरे में जिंदगी काट रहा बूंदी का ये परिवार

परिवार का मुखिया दयाराम महीने भर में सिर्फ 3 हजार रुपय ही कमा पाता है. ऐसे में दयाराम की पत्नी भी लोगों के घरों में झाड़ू पोछा लगा कर परिवार का खर्च संभाल रही है. दयाराम और उसके परिवार ने बिजली और पानी का कनेक्शन पाने के लिए सरकार, प्रशासन और अधिकारियों के खूब चक्कर लगाए. लेकिन आज तक इस परिवार को कनेक्शन नहीं मिला. ऐसे में सरकार की ओर से किए जाने वाले बड़े-बड़े दावे और विकास की बातें यहां खोखली साबित हो जाती हैं.

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हैरान तो आप तब हो जाएंगे जब इस परिवार के आस-पास के मकानों में उजाला और दयाराम के घर में सिर्फ अंधेरा नजर आता है. 70 साल से अंधेरे में अपनी जिंदगी गुजार रहा यह परिवार मुफ्त में बिजली नहीं मांग रहा. बल्कि उसका भुगतान करने के लिए भी तैयार है. दयाराम के परिवार को यहां रहते हुए कई साल हो चुके हैं, लेकिन आज तक प्रधानमंत्री आवास योजना में भी उनका नाम नहीं जुड़ पाया.

अंधकार की मार झेल रहे दयाराम के बच्चे पढ़ने के लिए घर के बाहर लगी स्ट्रीट लाइट का सहारा ले लेते हैं. दयाराम की बेटी बताती है कि उसे पढ़ लिखकर पुलिस अधिकारी बनना है. लेकिन सवाल ये है कि आखिर सरकारी सिस्टम की मार झेल रहे इस परिवार के बच्चों के सपने कैसे पूरे होंगे.

इस बारे में जब ईटीवी भारत ने बूंदी उपखंड अधिकारी कमल कुमार मीणा से बात की तो उन्होंने कहा कि आपकी ओर से ये मामला संज्ञान में आया है. इस परिवार की हर संभव मदद की जाएगी. उन्होंने कहा कि परिवार को पानी, बिजली ,आवास भी मुहैया करवाया जाएगा. वहीं, अब देखना होगा कि आखिर दयाराम के परिवार को प्राथमिक सुविधाएं मिल पाती हैं या फिर इस परिवार का जीवन ऐसे ही अंधेरे में बीतता रहेगा.

Intro:बूंदी में एक परिवार ऐसा है जिसे 70 साल से ना बिजली मिलो ना ही पानी और रात के अंधेरे में वह परिवार पिछले 70 साल से रह रहा है। यहां पर इस परिवार के बच्चे एक सड़क लाइट की रोशनी में पढ़ाई करते हैं और उसके आसपास वाले घरों में लाइट है जबकि इसी घर के ऊपर से विद्युत लाइन भी निकल रही है लेकिन सरकारी अधिकारियों के लाख चक्कर काटने के बाद भी इस परिवार को बिजली नहीं मिल सकी जबकि यह परिवार विद्युत बिल भी जमा कराने को तैयार है। आखिरकार इस परिवार की आखिर कोई सुन क्यों नहीं रहा शहर के बीचोबीच यह परिवार आखिर लोगों को क्यों नजर नहीं आता । सिस्टम की लापरवाही इस कदर रही कि यह परिवार आज भी समाज की मुख्यधारा में नहीं आ पाया है ।


Body:बूंदी । केंद्र सरकार हो या राजस्थान सरकार गरीबों के लिए कितनी योजना चलाती है और इन योजनाओं की हकीकत जमीनी स्तर पर उतर पाती है या नहीं इसकी हकीकत का आईना दिखाने के लिए बूंदी शहर के बिबनबा रोड इलाके के दयाराम बंजारा के परिवार का उदाहरण ही काफी है। किसी भी योजना का इस परिवार को आज दिन तक लाभ मिला नहीं है । बूंदी के दयाराम के माता-पिता इसी झोपड़पट्टी सहित अंधेरे में अपने प्राण त्याग चुके हैं । अब दयाराम व उसकी पत्नी और 4 बच्चे एवं उसका भाई इस झोपड़पट्टी में बिना लाइट के कनेक्शन में जिंदगी काट कर रहे हैं । ना बिजली है ना पीने का पानी है ना ही सुविधा युक्त झोपड़ी है इस परिवार के पास है तो मैं एक चार पाई ।

परिवार की आर्थिक स्थिति गरीबी सीमा से काफी नीचे है खुद परिवार का मुखिया दयाराम ₹3000 महीने में काम करता है वहीं दूसरी और उसकी पत्नी झाड़ू पोछा लगा कर परिवार का खर्च दोनों पति-पत्नी चलाते हैं। चार बच्चों का पढ़ाई लिखाई से लेकर खाने-पीने का खर्चा वहन करते हैं इसमें बच्चों को भी पढ़ाई करवाते है ओर उन्हें आगे बढ़ाना भी है । दयाराम के हाथ में पूरे घर की जिम्मेदारी है। दयाराम ने और उसके परिवार ने सरकार , प्रशासनिक अधिकारियों के चक्कर लगा लगा कर कनेक्शन मांगा और आखिरकार परिवार ही थक गया और उसे कनेक्शन आज दिन तक नहीं मिला है ना ही सरकार की उन्हें कोई योजना का लाभ मिला है। बिजली कनेक्शन तो दूर यहां तक कि उन्हें पीने का पानी के लिए कनेक्शन तक नहीं मिला है जो कि इस परिवार को देखकर यह लगता है कि सरकार की योजना यहां बोनी साबित होती हुई नजर आ रही है ।

तस्वीर तो रात्रि के समय आती है जब इस घर में अंधेरा रहता है और आसपास के घरों में उजाला और झोपड़ी के सामने एक सरकारी विद्युत लाइट जलती है जिससे यहां रहने वाले बच्चे उसकी अंधेरी रोशनी में पढ़ाई करते हैं । इस तस्वीर को देख सिस्टम कितना लाचार है यह दिखाई देगा जबकि इस झोपड़ी के ऊपर से ही विद्युत लाइन निकल रही है लेकिन उन्हें विद्युत कनेक्शन तक नहीं मिल सका । 70 साल से यह परिवार अंधेरी में ही रहकर अपनी जिंदगी बिता रहा है जबकि ऐसा नहीं यह परिवार मुफ्त में बिजली लेने को तैयार है । परिवार का कहना है कि अगर हमें विद्युत कनेक्शन मिलेगा और पानी का कनेक्शन मिलेगा तो हम उसका बिल भरने को तैयार है। लेकिन जरूरत इस बात की है कि सरकारी सिस्टम इस और आगे तो आए क्योंकि परिवार का हर सदस्य सरकारी सिस्टम की लाचारी से अपने पैर को थका चुका है और अब हाथ पर हाथ धरे बैठ कर सरकार को कोस रहा है कि उन्हें कोई तो कनेक्शन दे दे ।

हम आपको बता दें यह परिवार किसी गांव का नहीं है ना ही गांव का रहने वाला है यह परिवार बूंदी शहर के बिबनवा रोड पॉश इलाके का रहने वाला है । दयाराम के एक पीढ़ी यहां पर इसी स्थान पर गुजर चुकी है । दयाराम का परिवार यहां पर कई सालों से रह रहा है । दयाराम जो कि परिवार का वर्तमान में मुख्य है अपना बचपन भी इसी झोपड़ी पट्टी में गुजार चुका है और उसके बच्चे भी इसी झोपड़ पट्टी में बचपन गुजार जा रहे हैं । इस झोपड़पट्टी में रहते हुए उन्हें बरस बीत गए लेकिन ना कोई रहने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना में उनका नाम मकान में जुड़ पाया ना ही बिजली कनेक्शन हो पाया । ऐसे में सरकार की आवास योजना , स्वच्छ भारत मिशन या उज्जवला योजना किस तरह इस परिवार से दूर है उस कहानी से आप खुद पता लगा लीजिये ।

परिवार के सोने के लिए जमीन पर ही परिवार के 6 सदस्यों का बीस्तर लगता है और भगवान का नाम लेकर सोने वाला यह परिवार सुबह उठता है तो एक बार फिर से भगवान का नाम लेता है एक चार पाई है जिस पर बच्चे पढ़ते हैं और वह भी सोने लायक नहीं है । किताब हाथ में लिए रोशनी की और चेहरा कर किताब को पढ़ते हुए बालक बालिकाएं नजर आते हैं यह हम नहीं यह तस्वीरें बयां करती है। उसी रोशनी में उसी रोड लाइट की होने वाली रोशनी में इस परिवार की महिला मुखिया गीताबाई जो पूरा काम किया करती है । एक तरफ यहां की बालक बालिकाएं हाथों में किताब लेते हुए पड़ती हुई नजर आएगी । उनका सपना है कि इस पढ़ाई के बाद हम डॉक्टर व पुलिस बनेंगे लेकिन सवाल यह खड़ा होता है कि परिवार के कितने सपने हैं कि वह अपने बेटा बेटियों को अधिकारी बनाना चाहते हैं। लेकिन उनके सपने इस सिस्टम की लापरवाही से कैसे पूरे होंगे यह सबसे बड़ा सवाल बना हुआ है ।




Conclusion:इस मामले में जब बूंदी उपखण्ड अधिकारी कमल कुमार मीणा से बात की गई तो उनका कहना था कि आपके द्वारा मामला जानकारी में आया है । इस परिवार की जो भी मदद होगी सरकारी योजना या प्रशासनिक मदद होगी उनको पूरा करने की कोशिश करेंगे । गरीबों के उत्थान के लिए सरकार ने विभिन्न योजना चलाई है चाहे वह झुग्गी झोपड़ी योजना हो चाहे किसी प्रकार की योजना हो वह सब योजना जांच करवाने के बाद इन्हें परिवार को दिलवाई जाएगी । परिवार को पानी, बिजली ,आवास इस परिवार तक मुहैया करवाया जाएगा ।

परिवार ने ईटीवी भारत के माध्यम से गुहार लगाई है कि सरकार इस परिवार पर ध्यान दें और इन्हें विद्युत कनेक्शन एवं पानी का कनेक्शन दिलवाए ताकि परिवार मुख्यधारा में आ सके ।यही नहीं रात्रि मैं अंधेरे की रोशनी में पढ़ने वाली दोनों बालिकाएं है पूजा व किरण ने ईटीवी से सरकार तक आवाज पहुंचाने के लिए कहा है कि सरकार हमारी मदद करें और हमें विद्युत कनेक्शन दें ताकि हम उजाले में अपनी पढ़ाई कर सकें और अपने सपने को साकार कर सकें ।

ईटीवी भारत की पड़ताल में यह सामने आया कि इस इलाके में सभी घरों में बिजली है लेकिन गरीब परिवार की किसी से जान पहचान नहीं है नाही कनेक्शन कैसे लगेगा इसकी जानकारी है । विद्युत नहीं होने के चलते इस परिवार में व सभी सारे सरकार के दावे फेल हो जाते हैं जो सरकार बड़े-बड़े दावे करती है । लेकिन इस परिवार की क्या हालत है ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्ट में हमने बताया कि सरकार की लाचारी और सिस्टम की लापरवाही इस कदर रही कि इस परिवार को आज दिन तक बिजली ,पानी का कनेक्शन मुहैया नहीं हो पाया । ना ही सरकार की कोई योजना इन्हें मिल पाई है जिससे इनकी झुग्गी झोपड़ी एक पक्के मकान में तब्दील हो सके । अब उम्मीद की जा सकती है कि ईटीवी भारत राजस्थान में इस सिस्टम की लापरवाही को और सरकार के योजनाओं की किस कदर गरीबों तक नहीं पहुंच पा रही है इस हकीकत को बयां किया । रिपोर्ट के बाद सोया हुआ सिस्टम किस तरीके से इस परिवार को कनेक्शन उपलब्ध करा पाता है ।

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Last Updated : Jan 17, 2020, 3:13 PM IST
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