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बूंदीः पुलिस की कड़ी सुरक्षा में निकली दलित दूल्हे की बिंदोरी

सोमवार को बूंदी जिले के गांव संगावदा में पुलिस की कड़ी सुरक्षा के बीच दलित दूल्हे की बिंदोरी निकाली गई. दूल्हे और उसके परिवार को डर था कि गांव के अन्य लोग बिंदोरी में अड़चनें पैदा करेंगे, इसलिए उन्होंने पुलिस सुरक्षा ली. बता दें कि 2018 में भी जिले में दलित दूल्हे को डराने-धमकाने की बात सामने आई थी.

bundi news, बूंदी न्यूज
दलित शिक्षक दूल्हे की पुलिस पहरे के बीच निकली बिंदोरी
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Published : Feb 3, 2020, 6:47 PM IST

बूंदी. जिले के संगावदा गांव में दलित दूल्हे की बिंदोरी पुलिस पहरे के बीच निकाली गई. एक तरफ घरवालों का जश्न था तो दूसरी और पुलिस की कड़ी सुरक्षा थी और इसी कड़ी सुरक्षा के बीच गांव के सभी लोग दलित शिक्षक की बिंदोरी निकलते हुए देख रहे थे.

बता दें कि संगावदा गांव में आज भी एलओसी खींची हुई है. जहां दो समुदायों में बस्ती के बीच कटुता की यह अदृश्य दीवार गांव वालों ने एक नहीं होने दी. इस बस्ती के लोग गांव के दूसरे हिस्से में नहीं जाते हैं, तो दूसरी बस्ती के लोग उनकी बस्ती में कदम नहीं रखते.

दलित शिक्षक दूल्हे की पुलिस पहरे के बीच निकली बिंदोरी

वहीं गांव में दलित समाज के एक शिक्षक की शादी है और दूल्हे की इच्छा थी कि वह घोड़ी पर सवार होकर पूरे गांव में बिंदोरी निकालेगा. लेकिन, ये डर था की कहीं इसके कारण कोई विवाद ना हो जाये. बता दें कि जिले में ऐसे मामले पहले भी आ चुके हैं, जहां दलित दूल्हों को पुलिस और प्रशासन से बिंदोरी निकालने के लिये सुरक्षा की मांग करनी पड़ी थी.

पढ़ें. राजधानी में गैंग वार की आंशका, आपसी रंजिश में फायरिंग से फिर फैली दहशत

वहीं आज भारी पुलिस जाब्ता संगावदा गांव में पहुंचा, जहां उन्होंने सुरक्षा पहरे के बीच दलित दूल्हे की बिंदोरी निकलवाई. बिंदोरी को पुलिस ने पूरी छावनी में तब्दील कर दिया और 160 पुलिस के जवान 5 थानों की पुलिस सहित खुद पुलिस उपाधीक्षक श्यामसुंदर विश्नोई और पुलिस उपाधीक्षक घनश्याम ने मोर्चा संभाला हुआ था और कड़ी सुरक्षा के बीच दूल्हे की बिंदोरी को संपन्न करवाया. गांव के हर नुक्कड़ मोड़ पर पुलिस के जवान तैनात होते हुए दिखे.

जानकारी के अनुसार इस गांव में 2018 में दो बार दलित दूल्हे की बिंदोरी को रोक दिया था और कुछ लोगों ने दलित दूल्हे को जान से मारने की धमकी तक दे डाली थी. लेकिन, 2018 में पुलिस कांस्टेबल ने बिंदोरी निकाली तो 2020 में शिक्षक ने भी बिंदोरी निकालने की ठानी.

थर्ड ग्रेड टीचर है दूल्हा

बता दें कि दलित दूल्हा बूंदी के जावरा स्कूल में थर्ड ग्रेड का टीचर है और उसकी शादी बारां जिले के अंता इलाके में हुई है और कल उसकी बारात जानी है. वहीं आज बड़े ही धूमधाम से उसकी बिंदोरी निकाली जा रही है. पूरे परिवार में बिंदोरी निकाले जाने के बाद काफी उत्साह है और लोगों के चेहरे खुशी के पल के साथ खिल उठे हैं.

पढ़ेंः नागौर: रोहिणी पंचायत समिति के 21 वर्षीय युवा सरपंच के अभिनंदन समारोह का आयोजन

गांव में यह दूसरा मौका होगा, जब किसी दलित दूल्हे की बिंदोरी पुलिस सुरक्षा के बीच शांतिपूर्वक संपन्न हुई हो. दोनों ही दलित दूल्हे शिक्षित होने के कारण दोनों के मन में गांव से बिंदोरी निकालने की जिद होने के चलते ही यह कार्य संपन्न हो पाया है.

ईटीवी से बोला दूल्हा, सभी को सामानता का अधिकार

ईटीवी से बातचीत में दलित दूल्हे ने बताया कि समाज में सभी को समानता का अधिकार है और जब सामान्य व्यक्ति बिंदोरी निकाल सकता है तो हम क्यों नहीं. कई बार दलित दूल्हे की बिंदोरी रोके जाने की घटनाएं देखी है. इसी को लेकर उन्होंने पुलिस से सुरक्षा मांगी और पुलिस ने शांतिपूर्वक बिंदोरी को संपन्न करवाया है.

बूंदी. जिले के संगावदा गांव में दलित दूल्हे की बिंदोरी पुलिस पहरे के बीच निकाली गई. एक तरफ घरवालों का जश्न था तो दूसरी और पुलिस की कड़ी सुरक्षा थी और इसी कड़ी सुरक्षा के बीच गांव के सभी लोग दलित शिक्षक की बिंदोरी निकलते हुए देख रहे थे.

बता दें कि संगावदा गांव में आज भी एलओसी खींची हुई है. जहां दो समुदायों में बस्ती के बीच कटुता की यह अदृश्य दीवार गांव वालों ने एक नहीं होने दी. इस बस्ती के लोग गांव के दूसरे हिस्से में नहीं जाते हैं, तो दूसरी बस्ती के लोग उनकी बस्ती में कदम नहीं रखते.

दलित शिक्षक दूल्हे की पुलिस पहरे के बीच निकली बिंदोरी

वहीं गांव में दलित समाज के एक शिक्षक की शादी है और दूल्हे की इच्छा थी कि वह घोड़ी पर सवार होकर पूरे गांव में बिंदोरी निकालेगा. लेकिन, ये डर था की कहीं इसके कारण कोई विवाद ना हो जाये. बता दें कि जिले में ऐसे मामले पहले भी आ चुके हैं, जहां दलित दूल्हों को पुलिस और प्रशासन से बिंदोरी निकालने के लिये सुरक्षा की मांग करनी पड़ी थी.

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वहीं आज भारी पुलिस जाब्ता संगावदा गांव में पहुंचा, जहां उन्होंने सुरक्षा पहरे के बीच दलित दूल्हे की बिंदोरी निकलवाई. बिंदोरी को पुलिस ने पूरी छावनी में तब्दील कर दिया और 160 पुलिस के जवान 5 थानों की पुलिस सहित खुद पुलिस उपाधीक्षक श्यामसुंदर विश्नोई और पुलिस उपाधीक्षक घनश्याम ने मोर्चा संभाला हुआ था और कड़ी सुरक्षा के बीच दूल्हे की बिंदोरी को संपन्न करवाया. गांव के हर नुक्कड़ मोड़ पर पुलिस के जवान तैनात होते हुए दिखे.

जानकारी के अनुसार इस गांव में 2018 में दो बार दलित दूल्हे की बिंदोरी को रोक दिया था और कुछ लोगों ने दलित दूल्हे को जान से मारने की धमकी तक दे डाली थी. लेकिन, 2018 में पुलिस कांस्टेबल ने बिंदोरी निकाली तो 2020 में शिक्षक ने भी बिंदोरी निकालने की ठानी.

थर्ड ग्रेड टीचर है दूल्हा

बता दें कि दलित दूल्हा बूंदी के जावरा स्कूल में थर्ड ग्रेड का टीचर है और उसकी शादी बारां जिले के अंता इलाके में हुई है और कल उसकी बारात जानी है. वहीं आज बड़े ही धूमधाम से उसकी बिंदोरी निकाली जा रही है. पूरे परिवार में बिंदोरी निकाले जाने के बाद काफी उत्साह है और लोगों के चेहरे खुशी के पल के साथ खिल उठे हैं.

पढ़ेंः नागौर: रोहिणी पंचायत समिति के 21 वर्षीय युवा सरपंच के अभिनंदन समारोह का आयोजन

गांव में यह दूसरा मौका होगा, जब किसी दलित दूल्हे की बिंदोरी पुलिस सुरक्षा के बीच शांतिपूर्वक संपन्न हुई हो. दोनों ही दलित दूल्हे शिक्षित होने के कारण दोनों के मन में गांव से बिंदोरी निकालने की जिद होने के चलते ही यह कार्य संपन्न हो पाया है.

ईटीवी से बोला दूल्हा, सभी को सामानता का अधिकार

ईटीवी से बातचीत में दलित दूल्हे ने बताया कि समाज में सभी को समानता का अधिकार है और जब सामान्य व्यक्ति बिंदोरी निकाल सकता है तो हम क्यों नहीं. कई बार दलित दूल्हे की बिंदोरी रोके जाने की घटनाएं देखी है. इसी को लेकर उन्होंने पुलिस से सुरक्षा मांगी और पुलिस ने शांतिपूर्वक बिंदोरी को संपन्न करवाया है.

Intro:बूंदी में दलित शिक्षक कि पुलिस पहरे के बीच में बिंदोरी निकाली गई । यहां पर भारी पुलिस जाब्ते के बीच दलित दूल्हा घोड़ी पर चढ़ा और पूरे गांव में दबंग लोगों के सामने घोड़ी पर बैठकर बिंदोरी निकालता हुआ नजर आया। यहां आपको बता दें कि 2 साल पूर्व भी एक दलित पुलिसकर्मी को घोड़ी में बिठाने को लेकर विवाद हो गया था । आपसी हमले की आशंका के चलते इस दलित शिक्षक के परिवार ने पुलिस से बिंदोरी निकालने के दौरान सुरक्षा मांगी। जहां पुलिस ने पहरे के रूप में दलित शिक्षक की बिंदोरी शांतिपूर्वक संपन्न करवा दी ।


Body:बूंदी - संगावदा गांव में दलित दूल्हे की बिंदोरी पुलिस पहरे के बीच निकाली गई । एक तरफ घरवालों का जश्न था तो दूसरी और पुलिस की कड़ी सुरक्षा थी और इसी कड़ी सुरक्षा के बीच गांव के दबंग दलित शिक्षक की बिंदोरी निकलते हुए देख रहे थे करीब 2 घंटे तक गांव में निकली इस बिंदोरी में जमकर दूल्हे के परिवार वाले लोगों ने डीजे के धुन पर गांव की गलियों में थिरकते हुए दिखे। तीन नदियों के संगम स्थल शृंग ऋषि के नाम पर बसे गांव संगावदा गावँ में आज भी एलओसी खींची हुई है। दोनों समुदायों में बस्ती के बीच कटुता की यह अदृश्य दीवार गांव वालों ने एक नहीं होने दे रही है । इस बस्ती के लोग गांव के दूसरे हिस्से में नहीं जाते हैं तो दूसरी बस्ती के लोग उनकी बस्ती में कदम नहीं रखते । दलित समाज के शिक्षक कि आज गांव में शादी है और दूल्हे की जीद के आगे किसी की नहीं चली और दूल्हा घोड़ी पर सवार होकर पूरे गांव में बिंदोरी निकालते हुए नजर आया । दबंग लोग हालाकी ऊपर से यह कहते रहे कि हमें कोई एतराज नहीं है मिल बैठकर समाधान की बात की जाती है पर हकीकत यह है कि दोनों ही समाजों के बीच यह मूंछ की लड़ाई बनी हुई है । जहां आपको बता दें कि 2018 में भी दलित पुलिस कांस्टेबल बनवारी लाल को घोड़ी पर बिठाने को लेकर विवाद हो गया था । गांव का पहला युवक बनवारी था जो पुलिस में नौकरी लगा था । फिर 2020 में वही वाक्य घटित हुआ जहां एक सरकारी टीचर को बिंदोरी निकालने के दौरान हमले की आशंका ने फिर से दूल्हे के मन में डर बैठा दिया और दूल्हे के परिवार ने जिला कलेक्टर और बूंदी जिला पुलिस अधीक्षक से बिंदोरी के दौरान सुरक्षा देने की मांग की । इस पर पुलिस ने दलित दूल्हे को आश्वस्त किया कि वह उसकी बिंदोरी पुलिस की कड़ी निगरानी में निकलवाएंगे और शांतिपूर्वक संपन्न करवाएंगे । आज भारी पुलिस जाब्ता संगावदा गांव में पहुंचा और दलित दूल्हे की बिंदोरी पुलिस वालों ने बड़े ही सुरक्षा पहरे के बीच निकलवाई शांतिपूर्वक संपन्न करवाई । यहां पर सुबह से चली माथापच्ची के बाद बिंदोरी को पुलिस ने पूरी छावनी में तब्दील कर दिया और 160 पुलिस के जवान 5 थानों की पुलिस सहित खुद पुलिस उपाधीक्षक श्यामसुंदर विश्नोई व पुलिस उपाधीक्षक घनश्याम ने मोर्चा संभाला हुआ था और कड़ी सुरक्षा के बीच दूल्हे की बिंदोरी को संपन्न करवाया । गांव के हर नुक्कड़ मोड़ पर पुलिस के जवान तैनात होते हुए दिखे ।

दूल्हे की जिद थी बिंदोरी निकालेंगे

इस गांव में करीब 60 घर मेघवालों के घर हैं और करीब 40 घर गुर्जर समाज के इतने ही कुम्हार और कीर समाज के परिवार है । गांव में लहसुन की पैदावार को बहुत होती है जो कौड़ियों के भाव में भी नहीं बिकता है । गांव में 2018 में दो बार दलित दूल्हे की बिंदोरी को रोक दिया था और दबंग लोगों ने दलित दूल्हे को जान से मारने की धमकी देने के बाद तभी सही पूरा गांव आज दिन तक बिंदोरी निकालने के लिए डरता है । लेकिन 2018 में पुलिस कांस्टेबल बनवारी लाल ने बिंदोरी निकाली तो 2020 में शिक्षक परशुराम मेघवाल ने भी बिंदोरी निकालने की ठानी और बिंदोरी निकालकर शिक्षक परशुराम मेघवाल रहे ।

थर्ड ग्रेड टीचर है परसुराम मेघवाल

यहां आपको बता दें कि दलित दूल्हा परशुराम मेघवाल बूंदी के जावरा स्कूल में थर्ड ग्रेड का टीचर है और उसकी शादी बारां जिले के अंता इलाके में हुई है और कल उसकी बारात जानी है और आज बड़े ही धूमधाम से उसकी बिंदोरी निकाली जा रही है । पूरे परिवार में बिंदोरी निकाले जाने के बाद काफी उत्साह है और लोगों के चेहरे खुशी के पल के साथ खिल उठे हैं । गांव में यह दूसरा मौका होगा जब किसी दलित दूल्हे की बिंदोरी पुलिस सुरक्षा के बीच शांतिपूर्वक संपन्न हुई हो । दोनों ही दलित दूल्हे शिक्षित होने के कारण दोनों के मन में गांव से बिंदोरी निकालने की जिद होने के चलते ही यह कार्य संपन्न हो पाया है ।

ईटीवी से बोला दूल्हा , सभी को सामानता का अधिकार

ईटीवी से बातचीत में दलित दूल्हा परशुराम मेघवाल ने बताया कि समाज में सभी को समानता का अधिकार है और जब सामान्य व्यक्ति बिंदोली निकाल सकता है तो हम क्यों नहीं । इसी को लेकर आज हमने बिंदोरी निकाली है हमें डर था ताकि हमारी बिंदोरी पर हमला न हो जाए इसको लेकर हमने पुलिस से सुरक्षा मांगी है और पुलिस ने हमारी बिंदोरी को संपन्न करवाया है । दलित दूल्हे परशुराम मेघवाल के पिता बताते हैं कि उन्होंने उनकी आयु में कई बार दलित दूल्हे की बिंदोरी रोके जाने की घटनाएं देखी है उन्हें इसी बात का डर था इसी को लेकर उन्होंने पुलिस से सुरक्षा मांगी और पुलिस ने शांतिपूर्वक बिंदोरी को संपन्न करवाया है ।


Conclusion:जो भी हो लेकिन जिले में कुछ गांव ऐसे हैं जहां आज भी दलित समाज के लोगों को दबंग लोग डरा धमका कर बिंदोरी रोकने का काम करते हैं और जिले में आए दिन इस तरह की घटनाएं भी सामने आती है। उसी का नतीजा यह रहता है कि जहां जब भी पुलिस को दलित दूल्हे की बिंदोरी की सुरक्षा की मांग सामने आती है तो पुलिस भारी पुलिस बल के साथ दलित दूल्हे की बिंदोरी निकालने के लिए पहुंच जाती है । लेकिन सवाल यह भी है कि आखिरकार आज के इस दौर में यह परंपरा है इतनी भारी पुलिस की मौजूदगी में कहीं न कहीं साफ इशारा करती है कि समाज में दबंग लोगों का बोलबाला है तो सही ।

बाईट - परशुराम मेघवाल , दूल्हा
बाईट - सावर लाल , मेघवाल
बाईट - विनीत मेघवाल , जागरूक युवक
बाईट - श्याम सुंदर बिश्नोई , पुलिस उपाधीक्षक , बूंदी
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